India in UN: क्लाइमेट चेंज पर UNSC के प्रस्ताव के खिलाफ भारत ने क्यों दिया वोट, बताई यह वजह
Climate Change: भारत ने यूनाइटेड नेशन्स सिक्योरिटी काउंसिल (यूएनएससी) के उस मसौदा प्रस्ताव के खिलाफ सोमवार को वोट किया, जिसमें क्लाइमेंट चेंज को वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों से जोड़ने की बात की गई है.

United Nations: भारत ने यूनाइटेड नेशन्स सिक्योरिटी काउंसिल (यूएनएससी) के उस मसौदा प्रस्ताव के खिलाफ सोमवार को वोट किया, जिसमें क्लाइमेंट चेंज को वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों से जोड़ने की बात की गई है. भारत ने तर्क दिया कि यह कदम ग्लासगो में कड़ी मेहनत से किए गए सर्वसम्मत समझौतों को कमजोर करने की कोशिश है.
यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने कहा, जब क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए कदम उठाने और जलवायु न्याय की बात आती है, तो भारत सबसे आगे रहता है, लेकिन सिक्योरिटी काउंसिल इनमें से किसी भी मामले पर चर्चा करने की जगह नहीं है. बल्कि, ऐसा करने की कोशिश सही प्लेटफॉर्म पर जिम्मेदारी से बचने और कदम उठाने की अनिच्छा से दुनिया का ध्यान भटकाने की इच्छा से प्रेरित महसूस होती है.
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उन्होंने भारत के फैसले का कारण बताते हुए कहा, आज का यूएनएससी प्रस्ताव ग्लासगो में बनी आम सहमति को कमजोर करने का प्रयास है. यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र की वृहद सदस्यता के बीच केवल कलह के बीज बोएगा. तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत के पास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था.
#WATCH | Today, India voted against a UNSC draft resolution that attempted to securitize climate action and undermine the hard-won consensual agreements in Glasgow: Permanent Mission of India to the United Nations, New York pic.twitter.com/HM1vfn6c2A
— ANI (@ANI) December 13, 2021
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने की भारत की प्रतिबद्धता को लेकर कोई संशय नहीं होना चाहिए और वह ‘‘जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वास्तविक कार्रवाई व गंभीर जलवायु न्याय का हमेशा समर्थन करेगा.
रूस ने जलवायु परिवर्तन को अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए खतरा बताने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अपनी तरह के इस पहले प्रस्ताव के खिलाफ वीटो का इस्तेमाल किया.
आयरलैंड और नाइजर के नेतृत्व में पेश किए गए प्रस्ताव ने जलवायु परिवर्तन के सुरक्षा प्रभावों संबंधी जानकारी शामिल करने का आह्वान किया था ताकि परिषद ‘‘संघर्ष या जोखिम बढ़ाने वाले कारकों के मूल कारणों पर पर्याप्त ध्यान दे सके.’’ इस प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र महासचिव से जलवायु संबंधी सुरक्षा जोखिमों को संघर्ष निवारण रणनीतियों का "एक केंद्रीय घटक" बनाने के लिए भी कहा गया है.
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