दक्षिण कोरियाई वैज्ञानिकों ने पहली बार सॉलिड्स में ढूंढ निकाले इलेक्ट्रॉनिक क्रिस्टलाइट्स, जानिए इसके बारे में
South Korean Scientists Discover Electronic crystallites: योनहाप समाचार एजेंसी ने बताया कि यह संरचना की दुनिया की पहली एक्सपेरिमेंटल डिस्कवरी है.
दक्षिण कोरियाई वैज्ञानिकों के एक समूह ने दुनिया में पहली बार एक ठोस पदार्थ में इलेक्ट्रॉनिक क्रिस्टलाइट्स की खोज की है, जिससे उच्च तापमान सुपरकंडक्टिविटी पर अध्ययन में प्रगति करने में मदद मिलने की उम्मीद है. सोल में योनसेई विश्वविद्यालय में प्रोफेसर किम केउन-सु के नेतृत्व में एक शोध दल ने ये कारनामा कर दिखाया.
दक्षिण कोरिया के विज्ञान और आईसीटी मंत्रालय के अनुसार, एक प्रमुख विज्ञान पत्रिका नेचर में "इलेक्ट्रॉनिक रोटन एंड विग्नर क्रिस्टलाइट्स इन अ टू डायमेंशनल डाइपोल लिक्विड " शीर्षक से एक पेपर पोस्ट किया.
योनहाप समाचार एजेंसी ने बताया कि यह संरचना की दुनिया की पहली एक्सपेरिमेंटल डिस्कवरी है, जिसका सिद्धांत हंगेरियन अमेरिकी भौतिक विज्ञानी यूजीन विग्नर ने 1934 में दिया था.
विग्नर क्रिस्टल कम इलेक्ट्रॉन घनत्व पर इलेक्ट्रॉनों के बीच मजबूत प्रतिकर्षण द्वारा सक्षम इलेक्ट्रॉनों की गैस का एक ठोस या क्रिस्टलीय गठन है. आम तौर पर, क्रिस्टल निर्माण को परमाणुओं के बीच आकर्षण के रूप में समझा जाता है.
किम ने कहा, "अब तक, वैज्ञानिकों के पास इलेक्ट्रॉनों की एक द्विभाजक (दो बराबर भागों में बांटने वाली) धारणा थी, क्रम वाले और बिना क्रम वाले, लेकिन हमारे शोध में शॉर्ट-रेंज क्रिस्टलीय क्रम वाले तीसरे प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक क्रिस्टलाइट्स पाए गए."
किम की टीम द्वारा की गई खोज से उम्मीद है कि आधुनिक भौतिकी में लंबे समय से चली आ रही समस्याओं, उच्च तापमान सुपरकंडक्टिविटी और सुपरफ्लूडिटी को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी.
उच्च तापमान वाले सुपरकंडक्टर, महत्वपूर्ण तापमान वाले पदार्थ, ऊर्जा, परिवहन और चिकित्सा उद्योगों में नवाचारों को बनाने की क्षमता रखते हैं क्योंकि उन्हें लिक्विड नाइट्रोजन से आसानी से ठंडा किया जा सकता है.
सुपरफ्लुइड्स को हेल्थकेयर, इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग और अन्य में संभावित व्यावहारिक उपयोग के लिए भी जाना जाता है. किम ने कहा कि उनकी टीम ने क्षार धातुओं से डोप किए गए इलेक्ट्रॉनों के ऊर्जा-गति संबंध को मापते हुए 1 से 2 नैनोमीटर आकार के एक इलेक्ट्रॉनिक क्रिस्टलाइट को देखा.