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गुजरात का क्राइम रिकॉर्ड, कितना ऊपर कितना नीचे? | FYI | Ep. 275
crime, NCRB & Congress

गुजरात का क्राइम रिकॉर्ड, कितना ऊपर कितना नीचे? | FYI | Ep. 275

Episode Description

डांडिया वाला गुजरात, कच्छ का रण वाला गुजरात, सोमनाथ मंदिर वाला गुजरात। चुनावी चकल्लस की सबसे बड़ी बिसात बना हुआ है गुजरात। 2022 का आख़िर आते-आते गुजरात में चुनाव होने वाले हैं। चुनौती इतनी आसान नहीं है, जहाँ हाथों में झंडा लिए कांग्रेस हर पाँच साल में होने सत्ता परिवर्तन के ख़्याल से उत्सुक दिखाई दे रही है, वहीं झाड़ू थामे केजरीवाल भाजपा को साफ़ करने की पूरी तैयारी में हैं। रण होगा, भीषण होगा। लेकिन बीते पाँच सालों में गुजरात में थोड़ा बहुत बदलाव आया है कि नहीं। भाजपा को बीते 5 सालों का रिपोर्ट कार्ड पेश करना है।

दुनिया जानती है...

सूरज सबसे देर से गुजरता में उगता है... और रात भी सबसे देर में होती है। इस लम्बी सी रात में पनपते हैं गुनाह। गुजरात में गुनाह का क्या रिपोर्ट कार्ड है, ख़बर अच्छी है कि बदतर हुई है। जानेंगे ABP LIVE PODCAST के इस ख़ास एपिसोड में। नमस्कार, मेरा नाम है मंगलम् भारत और आप सुन रहे हैं FYI, यानि कि फ़ॉर योर इन्फ़ॉर्मेशन।

NCRB नाम की एक संस्था है, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो। ये ब्यूरो हर साल देश में कौन सी जगह कितने अपराध हुए, कौन से अपराध हुए, क्या-क्या अपराध हुए, की लंबी चौड़ी रिपोर्ट पेश करती है। 2021 की इस रिपोर्ट में जो लिखा है, उसके हवाले से बताएँगे कि गुजरात में क्राइम के क्या हालात है और बीते 10 सालों में कितना बदला है क्राइम के लिहाज़ से कितना बदला है गुजरात।

बात कर लेते हैं IPC क्राइम की। इंडियन पीनल कोड के अंतर्गत आने वाले अपराध, जैसे चोरी, हत्या, बलात्कार, डकैती, दंगे करवाना, धोखाधड़ी जैसे छोटे बड़े अपराध IPC के अंतर्गत आते हैं और इन सभी अपराधों की अपनी ख़ुद की भी रिपोर्ट होती है। 2017 से लेकर 2021 तक की रिपोर्ट को देखें तो इसमें गुजरात की रिपोर्ट बहुत अच्छी नहीं है।

2017 से 2019 तक इसके सवा लाख से डेढ़ लाख तक केस रिकॉर्ड किए जाते थे, लेकिन 2020 और 2021 में इसमें तगड़ा उछाल आया है, 158 प्रतिशत का। 2020 में 3 लाख 81 हज़ार 849 केस दर्ज हुए और 2021 में 2 लाख 73 हज़ार 056। ये केसेज़ 2018 में 1 लाख 47 हज़ार 574 हुआ करते थे। देश भर के आँकड़े देखें तो 2020 में भारत का हर दसवाँ केस गुजरात में दर्ज किया गया है। और याद रखिए, NCRB के आंकड़े वो होते हैं जो रिपोर्ट किए जाते हैं। गुजरात में इसकी असली संख्या कितनी ज़्यादा होगी, इसका अंदाज़ा लगाना भी एक अलग चुनौती है।

हत्या, मर्डर, जिसे सबसे जघन्य अपराधों में एक माना जाता है, गुजरात में लगातार पनप रहा है। लेकिन अच्छी बात ये है कि इसकी रफ़्तार धीमी पड़ी है। बीते पाँच सालों में इसमें बहुत ज़्यादा उछाल नहीं आया है। 2017 में 970 हत्या के केस दर्ज किए गए और 2021 में 1 हज़ार 10। मतलब 4 सालों में 40 केस ज़्यादा आए, लगभग 4 फ़ीसदी का उछाल जो कि 1000 केस के हिसाब से बहुत बड़ा नंबर नहीं है। गुजरात में 2018 में सबसे ज़्यादा 1 हज़ार 72 केस दर्ज किए गए थे। पिछले दस सालों का हिसाब निकालें तो भी गुजरात में हत्याओं का आंकड़ा कभी बहुत ज़्यादा नहीं रहा है। और आबादी के हिसाब से तो ये नंबर और भी कम हैं।

अच्छा आपको याद होगा, पिछले दिनों आलिया भट्ट की एक फ़िल्म आई थी ‘डार्लिंग्स’, जिसमें महिलाओं पर होने वाले अत्याचार को दिखाया गया है। कैसे आलिया भट्ट का पति उस पर अत्याचार करता है, फिर आलिया भट्ट और उसकी ऑनस्क्रीन माँ शेफ़ाली शाह उसके पति से कैसे बदला निकालती हैं। उस फ़िल्म को कैसे भी रीव्यूज़ मिले हों, अच्छी बात ये है कि ऐसी कहानियाँ गुजरात में रोज़ होने वाली घटना नहीं है, कम से कम NCRB के आँकड़ों के हिसाब से। बल्कि महिला उत्पीड़न के मामलों में कमी आई है। 2017 में जहाँ 8,133 अपराध के केस दर्ज किए गए थे, वहीं 2021 में 7 हज़ार 348 केस दर्ज किए गए, मतलब लगभग 10 प्रतिशत की गिरावट। 2013 के मुक़ाबले ये संख्या बहुत कम लगती है, जब 12 हज़ार 283 केस दर्ज हुए।

महिलाओं पर परिवार में होने वाले उत्पीड़न और अत्याचार के साथ ही समाज में रेप का कल्चर पूरे देश में हमेशा चर्चा का विषय रहता है। निर्भया कांड के बाद लोगों को उम्मीद थी कि आने वाले सालों में इसमें कमी आएगी। गुजरात में इसके हाल फ़िलहाल तो बदलते नहीं दिखाई देते हैं। महिलाओं पर होने वाले जघन्य अपराधों की बात करें तो रेप के ऐसे मामले हैं, जो गुजरात में बढ़े हैं। 2017 में जहाँ पर इसके 479 केस दर्ज हुए थे, जो 2021 में बढ़कर 589 हो गए, जो कि पिछले पाँच सालों में सबसे ज़्यादा हैं। मतलब बीते 5 सालों में होने वाले रेप कल्चर में लगभग 23 फ़ीसदी का उछाल आया है।

बात डार्लिंग्स की हुई थी, सिंघम की भी होनी चाहिए। सच मानिए, सिंघम का तो नहीं पता लेकिन अच्छी बात ये भी है कि यहाँ पर जयकांत शिकरे भी कम हुए हैं, जो गौतम भोसले यानि गोट्या की बेटी को उठा लें। किडनैपिंग यानि अपहरण जैसे अपराध गुजरात में पिछले 5 सालों में तेज़ी से कम हुए हैं। 2017 में जहाँ सबसे ज़्यादा 2 हज़ार 182 केस दर्ज हुए थे, वो 2021 में आते आते 1 हज़ार 674 तक रह गए। मतलब लगभग 23 प्रतिशत की गिरावट। जो कि पिछले पाँच सालों के हिसाब से कम हो रहा है।

चोरी की घटनाओं में भी कमी आई है। 2017 के दौर में जहाँ सबसे ज़्यादा 15,378 चोरी के मामले दर्ज हुए, वहीं 2021 तक आते-आते 10,771 तक आ गए हैं। एक बड़ी गिरावट, लगभग 30 फ़ीसदी की गिरावट।

अनुसूचित जातियों पर होने वाले अपराध, एक ऐसा अपराध है, जिस पर सालों से रिपोर्ट होती आई हैं। न जाने कितनी ही फ़िल्में हैं, जहाँ पर अनुसूचित जातियों पर होने वाले अपराधों को कभी डायरेक्टली कभी इनडायरेक्टली दिखाया जाता है। गुजरात के पाँच सालों का ट्रैक रिकॉर्ड निकाल कर देखें, तो इसमें गिरावट आई है। 2017 में जहाँ सबसे ज़्यादा इसके 1 हज़ार 477 मामले दर्ज हुए, जो 2021 में घटकर 1 हज़ार 201 आ गए हैं, लगभग 19 फ़ीसदी की कमी। लेकिन अगर इसकी बड़ी तस्वीर देखें, 10 साल का रिकॉर्ड देखें तो मामले बढ़े हैं। 2013 से 2017 तक इसके मामले 1 हज़ार 190 से बढ़कर 1 हज़ार 477 तक पहुँचे हैं। 10 सालों की रिपोर्ट में ये मामले बढ़े हैं और फिर कम होते आ रहे हैं।

अनुसूचित जनजातियों पर होने वाले अपराधों पर नज़र डालें तो बीते 5 सालों में हालात बदतर ही हुए हैं। आपने कहीं न कहीं अख़बारों में या टीवी पर देखा होगा इस तरह के अपराधों को ख़बरों में जगह पाते। आर्टिकल 15 जैसी फ़िल्में भी बन चुकी हैं। लेकिन कोई ख़ास सुधार नहीं है। 2017 में 319 और 2021 में 341 मामले दर्ज हुए। लगभग 7 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा, लेकिन ख़राब बात ये है कि ये आँकड़े 2012 से बढ़ ही रहे हैं। 2012 में इसके 221 मामले रिपोर्ट हुए थे। लगभग 54 प्रतिशत का बड़ा अंतर।  

तो कुछ ऐसा है गुजरात के क्राइम का रिपोर्ट कार्ड। नेशनल लेवल पर पूरे देश का औसत क्राइम रेट 30.2 है, और गुजरात का 11.9। एवरेज मर्डर क्राइम रेट 2.1 है और गुजरात का 1.4। किडनैपिंग का क्राइम रेट भी धीरे-धीरे गिर रहा है। 2018 में 3.0, 2019 में 2.7 और अब 2.3 पर आ गया है जबकि देश का औसत कैडनैपिंग क्राइम रेट 7.4 है, गुजरात से कहीं ज़्यादा।

तो ये था गुजरात के बीते पाँच सालों का लेखा-जोखा। गुजरात में रहना किसी दूसरे प्रदेश की तुलना में कितना आसान कितना मुश्किल है। आप इन आँकड़ों के ज़रिए अंदाज़ा लगा सकते हैं।

गुजरात के चुनावों से जुड़ी ऐसी ही रिपोर्ट्स को हम आप तक पहुँचाते रहेंगे। FYI के इस एपिसोड में इतना ही।

मैं हूँ मंगलम् भारत, सुनते रहें ABP LIVE PODCAST. धन्यवाद.

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