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'कम काम करने वालों की नहीं चलेगी मनमर्जी', Delhi AIIMS का फैसला- 'अब डॉक्टरों को करना होगा ये काम' 

Minimum work Mandatory for AIIMS Doctors: एम्स की एक स्टडी में पाया गया कि ओपीडी हो या सर्जरी, मरीजों की वेटिंग बहुत ज्यादा है, इसलिए सभी को अब एक समान काम करने होंगे. 

Delhi AIIMS News: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली (Delhi AIIMS) के डॉक्टरों की कामचोरी से परेशान एम्स प्रशासन ने कठोर फैसला लिया है. एम्स प्रशासन ने तय किया है कि अब काम के मामले में डॉक्टरों की नहीं चलेगी. सभी फैकल्टी के डॉक्टरों को एक समान काम करना होगा. इस मसले पर एक गाइडलाइन तैयार करने के लिए एम्स प्रशासन ने एक कमेटी गठित की है. कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर एम्स के डॉक्टरों से काम लिए जाएंगे. 

दरअसल, एम्स में कुछ डॉक्टर हफ्ते में 3 दिन ओपीडी में आते हैं और 50 से 60 मरीज रोजाना देखते हैं, तो कुछ हफ्ते में एक दिन ऑपरेशन करते हैं और सिर्फ दस मरीज देखते हैं. इसी प्रकार एक सर्जन हफ्ते में 3 दिन सर्जरी करते हैं, लेकिन कुछ फैकल्टी हफ्ते में सिर्फ एक ही दिन सर्जरी करते हैं. डॉक्टरों के इस रवैये से एम्स में मरीजों का इलाज प्रभावी तरीके से नहीं हो पा रहा है. इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है. 

कमेटी तय करेगी डॉक्टर कितना करेंगे काम

इस बात को ध्यान में रखते हुए एम्स प्रशासन ने तय किया है कि डॉक्टरों को कम से कम काम करने की सोच से बाहर आना होगा. एम्स प्रशासन ने तय किया है कि चाहे एचओडी हो या अन्य फैकल्टी (डॉक्टर्स), अब सभी को बराबर काम करना होगा. हर विभाग की फैकल्टी के लिए ओपीडी मरीजों की संख्या और सर्जरी की संख्या तय होगी, जिससे मरीजों का टाइम से इलाज हो सके और वेटिंग टाइम कम हो. इसके लिए एक कमेटी बनाई गई है. कमेटी जल्द रिपोर्ट सौंपेगी और इसके आधार पर संख्या तय होगी.

ऐसे हुआ डॉक्टरों की कामचोरी का खुलासा

वर्तमान में एम्स में ओपीडी और सर्जरी करने की कोई गाइडलाइन नहीं है. किसी विभाग का एक डॉक्टर हफ्ते में तीन से चार दिन ओपीडी करते हैं, उनकी हर ओपीडी में 70 से 80 मरीज होते हैं. वहीं कुछ डॉक्टर अपने-अपने तरीके और सुविधा के अनुसार ओपीडी चलाते हैं. एम्स के एक अधिकारी ने बताया कि ओपीडी हो या सर्जरी, एम्स में वेटिंग बहुत ज्यादा है. जब वेटिंग पर स्टडी की गई तो पाया गया कि कुछ फैकल्टी गिनती के मरीज देखते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ पहले ही बता देते हैं कि आज सिर्फ 10 मरीजों को देखेंगे, ऐसे में उनके नाम से कम मरीजों का रजिस्ट्रेशन होता है. एम्स के सूत्रों का कहना है कि कई एनेस्थीसिया एक्सपर्ट ऐसे हैं जिनकी कभी आईसीयू में ड्यूटी तक नहीं लगती. डॉक्टर अपने मन के मुताबिक इलाज की प्रक्रिया अपनाते हैं. अब ऐसा नहीं होगा. कमेटी के आकलन के अनुसार हर विभाग की एक निश्चित ओपीडी संख्या तय होगी. अगर एक डॉक्टर ओपीडी में 100 मरीज देखता है और उसी विभाग का दूसरा डॉक्टर 10 या 20 देखे, अब यह नहीं होगा. उन्हें भी 100 मरीज देखने होंगे.

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