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Chhattisgarh: माओवादी नेता सुजाता ने किया आत्मसमर्पण, 43 साल बाद डाले हथियार
Maoist leader Sujata News: 43 साल बाद हथियार डालकर तेलंगाना में वरिष्ठ माओवादी नेता सुजाता ने आत्मसमर्पण किया. 40 लाख की इनामी सुजाता का सरेंडर माओवादी संगठन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.

छत्तीसगढ़ और तेलंगाना पुलिस के साझा प्रयासों को बड़ी सफलता मिली है. माओवादी संगठन की वरिष्ठ नेता और केंद्रीय समिति की सदस्य सुजाता उर्फ पोथुला पद्मावती ने शनिवार को तेलंगाना पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह कदम न सिर्फ माओवादियों के लिए बड़ा झटका है, बल्कि उनके संगठन के भीतर गहराते संकट को भी उजागर करता है.
43 साल बाद हथियार डाले
62 वर्षीय सुजाता पिछले 43 साल से भूमिगत जीवन जी रही थी. वह दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के दक्षिण उप-जोनल ब्यूरो की प्रभारी समेत कई अहम पदों पर रही. यही कमेटी दक्षिण छत्तीसगढ़, खासकर बस्तर क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों की रीढ़ मानी जाती है.
सुजाता पर 40 लाख रुपये का इनाम घोषित था और वह बस्तर के अलग-अलग जिलों में दर्ज 72 से ज्यादा मामलों में वांछित थी.
तेलंगाना पुलिस ने बताया कि सुजाता, मारे गए माओवादी नेता किशनजी की पत्नी है. उसने स्वास्थ्य कारणों और सरकार की नीतियों से प्रभावित होकर माओवादी संगठन छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला लिया. पुलिस का मानना है कि यह आत्मसमर्पण माओवादियों की कमर तोड़ने जैसा है.
आत्मविश्वास खो रहा संगठन- पुलिस
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) सुंदरराज पी ने कहा कि सुजाता जैसे वरिष्ठ नेता का आत्मसमर्पण माओवादी संगठन के अंदर गहरे आत्मविश्वास संकट को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि यह परिणाम सुरक्षा बलों के लगातार और आक्रामक अभियानों का है.
सुंदरराज ने बताया, “छत्तीसगढ़ पुलिस, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों और खुफिया एजेंसियों के बेहतर तालमेल से माओवादियों को जबरदस्त नुकसान हुआ है. कई शीर्ष नेता मारे गए, बड़ी मात्रा में हथियार बरामद हुए और उनके ठिकाने ध्वस्त कर दिए गए. इससे उनका संगठन पूरी तरह हिल गया है.”
इस साल 244 नक्सली ढेर
पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अब तक छत्तीसगढ़ में हुई मुठभेड़ों में 244 नक्सली मारे गए हैं. इनमें सबसे बड़ा नाम संगठन के महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू का है. इसके अलावा केंद्रीय समिति के तीन और सदस्य मोडेम बालकृष्ण, चलपथी और गौतम उर्फ सुधाकर भी मारे गए.
आईजी सुंदरराज का कहना है कि बसवराजू की मौत के बाद संगठन की कमान किसके हाथ में है, यह साफ नहीं है. इस बीच देवजी, सोनू और अन्य वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के बीच सत्ता संघर्ष चल रहा है.
संगठन के अंदरूनी झगड़े
पुलिस के मुताबिक, माओवादी नेता अब खुद सत्ता की लड़ाई में उलझ गए हैं. जबरन वसूली और ग्रामीणों से लूट का फायदा उठाने के लिए कई नेता आपस में भिड़े हुए हैं. खबरें हैं कि कुख्यात माओवादी माडवी हिडमा भी डीकेएसजेडसी का सचिव बनने की ख्वाहिश रखता है.
आईजी सुंदरराज ने चेतावनी दी कि इस सत्ता संघर्ष का परिणाम बेहद खतरनाक होगा. “जो भी माओवादी अब भी इस संगठन का नेतृत्व करने का सपना देख रहा है, उसे क्रूर परिणाम भुगतने होंगे.”
हथियार डालने की अपील
सुजाता के आत्मसमर्पण के बाद पुलिस ने बाकी माओवादियों से भी हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने की अपील की है. आईजी सुंदरराज ने कहा, “हथियार डालकर समाज की मुख्यधारा में शामिल होना ही उनके लिए एकमात्र रास्ता है. अगर वे ऐसा करते हैं तो बस्तर का भविष्य सुरक्षित और समृद्ध हो सकता है.”
धीरे-धीरे टूट रहा है संगठन
पिछले कुछ वर्षों में माओवादी आंदोलन कमजोर पड़ा है. लगातार पुलिस कार्रवाई, ग्रामीणों का घटता समर्थन और संगठन के अंदरूनी झगड़े ने इसे कमजोर कर दिया है. सुजाता जैसे वरिष्ठ नेता का आत्मसमर्पण इस बात का साफ संकेत है कि माओवादी आंदोलन धीरे-धीरे बिखर रहा है और उसका भविष्य अंधकार में है.
Source: IOCL
























