संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने कहा- म्यांमार से बिना शर्त हो रायटर्स के दोनों पत्रकारों की रिहाई
म्यांमार में रायटर्स के दो पत्रकारों को सात साल जेल की सजा पर संयुक्त राष्ट्र की नई मानवाधिकार प्रमुख मिशेल ने अपने बयान में कहा, "ये मुकदमा न्याय का मजाक है. मैं म्यांमार से बिना शर्त दोनों पत्रकारों की रिहाई का आग्रह करती हूं."

जेनेवा: संयुक्त राष्ट्र की नई मानवाधिकार प्रमुख और चिली की पूर्व राष्ट्रपति मिशेल बाचेलेट ने कहा कि म्यांमार में रायटर्स के दो पत्रकारों को सात साल जेल की सजा से वह 'हैरान' हैं और उन्होंने पत्रकारों को तुरंत रिहा किये जाने की अपील की है. उन्होंने अपने बयान में कहा, "ये मुकदमा न्याय का मजाक है. मैं म्यांमार से बिना शर्त दोनों पत्रकारों की रिहाई का आग्रह करती हूं."
फैसले के खिलाफ ब्रिटेन इसके बाद ब्रिटेन ने भी दोनों पत्रकारों वा लोन (32) और क्याव सो ऊ (28) को तुरंत रिहा किये जाने की मांग करते हुए कहा है कि यह फैसला मीडिया की स्वतंत्रता पर बड़ा हमला है. प्रधानमंत्री थेरेसा मे के प्रवक्ता ने कहा, "हम इस फैसले और सजा से बहुत निराश हैं और हम अपील करते हैं कि पत्रकारों को फौरन रिहा किया जाना चहिए." म्यांमार में ब्रिटिश राजदूत डैन चग ने भी इस फैसले की निंदा करते हुए कहा कि वो फैसले से 'बेहद निराश' हैं, "न्यायाधीश ने सबूतों की अनदेखी की है."
रॉयटर्स तय करेगा भविष्य की रणनिती अपने पत्रकारों की सजा पर रॉयटर्स के मुख्य संपादक स्टीफन एडलर ने कहा, "आज म्यांमार, रॉयटर्स पत्रकारों वा लोन, क्यॉ सो ऊ और प्रेस की स्वतंत्रता के लिए एक दुखद दिन है." उन्होंने कहा कि संस्थान आने वाले दिनों में देखेगा कि इस मामले में कैसे आगे बढ़ा जाए, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय मंच से राहत मांगना भी शामिल है.
मलेशिया: लेस्बियन संबंधों के लिए दो महिलाओं को मारे गए 6-6 कोड़े
पत्रकारों को सजा सुनाने के मामले में पूरे विश्व में म्यांमार की चौतरफा निंदा हो रही है. म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र के रेजीडेंट कन्यूट ओट्सबी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने लगातार पत्रकारों को रिहा करने का आग्रह किया था और कहा कि 'शांति, न्याय और सबके मानवाधिकारों के लिए एक स्वतंत्र प्रेस आवश्यक है. हम अदालत के आज के फैसले से बेहद निराश हैं.'
बीबीसी ने कहा है कि कई लोग इस फैसले को म्यांमार में प्रेस की आजादी को कुचलने के तौर पर देखेंगे, जो स्वतंत्र चुनाव में आंग सान सू की पार्टी की जीत के तीन साल बाद लोकतंत्र के लिए एक और झटका है.
क्या है पूरा मामला रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की जांच के दौरान 'स्टेट सीक्रेट्स एक्ट' का उल्लंघन करने के आरोप में सोमवार को रॉयटर्स के दो संवाददाताओं को सात साल जेल की सजा सुनाई गई है. सजा सुनाते वक्त न्यायाधीश ये लविन ने यंगून में अदालत में कहा कि दोनों का इरादा राज्य के हितों को नुकसान पहुंचाने का था और इसलिए वे स्टेट सीक्रेट्स एक्ट के तहत दोषी पाए गए हैं.
लोन और सो उत्तरी रखाइन राज्य में सेना द्वारा की गई 10 पुरुषों की हत्या मामले में सबूत इकट्ठा कर रहे थे. इस दौरान, उन्हें दो पुलिस अधिकारियों ने दस्तावेजों की पेशकश की थी. समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, पुलिस अधिकारियों से मुलाकात के बाद दोनों संवाददाताओं वा लोन और कायो सोऊ को 12 दिसंबर 2017 की रात को गिरफ्तार कर लिया गया था.
पत्रकारों को तब से बिना जमानत के हिरासत में रखा गया है. मामले की जांच 9 जनवरी से शुरू हुई और आरोप औपचारिक रूप से 9 जुलाई को दाखिल किए गए थे. पुलिस कप्तान मोए यान नाइंग ने अप्रैल में गवाही दी थी कि एक वरिष्ठ अधिकारी ने उसे वा लोन को गुप्त दस्तावेज देने का आदेश दिया था. गिरफ्तार पत्रकार रखाइन में दर्जनों रोहिंग्याओं की हत्या की जांच कर रहे थे.
32 वर्षीय लोन ने फैसले के बाद खुद को निर्दोष बताते हुए कहा, "मुझे कोई डर नहीं है. मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है. मैं न्याय, लोकतंत्र और आजादी में विश्वास करता हूं." दोनों पत्रकारों ने आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने उन्हें बेवजह इस पूरे मामले में फंसाया है.
ये भी देखें
तेल की कीमतों में 11वें दिन भी रिकॉर्ड बढ़ोतरी, सरकार का बयान- दामों पर हमारा नियंत्रण नहीं
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL























