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Delhi School Education: दिल्ली के सरकारी स्कूलों में इस साल छात्रों की संख्या 30 हजार हो गई कम, जानें वजह

Delhi Education Model: ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल के मुताबिक दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में बच्चों की संख्या कम होने के पीछे का सबसे बड़ा कारण पढ़ाई की खराब व्यवस्था है.

Delhi News: दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा सत्र 2023-24 में छात्रों की संख्या साल 2022-23 के मुकाबले 30 हजार ज्यादा कम हो गई. कोरोना वायरस महामारी के बाद साल 2022 में सरकारी विद्यालयों में विद्यार्थियों की कुल संख्या 17,89,385 थी. जबकि वर्ष 2023 में विद्यार्थियों की संख्या घटकर 17,58,986 हो गई. यानी पिछले शिक्षा सत्र के मुकाबले 30,399 कम हो गई. इस बात का खुलासा दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सूचना मांगे जाने की वजह से हुआ. 

बता दें कि दिल्ली में 1050 सरकारी स्कूल और 37 डॉ. बीआर आंबेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस स्कूल’ हैं. दिल्ली शिक्षा निदेशालय से मिली जानकारी के मुताबिक पूर्वी दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में 2022-23 में विद्यार्थियों की संख्या 2,06,027 थी, जो 2023-24 में घटकर 1,99,730 हो गई. उत्तर पूर्वी दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में वर्ष 2023-24 में विद्यार्थियों की संख्या 2,86,298 थी. जबकि साल 2022-23 में विद्यार्थियों की संख्या तीन लाख से ज्यादा थी.

2 को छोड़ सभी जिलों में छात्रों की संख्या हुई कम

दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने एक आरटीआई के जवाब में बताया है कि ‘नॉर्थ वेस्ट ए’ और मध्य दिल्ली को छोड़कर सभी जिलों और क्षेत्रों के सरकारी विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है. दिल्ली के ‘नॉर्थ वेस्ट ए’ में स्थित सरकारी विद्यालयों में वर्ष 2023-24 में विद्यार्थियों की संख्या 1,87,596 है जबकि 2022-23 में विद्यार्थियों की संख्या 1,81,450 थी. मध्य दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में 2022-23 में विद्यार्थियों की संख्या 27,580 थी, जो 2023-24 में बढ़कर 28,922 हो गई. नई दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में 2022-23 में विद्यार्थियों की संख्या 1605 थी, जो 2023-24 में घटकर 1452 हो गई. 

बच्चों का फेल होना बड़ी वजह

शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया, 'दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में कोविड-19 के दौरान ज्यादा दाखिले हुए लेकिन निजी विद्यालयों के खुलने के बाद बच्चों की संख्या में कमी आई है.' विभागीय अधिकारी ने ये भी कहा कि बच्चों का ‘फेल’ होना भी विद्यार्थियों की संख्या में कमी की एक वजह है.

ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं दिल्ली उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने पीटीआई-भाषा को बताया, ''दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में बच्चों की संख्या कम होने के पीछे का सबसे बड़ा कारण पढ़ाई की खराब व्यवस्था है.' कोरोना वायरस महामारी के दौरान बहुत से परिजनों ने अपने बच्चों को निजी स्कूलों के बजाय सरकारी विद्यालयों में दाखिला दिलाया लेकिन जब विद्यालयों में पढ़ाई शुरू हुई तो उन्हें महसूस हुआ कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई का वह स्तर नहीं है, जिसके दावे किए जा रहे हैं. पढ़ाई का खराब स्तर, सरकारी विद्यालयों में नियमित शिक्षकों की कमी और बुनियादी जरूरतों के आभाव जैसी कई समस्याएं हैं, जिनकी वजह से बहुत से बच्चों ने सरकारी विद्यालय छोड़कर फिर से निजी विद्यालयों का रुख किया है.

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