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Watch: 'जंगलराज की वापसी चाहते हैं CM', दिल्ली में नीतीश कुमार से क्या हुई थी बात? प्रशांत किशोर ने किया खुलासा
Prashant Kishor Statement: जन सुराज पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति को लेकर काफी एक्टिव हैं. शुक्रवार को गोपालगंज में उन्होंने महागठबंधन को लेकर खुलासा किया.
![Watch: 'जंगलराज की वापसी चाहते हैं CM', दिल्ली में नीतीश कुमार से क्या हुई थी बात? प्रशांत किशोर ने किया खुलासा Bihar Politics Prashant Kishor gave statement regarding CM Nitish Kumar Lalu Yadav and Tejashwi Yadav Watch: 'जंगलराज की वापसी चाहते हैं CM', दिल्ली में नीतीश कुमार से क्या हुई थी बात? प्रशांत किशोर ने किया खुलासा](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/01/27/c3451d758473b10849cb2282c594e5961674817069741624_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
पटना: जन सुराज पदयात्रा (Jan Suraaj Padyatra) के 118वें दिन शुक्रवार को गोपालगंज के पंचदेवरी प्रखंड अंतर्गत खलगांव पंचायत में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) पहुंचे. इस दौरान उन्होंने महागठबंधन को लेकर एक खुलासा किया. उन्होंने कहा कि मार्च 2022 में ही दिल्ली में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने मुझे बताया था कि महागठबंधन बनाने जा रहे हैं और शामिल होने के लिए आग्रह भी किया था. उनका मानना था कि यदि वे बीजेपी (BJP) के साथ रहते हैं तो 2024 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद सबसे पहले बीजेपी उन्हें हटाकर देगी. वहीं, उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार इसलिए तेजस्वी (Tejashwi Yadav) को मुख्यमंत्री बनाने की बात कह रहे हैं ताकि 2025 के बाद बिहार में खराब शासन व्यवस्था बने और बिहार की जनता ही कहे कि इससे बढ़िया तो नीतीश कुमार ही थे.
इसलिए नीतीश कुमार महागठबंधन में हुए शामिल'
प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार ने इसलिए 2025 तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर सुरक्षित रहने के लिए महागठबंधन के साथ चले गए. नीतीश कुमार का जनता के प्रति गुस्सा है कि उन्होंने इतना काम किया और इसके बावजूद जनता ने उन्हें सिर्फ 43 सीटें दी. नीतीश कुमार इसलिए चाहते हैं कि लालू यादव का जंगलराज फिर से बिहार में लौट आए और जनता नीतीश कुमार को फिर इसी बहाने याद करे.
'नीतीश और लालू तो साथ में बैठकर बात भी नहीं कर सकते'
आगे चुनावी रणनीतिकार ने कहा कि जो महागठबंधन 2015 में हमने बनवाया था तो मैं जानता हूं कि उसे बनाने और चलाने में क्या-क्या समस्याएं और परेशानियां हैं. 2015 में तीन दलों का महागठबंधन था. आज सात दलों का महागठबंधन है और कोई भी ऐसा आदमी नहीं है जो सात दलों के नेताओं को साथ बैठाकर बात कर सके. नीतीश कुमार में तो वह काबिलियत कभी रही ही नहीं है. पूरे महागठबंधन बनाने की प्रक्रिया में लालू- नीतीश कितनी बार मिले हैं? आप रिकॉर्ड देख लीजिए. नीतीश कुमार और लालू यादव तो साथ में बैठकर बात भी नहीं कर सकते हैं.ये लोग कैसे महागठबंधन चलाएंगे.
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