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Delhi Metro News: नई तकनीक से मेट्रो का सफर आसान बनाने की तैयारी में DMRC, हुआ ये बड़ा फैसला
Delhi News: यह कॉन्फ्रेंस एक शुरुआत है जो आने वाले दिनों में सदस्य महानगरों द्वारा अधिक सटीक भविष्य की सवारियों के प्रक्षेपण को संभव बनाएगी.
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Delhi Metro News: इंडियन मेट्रो रेल ऑर्गनाईजेशन सोसायटी ने "डेटा की शक्ति के असर को महसूस करने के विषय- मेट्रो यातायात मांग पूर्वानुमान को आगे बढ़ाना" पर आधारित एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया. जिसका का उद्देश्य दुनिया भर में यात्री मांग के पूर्वानुमान के लिए उपयोग किए जाने वाले विभिन्न तरीकों के बारे में सीखना और भारत में उपयोग की जा रही प्रक्रिया की सटीकता में सुधार करना था. कॉन्फ्रेंस में यूएसए, यूके और कनाडा जैसे देशों से आये वरिष्ठ अधिकारियों और शिक्षाविदों ने अपने वक्तव्यों और विचारों को रखा.
120 प्रतिभागियों ने कॉन्फ्रेंस में लिया हिस्सा
इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव मनोज जोशी सचिव के नेतृत्व में किया गया था. जिसमें डीएमआरसी के मैनेजिंग डायरेक्टर और वाईस प्रेसिडेंट एवं आई-मेट्रो के सीईओ डॉ. विकास कुमार, एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक और आई-मेट्रो के जेनरल सेक्रेटरी विनय कुमार सिंह समेत भारत के अन्य मेट्रो के मैनेजिंग डायरेक्टर और वरिष्ठ अधिकारी, शिक्षाविद, शोधकर्ता आदि ने भी हिस्सा लिया. इस कॉन्फ्रेंस में कुल 120 प्रतिभागियों ने भाग लिया. कॉन्फ्रेंस में प्रख्यात राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं ने इस विषय पर अपने विचार साझा किए. इस कॉन्फ्रेंस में साझा की गई जानकारियों और विचारों से यात्रियों की मांग का अधिक सटीक अनुमान लगाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक को अपनाने का माहौल तैयार हुआ.
भविष्य की सवारियों के अनुमानों में सटीकता आवश्यक
इस तरह का सम्मेलन अत्यधिक महत्व रखता है क्योंकि रेल, आधारित मास रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (MRTS) परियोजना में भारी वित्तपोषण शामिल है और इसे सभी हितधारकों के लिए टिकाऊ बनाने के लिए अनुमानित सवारियों का सटीक प्रक्षेपण अधिक वांछनीय हो जाता है. मूल्यवान संसाधनों के आवंटन में अनुकूलन के लिए भविष्य की सवारियों के अनुमानों में ऐसी सटीकता भी आवश्यक है.
यह कॉन्फ्रेंस एक शुरुआत है जो आने वाले दिनों में सदस्य महानगरों द्वारा अधिक सटीक भविष्य की सवारियों के प्रक्षेपण को संभव बनाएगी और आगामी रेल आधारित एमआरटी प्रणालियों को शुरुआती चरणों में उनकी वित्तीय व्यवहार्यता का आकलन करने में भी मदद करेगी और पूरे भारत में मेट्रो प्रणालियों को सरकारी सब्सिडी पर निर्भर हुए बिना सफलतापूर्वक डिजाइन और संचालित करने के लिए सशक्त बनाएगी.
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