सचिन तेंदुलकर कप्तान के रूप में प्रेरक नहीं थे और न ही उनके पास एक मजबूत टीम थी: शशि थरूर
थरूर ने कहा कि, सचिन के पास उस दौरान एक मजबूत टीम नहीं थी वो अपनी बल्लेबाजी पर फोकस करना चाहते थे जिस कारण वो कप्तानी में विफल रहे. ऐसे में वह खुद स्वीकार करेंगे कि सबसे प्रेरणादायक, प्रेरक कप्तान नहीं थे.

सचिन तेंदुलकर हमेशा से ही क्रिकेटरों के आदर्श रहे हैं. उन्होंने वह सब कुछ हासिल किया जो एक बल्लेबाज सपना देख सकता है. लेकिन एक कप्तान के रूप में वो सफल नहीं हो पाए. भारतीय राजनेता शशि थरूर ने कहा कि तेंदुलकर को अपने आप को बल्लेबाजी में भी साबित करना था इसलिए वो कप्तानी में बेहतर नहीं कर पाए.
थरूर ने यह भी कहा कि तेंदुलकर भूमिका निभाने से पहले सर्वश्रेष्ठ संभावित कप्तान की तरह दिखते थे क्योंकि वह मैदान पर हमेशा सक्रिय रहते थे, फील्डर्स को निर्देश देते थे और फील्डिंग सेट करने में मदद करते थे. उन्होंने हालांकि कहा कि यह उनके लिए कारगर नहीं रहा, उन्होंने कहा, तेंदुलकर के पास अच्छी टीम नहीं थी और न ही वह कप्तान के रूप में प्रेरणा दे रहे थे.
थरूर ने आगे कहा कि, सचिन के पास उस दौरान एक मजबूत टीम नहीं थी वो अपनी बल्लेबाजी पर फोकस करना चाहते थे जिस कारण वो कप्तानी में विफल रहे. ऐसे में वह खुद स्वीकार करेंगे कि सबसे प्रेरणादायक, प्रेरक कप्तान नहीं थे.अंत में, उन्होंने खुशी-खुशी कप्तानी छोड़ दी और बाद में दोबारा पेशकश किए जाने पर इसे लेने से इनकार कर दिया.
तेंदुलकर ने अपनी कप्तानी के दौरान संघर्ष किया. उन्होंने 73 वनडे मैचों में राष्ट्रीय टीम का नेतृत्व किया. लेकिन नतीजा खराब रहा. भारत ने केवल 23 मैच जीते जबकि उनमें से 43 में उसे हार का सामना करना पड़ा क्योंकि उसने 35.07 प्रतिशत की निराशाजनक जीत दर्ज की, जो किसी भी भारतीय कप्तान के लिए सबसे खराब है जिसने 50 से अधिक वनडे मैचों में राष्ट्रीय टीम का नेतृत्व किया है.
टेस्ट में, तेंदुलकर ने 25 मैचों में टीम का नेतृत्व किया, जहां भारत ने केवल चार मैच जीते और बाकी में हार का सामना करना पड़ा.
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