Caste Census: जातीय जनगणना के फैसले पर आई लालू यादव की प्रतिक्रिया, 'हम इन संघियों को…'
Caste Census News: आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कहा कि जातिगत जनगणना की मांग करने पर हमें जातिवादी कहने वालों को करारा जवाब मिला. अभी बहुत कुछ बाकी है.

Caste Census: केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना कराने का फैसला किया है. बुधवार (30 अप्रैल) को हुई कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिया गया है. मोदी सरकार के इस फैसले पर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की प्रतिक्रिया आई है. लालू यादव ने एक्स पर पोस्ट किया है. उन्होंने कहा कि मेरे जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते दिल्ली में हमारी संयुक्त मोर्चा की सरकार ने 1996-97 में कैबिनेट से 2001 की जनगणना में जातिगत जनगणना कराने का निर्णय लिया था जिस पर बाद में एनडीए की वाजपेयी सरकार ने अमल नहीं किया.
उन्होंने कहा, "2011 की जनगणना में फिर जातिगत गणना के लिए हमने संसद में जोरदार मांग उठाई. मैंने, स्व. मुलायम सिंह जी, स्व. शरद यादव जी ने इस मांग को लेकर कई दिन संसद ठप्प किया और बाद में प्रधानमंत्री स्व. मनमोहन सिंह जी के सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण कराने के आश्वासन के बाद ही संसद चलने दिया. देश में सर्वप्रथम जातिगत सर्वे भी हमारी 17 महीने की महागठबंधन सरकार में बिहार में ही हुआ."
एक्स पोस्ट में लालू ने आगे लिखा, "जिसे हम समाजवादी जैसे आरक्षण, जातिगणना, समानता, बंधुत्व, धर्मनिरपेक्षता इत्यादि 30 साल पहले सोचते हैं उसे दूसरे लोग दशकों बाद फॉलो करते हैं. जातिगत जनगणना की मांग करने पर हमें जातिवादी कहने वालों को करारा जवाब मिला. अभी बहुत कुछ बाकी है. हम इन संघियों को हमारे एजेंडा पर नचाते रहेंगे."
इसराइल मंसूरी ने लालू और तेजस्वी को दिया श्रेय
उधर दूसरी ओर केंद्र सरकार के इस फैसले पर आरजेडी के विधायक इसराइल मंसूरी ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, "केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश भर में जातिगत जनगणना करवाने का प्रस्ताव पारित करना ये सामाजिक न्याय की जीत है. इसका श्रेय सीधा आदरणीय श्री लालू प्रसाद यादव जी एवं नेता नेता प्रतिपक्ष बिहार श्री तेजस्वी यादव जी को जाता है."
इसराइल मंसूरी ने आगे लिखा, "शुरू से हमारी पार्टी और हमारे नेता जातिगत जनगणना के पक्षधर रहे हैं और उन्होंने इसकी पुरजोर मांग भी की, साथ ही साथ तेजस्वी जी अपने 17 महीने के उपमुख्यमंत्री कार्यकाल में बिहार में जातिगत जनगणना करवा कर कीर्तिमान और मिसाल कायम किया. उसी का नतीजा है कि केंद्र सरकार को झुकना पड़ा और पूरे देश में जातिगत जनगणना कराने की मांग को माना."
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Source: IOCL






















