हरियाणा: अरावली में अवैध खनन पर शिकंजा, प्रशासन की सख्ती से माफिया की बढ़ीं मुश्किलें
Haryana News: अरावली में अवैध खनन पर प्रशासन की सख्ती बढ़ गई है. ऐसे में निगरानी, कार्रवाई और किसानों को राहत से खनन माफिया कमजोर पड़ रहा है. जिससे अरावली का अस्तित्व बचने की उम्मीद है.

राजस्थान सीमा पर अरावली में पिछले कई सालों तक धड़ले से अवैध खनन होता रहा है. अवैध खनन को लेकर खनन माफिया ने कई अवैध रास्ते भी प्रशासनिक अधिकारियों से सांठगांठ कर बना लिए है. इस मामले की एंटी करप्शन ब्यूरो ने जांच शुरू की तो बसई गांव के सरपंच एवं राज्य विभाग के कई सेवानिवृत्त अधिकारियों को भी जेल की हवा खानी पड़ी. अभी भी एसीबी इस मामले की जांच कर रहा है. जिसमें फिरोजपुर झिरका की तत्काल एसडीएम चिनार चहल का भी नाम खूब सुर्खियों में रहा है.
अरावली पर्वतमाला में केंद्र सरकार द्वारा खनन कार्यों को शुरू करने की चर्चा हुई तो इसका विरोध देश भर में होने लगा. पर्यावरणविद से लेकर विपक्षी दलों के नेताओं ने केंद्र सरकार को घेरना शुरू कर दिया. जिसके बाद सरकार ने इस फैसले को वापस लेते हुए दो टूक कहा कि अरावली में कोई खनन कार्य नहीं होगा, लेकिन इस खनन कारोबार से खनन माफिया बीते सालों में खूब चांदी कूटता रहा है.
अवैध खनन को लेकर प्रशासन अपनाए हुए है सख्त रुख
सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी की सख्ती के बाद नूंह प्रशासन को कई बार हलफनामा तक दायर करना पड़ा है. अब मौजूदा दौर में राजस्थान-हरियाणा सीमा पर खनन माफिया सख्ती के सामने लाचार दिखाई दे रहा है. निगरानी के लिए हरियाणा पुलिस की एक चौकी बसई गांव में लगा दी गई है. इसके अलावा ड्रोन कैमरे से भी समय-समय पर निगरानी की जाती है. एसडीएम लक्ष्मी नारायण और डीएसपी अजायब सिंह दलबल के साथ समय-समय पर अरावली पर्वत का दौरा करते रहते हैं. कुल मिलाकर अवैध खनन को लेकर प्रशासन पूरी तरह से सख्त रुख अपनाए हुए है. लेकिन राजस्थान में कुछ लीज चालू होने के चलते आज भी हरियाणा में ओवरलोड डंपर आते-जाते हुए दिखाई दे जाते हैं.
अवैध खनन की वजह से पिछले कुछ सालों में परेशान थे किसान
सबसे खास बात यह है कि जो किसान अवैध खनन की वजह से पिछले कुछ सालों में परेशान रहे हैं और उनकी सुनवाई तक कोई नहीं करता था. अब उन्होंने भी राहत की सांस ली है. उन्होंने कहा कि जिस जगह पर धूल मिट्टी और रेत दिखाई देता था, अब उस जगह पर गेहूं इत्यादि की खेती हो रही है. कुल मिलाकर अरावली का एक बड़ा हिस्सा हरियाणा के नूंह जिले में है. गुरुग्राम से जैसे ही नूंह जिले की सीमा शुरू होती है और राजस्थान की सीमा तक पूरी अरावली बेल्ट है.
प्रशासनिक सख्ती से बचा रहेगा अरावली का वजूद
अरावली में अवैध खनन की वजह से जीव-जंतुओं के अलावा कई प्रकार की जड़ी बूटियां लुप्त हो गई थी. अब सरकार ने माइनिंग कार्यों को 100 फीट ऊंचाई तक के पहाड़ों में मंजूरी पर विचार किया तो इसका देशभर में डटकर विरोध होने लगा. कुल मिलाकर अगर इसी तरह प्रशासनिक सख्ती जारी रही तो अरावली का वजूद बचा रहेगा. वरना खनन माफिया आने वाले कुछ सालों में इसका नामोनिशान तक मिटा देंगे.
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Source: IOCL





















