लॉकडाउन ने तोड़ दी कपड़ा बाजार की कमर, देखें पटना के बाजारों का हाल
लॉकडाउन के कारण देश की आर्थिक व्यवस्था चरमरा चुकी है. इसका शिकार टेक्सटाइल मार्केट भी हुआ है. बिहार के कपड़ा व्यापारी कोरोना के बाद खुले मार्केट में ग्राहकों की किल्लत से परेशान हैं. एबीपी न्यूज ने पटना के कपड़ा बाजार की पड़ताल की.
पटना: मार्च 2020 से ही देश में कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन लगा दिया गया. बाजार सूने हो गए. इसके बाद कई त्योहार आए और गए लेकिन बाजार में सन्नाटा ही पसरा रहा. अब जब अनलॉक 4 चल रहा है उसके बावजूद बाजारों में पुरानी रौनक लौटी नहीं है. बिहार में कई कपड़ों की दुकानें बंद हो गईं. आर्थिक तंगी का शिकार कपड़ा बाजार की क्या हालत है और वह सरकार से क्या अपेक्षा रखता है. इसकी पड़ताल एबीपी न्यूज़ ने की.
बिहार टेक्सटाइल चेम्बर ऑफ कॉमर्स के रंजीत सिंह कहते हैं, 'जब से अनलॉक शुरू हुआ है उसके बाद तीज के दौरान ही थोड़ी बहुत बिक्री हुई. उसके बाद से ही स्थिति खराब है. हम लोगों ने कभी नहीं सोचा था कि इतना लंबा लॉकडाउन चलेगा. लगन और शादी विवाह के समय में ही हमारे कपड़े बिकते हैं. हमने सारी तैयारी कर रखी थी लेकिन तब तक लॉक डाउन हो गया. 6 महीने तक बिना दुकान चले किराये देने पड़े स्टाफ को सैलरी देनी पड़ी. स्थिति ऐसी आ गई कि दुकान बंद करने के अलावा दूसरा चारा बचा नहीं है. बहुत सी दुकानें बंद भी हो गईं. हम व्यापारियों को कोई भी फंड नहीं मिल रहा है. कोई भी मदद नहीं मिल रही . हां हम बैंकों से लोन ले सकते हैं. कम ब्याज पर यह लोन उपलब्ध होंगे. इसके लिए हम केंद्र सरकार को धन्यवाद करते हैं.'
दुकान खुली है मगर कोई भी ग्राहक दुकान के अंदर नहीं है. पूरी तैयारियां कर के रखी गई है कि ग्राहक आए तो निराश ना हो. साड़ियों के डिब्बों को गिफ्ट के रैपर्स में लपेटा जा रहा है ताकि इसी तरह से इसे खरीदा जा सके. इसी में शादी के कपड़े जाते हैं. जब हमने दुकानदार से बात की तो उन्होंने कहा, 'दिन में एक आध कस्टमर ही आते हैं और वह भी कभी-कभी. कई बार बोहनी तक नहीं हो पाती है. बिजली का खर्चा है, स्टाफ का खर्चा है,किराए का खर्चा है. सब कुछ देना पड़ रहा है लोन लेकर के काम चलाये लॉकडाउन में. बहुत भयानक स्थिति है.'
साड़ा दुकान के मालिक अरुण कुमार कहते हैं, 'हम निठल्ले बैठे हुए हैं, स्टाफ बैठा हुआ है. पूरा कारोबार बैठ गया है. माल आ करके भरा हुआ है. सारा माल उसी तरह से बैठा हुआ है. 107 दिन का लॉकडाउन झेलने के बाद सारे सामान पर डस्ट बैठ गया. उसे साफ करते हुए ही काफी समय बीत गया है. ग्राहक के लिए हमारी आंखें पथरा गई हैं और ग्राहक बाहर निकल नहीं रहा है. लोगों के सुसाइड करने की नौबत आ गई हैं. जो लोग हिम्मत रखे हुए हैं वह तो फिर भी ठीक से चल रहे हैं. जिनकी किराए की दुकान है या खर्चा ज्यादा है वह सुसाइड करने की नौबत में है.'