Pakistani Media: पाकिस्तान में 'तानाशाही'! प्रेस की आजादी को बड़ा झटका, सेना-सरकार की आलोचना करने वाले 11 लोगों पर लगा बैन
Pakistan: सरकार ने बैन किए गए व्यक्तियों की किसी भी खबर, रिपोर्ट, बयान या टिकर के टेलीकास्ट करने पर रोक लगा दी. PEMRA ने निर्देशों के उल्लंघन के मामले में समाचार चैनलों को गंभीर दंड की चेतावनी दी है.
Pakistani Media Ban: इस वक्त पाकिस्तान नकदी संकट से जूझ रहा है. इस बीच पाकिस्तान ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को तुगलकी फरमान जारी किया है. पाकिस्तान में प्रेस की आजादी को बड़ा झटका देते हुए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों सहित 11 लोगों को एयर स्पेस देने से रोक लगा दी गई. इन लोगों पर आरोप है कि इन्होंने शहबाज शरीफ की नेतृत्व वाली पिछली सरकार और सेना के खिलाफ आलोचना की थी.
PTI के रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी (PEMRA) ने शनिवार (13 अगस्त) को एक निर्देश जारी किया. PEMRA ने सिंध हाई कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया कि ऐसे लोग टेलीविजन पर दिखने जैसे अधिकारों का आनंद नहीं ले सकते हैं. PEMRA निर्देश में यह भी कहा गया है कि PEMRA अध्यादेश 2002 की धारा 27 के तहत इसके ओर से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर अपराधी घोषित किए जा रहे उपरोक्त व्यक्तियों के मीडिया कवरेज पर रोक लगाई जाती है.
समाचार चैनलों को गंभीर चेतावनी
PEMRA ने बैन किए गए व्यक्तियों की किसी भी खबर, रिपोर्ट, बयान या टिकर के टेलीकास्ट करने पर रोक लगा दी. डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक PEMRA ने निर्देशों के उल्लंघन के मामले में समाचार चैनलों को गंभीर दंड की चेतावनी दी है. इसके अलावा PEMRA ने मामले को शिकायत परिषद के पास भी भेज दिया है.
PEMRA ने जिन 11 लोगों को पर रोक लगाई है उनमें, साबिर शाकिर, मोइद पीरजादा, वजाहत सईद खान, शाहीन सहबाई, आदिल फारूक राजा, अली नवाज अवान, मुराद सईद और हम्माद अज़हर शामिल हैं.शाकिर, पीरज़ादा, सईद खान और सेहबाई ऐसे पत्रकार हैं, जिन्हें पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का समर्थक माना जाता है.
सईद, अवान और अज़हर खान की सरकार का हिस्सा थे. आदिल फारूक राजा एक पूर्व सेना प्रमुख हैं, जो ब्रिटेन में रहते हैं और खान के साथ किए गए व्यवहार के कारण सेना के आलोचक रहे हैं. इन लोगों को अलग-अलग मामलों में फंसाया गया है.
आलोचकों को चुप कराने की रणनीति
पाकिस्तान में आलोचकों को चुप कराने की एक परिचित रणनीति है. ऐसे लोगों को अदालतों के सामने पेश न होने पर अपराधी घोषित कर दिया गया है. ऐसा माना जाता है कि वे अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए देश से भाग गए हैं.
बता दें कि शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार का कार्यकाल समाप्त हो चुका है. उन्होंने अगले आम चुनाव तक देश को चलाने के लिए अनवारुल हक काकर को कार्यवाहक प्रधानमंत्री चुना है. वहीं इससे पहले उन्होंने 9 अगस्त को ही नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था.
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