क्या है स्पेस फोर्स और स्पेसकॉम, जो बना अमेरिका की सुरक्षा की रीढ़, जानें कैसे करता है काम?
2019 में स्पेस फोर्स और स्पेसकॉम की स्थापना कई जोखिम को ध्यान में रखकर की गई थी. स्पेस फोर्स का काम है कर्मियों की भर्ती, ट्रेनिंग और उपकरण उपलब्ध कराना, जबकि स्पेसकॉम ऑपरेशन को अंजाम देता है.

रूस ने 2022 में जब यूक्रेन के कम्युनिकेशन सिस्टम पर हमला किया, तब यूक्रेन की सेना ने एक कमर्शियल सैटेलाइट सिस्टम का सहारा लिया. इस सिस्टम के जरिए, उन्हें इंटरनेट मिला, जिसमें 7,000 से ज्यादा सैटेलाइट्स काम कर रहे थे. इससे युद्ध के दौरान संचार बनाए रखने, ड्रोन चलाने और रियल-टाइम इमेजरी से रूसी सेना की मूवमेंट पर नजर रखने में मदद मिली.
कमर्शियल स्पेस टेक्नोलॉजी से आया बड़ा बदलाव
युद्ध में कमर्शियल स्पेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल एक बड़ा बदलाव साबित हुआ. इससे साफ हुआ कि जिन देशों के पास खुद का स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर कम है, वे भी युद्ध के समय अंतरिक्ष आधारित तकनीक का फायदा उठा सकते हैं. Defense.gov की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी स्पेस कमांड के जनरल स्टीफन व्हाइटिंग ने इस बारे में कहा, "अब अंतरिक्ष तेजी से कमर्शियल हो रहा है और चीन और रूस जैसे देशों से नई तरह की चुनौतियां सामने आ रही हैं.
अमेरिका को सबसे बड़ा खतरा किससे?
जनरल व्हाइटिंग ने कहा, "पिछले 10 से 15 सालों में अमेरिकी कमर्शियल स्पेस इंडस्ट्री इनोवेशन की सबसे बड़ी ताकत बन गई है." उन्होंने उदाहरण के तौर पर री-यूजेबल रॉकेट और बड़ी सैटेलाइट कॉन्स्टेलेशंस का जिक्र किया. उन्होंने बताया कि ये तकनीकी प्रगति दुनिया भर में सेवाएं और सैन्य ऑपरेशन मजबूत करती हैं, लेकिन इसके साथ नई चुनौतियां भी सामने आई हैं. उनके अनुसार, प्रतिद्वंद्वी देशों के पास ऐसे साइबर टूल्स, जैमर्स, लेजर, डायरेक्ट असेंट एंटी-सैटेलाइट हथियार और को-ऑर्बिटल सिस्टम मौजूद हैं, जो अमेरिका की अंतरिक्ष क्षमताओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
व्हाइटिंग ने हाल की उन खबरों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी जिनमें दावा किया गया है कि रूस अंतरिक्ष में परमाणु हथियार विकसित करने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने इसे बेहद गैर-जिम्मेदाराना बताया और कहा कि ऐसा कदम सैटेलाइट नेटवर्क को गंभीर रूप से बाधित कर सकता है, जो आम लोगों की जिंदगी और सैन्य तैयारियों दोनों के लिए बेहद अहम है.
जनरल व्हाइटिंग ने कहा, "हम अपने देश की रक्षा अंतरिक्ष क्षमताओं के बिना नहीं कर सकते." उन्होंने बताया कि 1991 की खाड़ी युद्ध (Gulf War) से ही विरोधी देश अमेरिका की स्पेस पर निर्भरता का अध्ययन कर रहे हैं.
रूस-चीन के टेस्ट ने बढ़ाई चिंता
जनरल व्हाइटिंग ने उदाहरण देते हुए कहा कि 2021 में रूस ने एंटी-सैटेलाइट टेस्ट किया था, जिससे 1,500 से ज्यादा मलबे के टुकड़े बने, वहीं चीन ने फ्रैक्शनल ऑर्बिटल बॉम्बार्डमेंट सिस्टम का परीक्षण किया. यह दिखाता है कि खतरे का दायरा लगातार बदल रहा है. उन्होंने चेताया कि आज की रोज़मर्रा की जरूरतें जैसे वित्तीय लेन-देन, इमरजेंसी सेवाएं और नेविगेशन ऐप्स, सब GPS पर निर्भर हैं, जिसे स्पेस कॉन्फ्लिक्ट में बाधित किया जा सकता है.
क्यों बनीं स्पेस फोर्स और स्पेसकॉम
अमेरिका ने अपनी सुरक्षा रणनीति को मजबूत करने के लिए अंतरिक्ष पर खास ध्यान देना शुरू किया है. इसी कड़ी में दो बड़ी संस्थाएं बनाई गईं- यू.एस. स्पेस फोर्स (U.S. Space Force) और यू.एस. स्पेस कमांड (U.S. Space Command या SPACECOM). दोनों ही संस्थाओं की भूमिका राष्ट्रीय सुरक्षा और भविष्य के युद्ध की रणनीति में बेहद अहम मानी जा रही है.
- US Space Force के मुताबिक, स्पेस फोर्स अमेरिका की नौवीं सैन्य शाखा है, जिसकी स्थापना 20 दिसंबर 2019 को हुई थी.
- इसका मकसद है- अंतरिक्ष से जुड़ी सुरक्षा, सैटेलाइट संचालन, GPS, कम्युनिकेशन और मौसम संबंधी सिस्टम को सुरक्षित रखना.
- यह उन सैनिकों (Guardians) को तैयार और प्रशिक्षित करती है जो अंतरिक्ष मिशनों पर काम करते हैं.
- स्पेस फोर्स के तीन बड़े हिस्से हैं- Space Operations Command (SpOC), Space Systems Command (SSC) और Training and Readiness Command (STARCOM)
क्या है स्पेसकॉम?
U.S. Space Command के मुताबिक, स्पेसकॉम अमेरिका की Unified Combatant Command है, जिसे रक्षा विभाग (DoD) के तहत काम करने का अधिकार है. इसकी स्थापना पहले 1985 में हुई थी, लेकिन 29 अगस्त 2019 को इसे फिर से एक्टिव किया गया. स्पेसकॉम का काम है अंतरिक्ष में किसी भी तरह के खतरे पर नजर रखना और युद्ध की स्थिति में स्पेस ऑपरेशंस करना. यह न सिर्फ स्पेस फोर्स बल्कि आर्मी, नेवी, एयरफोर्स और मरीन जैसी सभी शाखाओं के साथ मिलकर काम करता है.
क्यों अहम हैं ये दोनों संस्थाएं?
Chicago Council on Global Affairs के मुताबिक, अमेरिका की रोजमर्रा की ज़रूरतें जैसे GPS, फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन, नेविगेशन ऐप्स और इमरजेंसी सर्विसेस – सब अंतरिक्ष तकनीक पर निर्भर हैं. रूस और चीन जैसे देश एंटी-सैटेलाइट हथियार, साइबर टूल्स और लेज़र सिस्टम विकसित कर रहे हैं, जो अमेरिका की अंतरिक्ष सुरक्षा को चुनौती दे सकते हैं. इसी खतरे को देखते हुए अमेरिका ने स्पेस फोर्स और स्पेसकॉम को मिलकर काम करने की जिम्मेदारी दी है.
यूक्रेन से मिले तीन सबक
1. छोटे देश भी अब एडवांस्ड स्पेस क्षमताएं हासिल कर सकते हैं.
2. सैटेलाइट्स पर साइबर हमले एक बड़ा जोखिम हैं.
3. GPS, कम्युनिकेशन और इंटेलिजेंस जैसे स्पेस टूल्स युद्ध के मैदान में सफलता के लिए बेहद जरूरी हैं.
इन्हीं सबक के आधार पर स्पेसकॉम आज अपनी रणनीतियां बना रहा है, खासकर चीन की निगरानी (surveillance) को काउंटर करने के लिए. आखिर में व्हाइटिंग ने कहा, "हम अंतरिक्ष में युद्ध नहीं चाहते, लेकिन अगर ऐसा होता है तो हमें जीतने के लिए तैयार रहना होगा."
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