एक्सप्लोरर

रूस के खिलाफ ‘कुलीन वर्ग’ को निशाना बनाकर लगाया गया प्रतिबंध, लेकिन क्या यह तरीका ईरान में कारगर रहा?

रूस के कुलीन वर्ग को प्रभावित करने वाले प्रतिबंध लगाकर स्थिति को बदला जा सकता है, लेकिन इससे पूरी रूसी अर्थव्यवस्था के पंगु बनने की भी संभावना है.

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद लगाए गए प्रतिबंधों के लिए ‘‘व्यापक’’ और ‘‘गंभीर’’ जैसे शब्दों के अलावा ‘‘लक्षित’’ शब्द का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वोन डेर लेयेन ने अकसर इनका जिक्र करते हुए ‘‘व्यापक, लक्षित प्रतिबंधों के पैकेज’’ शब्दों का इस्तेमाल किया है। तो आखिर निशाना किसे बनाया जा रहा है?

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने कहा कि कनाडा के प्रतिबंधों के जरिए ‘‘युद्ध में सहयोग करने वाले रूसी कुलीन वर्ग’’ को निशाना बनाया जाएगा. ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रस ने तर्क दिया कि इन प्रतिबंधों से ‘‘पुतिन के शासन और उनके करीबी लोगों पर’’ असर पड़ेगा. यूरोपीय आयोग के अनुसार, कुलीन वर्ग को निशाना बनाने का मकसद ‘‘नीति या गतिविधि में बदलाव लाना होता’’ है. यदि प्रतिबंध शक्तिशाली लोगों की लागत-लाभ गणना को बदल सकते हैं, जो इससे नीति में बदलाव आ सकता है.

ईरान में कुलीन वर्ग को निशाना बनाना

हमारे आगामी शोधपत्र ‘ईरान में कुलीन नीति निर्माताओं के आर्थिक हित एवं प्रतिबंध’ में हमने इस संबंध में जांच की है कि यह तरीका कैसे काम करता है. हमारे अध्ययन में 2015 परमाणु समझौते से पहले ईरान पर लगाए गए बहुपक्षीय प्रतिबंधों का भी अध्ययन किया गया. ईरान के परमाणु कार्यक्रम के कारण उस पर ये प्रतिबंध लगाए गए और इनका लक्ष्य ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना था.

रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों की तरह ईरान की भी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय पहुंच सीमित की गई, (तेल और ऑटोमोटिव जैसे) समस्त उद्योगों पर प्रतिबंध लगाए गए और निश्चित कंपनियों या लोगों की संपत्तियों के लेन-देन पर रोक (फ्रीज) करने जैसे कई अन्य कदम उठाए गए. समझौते संबंधी वार्ता के दौरान इन प्रतिबंधों ने ‘‘चारे’’ की तरह काम किया. यदि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने पर राजी होता, तो उसे बदले में प्रतिबंधों से राहत मिलती, लेकिन इससे ईरान में कुलीन नीति निर्माताओं को क्या लाभ होता?

हमारे शोध में परमाणु कार्यक्रम पर अहम राजनीतिक प्रभाव वाले सर्वोच्च नेता अली खामेनेई और ‘इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) पर ध्यान केंद्रित किया गया. महत्वपूर्ण बात यह है कि सर्वोच्च नेता (सेटैड के नाम से जाने जाने वाले संगठन के माध्यम से) और आईआरजीसी बड़ी मात्रा में आर्थिक संपत्तियों को नियंत्रित करते हैं.

बाजार ने प्रतिक्रिया दी

हमारे अध्ययन में पाया गया कि जब वार्ता समझौता करने के करीब पहुंची, तो सेटैड के मालिकाना हक वाली कंपनियों और आईआरजीसी दोनों को शेयर बाजार में लाभ हुआ. ईरान के साथ वार्ता के दौरान 2013 अंतरिम जिनेवा समझौता होने के बाद उसके शेयर बाजार को तत्काल मजबूती मिली.

रूस पर प्रतिबंधों के लिए सबक

ईरान की तरह रूस के कुलीन वर्ग की पूंजियों के बारे में भी विश्वसनीय जानकारी प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन प्रतिबंध कड़े किए जाने या संघर्ष का कूटनीतिक समाधान संभव दिखने पर कुलीन वर्ग के मुख्य सदस्यों की शेयर बाजार में ज्ञात निधि पर आए बदलावों पर नजर रखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. इसके अलावा कुलीन वर्गों की सुख-सुविधाओं तक पहुंच भी एक अन्य संभावित संकेतक है.

इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि प्रतिबंधों के कारण ईरान की समग्र अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान हुआ है. रूस के कुलीन वर्ग को प्रभावित करने वाले प्रतिबंध लगाकर स्थिति को बदला जा सकता है, लेकिन इससे पूरी रूसी अर्थव्यवस्था के पंगु बनने की भी संभावना है.

ये भी पढ़ें:

UP Election Results: बीजेपी से लेकर SP तक... कितने महिला-पुरुषों ने किस पार्टी को किया वोट? किन मुद्दों को बनाया आधार?

 अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी को बताया बीजेपी का एजेंट, बोले- कांग्रेस नहीं होती तो दीदी जैसे नेता नहीं होते

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Indian Railways: फ्लाइट ही नहीं, अब ट्रेन से भी जा सकेंगे बांग्लादेश! भारत के इस हिस्से में बना रेलवे लिंक ब्रिज
फ्लाइट ही नहीं, अब ट्रेन से भी जा सकेंगे बांग्लादेश! भारत के इस हिस्से में बना रेलवे लिंक ब्रिज
Punjab News: अमृतसर से कांग्रेस उम्मीदवार गुरजीत औजला की रैली में चली गोली, फायरिंग में युवक जख्मी
अमृतसर से कांग्रेस उम्मीदवार गुरजीत औजला की रैली में चली गोली, फायरिंग में युवक जख्मी
सुपरस्टार जिसने 25 सालों से नहीं खाई अपनी फेवरेट चीज, होता है पछतावा, पहचाना क्या?
सुपरस्टार जिसने 25 सालों से नहीं खाई अपनी फेवरेट चीज, जानें कौन हैं वो
'मोदी नगर की शिकंजी, छोले भटूरे', विराट कोहली और सुरेश रैना ने की खास बातचीत, बताए अनसुने किस्से
'मोदी नगर की शिकंजी, छोले भटूरे', कोहली और रैना ने बताए अनसुने किस्से
Advertisement
for smartphones
and tablets

वीडियोज

Swati Maliwal Case: दिल्ली पुलिस ने बिभव को हिरासत में लिया | Breaking | Arvind Kejriwalदुपहर में खाना खाने के बाद सोने से बचें  #shorts | Health LiveSwati Maliwal Case: सीएम आवास पर स्वाती मालीवाल के साथ मारपीट मामले पर राजनीति गर्म | ABP NewsAaj Ka Rashifal 19 May 2024: इन 6 राशिवालों पर सूर्य देव बरसाएंगे अपनी कृपा

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Indian Railways: फ्लाइट ही नहीं, अब ट्रेन से भी जा सकेंगे बांग्लादेश! भारत के इस हिस्से में बना रेलवे लिंक ब्रिज
फ्लाइट ही नहीं, अब ट्रेन से भी जा सकेंगे बांग्लादेश! भारत के इस हिस्से में बना रेलवे लिंक ब्रिज
Punjab News: अमृतसर से कांग्रेस उम्मीदवार गुरजीत औजला की रैली में चली गोली, फायरिंग में युवक जख्मी
अमृतसर से कांग्रेस उम्मीदवार गुरजीत औजला की रैली में चली गोली, फायरिंग में युवक जख्मी
सुपरस्टार जिसने 25 सालों से नहीं खाई अपनी फेवरेट चीज, होता है पछतावा, पहचाना क्या?
सुपरस्टार जिसने 25 सालों से नहीं खाई अपनी फेवरेट चीज, जानें कौन हैं वो
'मोदी नगर की शिकंजी, छोले भटूरे', विराट कोहली और सुरेश रैना ने की खास बातचीत, बताए अनसुने किस्से
'मोदी नगर की शिकंजी, छोले भटूरे', कोहली और रैना ने बताए अनसुने किस्से
Narayanan Vaghul: आईसीआईसीआई बैंक को जन्म देने वाले दिग्गज बैंकर नारायणन वघुल ने ली अंतिम सांस
आईसीआईसीआई बैंक को जन्म देने वाले दिग्गज बैंकर नारायणन वघुल ने ली अंतिम सांस
Walnut Benefits: गर्मियों में क्या अखरोट खा सकते हैं? एक दिन में कितना खाना है सही
गर्मियों में क्या अखरोट खा सकते हैं? एक दिन में कितना खाना है सही
Alia Bhatt की मां Soni Rajdan के साथ हुआ स्कैम, आपके साथ भी हो सकता है धोखा! ऐसे बचें
आलिया भट्ट की मां के साथ हुआ स्कैम, आपके साथ भी हो सकता है धोखा! ऐसे बचें
देखिए 2024 Maruti Swift ऑटोमेटिक का रिव्यू, क्या खरीदने लायक है यह स्पोर्टी हैचबैक?
देखिए 2024 Maruti Swift ऑटोमेटिक का रिव्यू, क्या खरीदने लायक है यह स्पोर्टी हैचबैक?
Embed widget