India Canada Crisis: ट्रूडो सोच-समझकर चल रहे भारत के खिलाफ 'चाल'!, खालिस्तान के बहाने बन रहे चीन की ढाल
India Canada Conflict: कनाडा विदेशी हस्तक्षेप आयोग ने मई 2024 में चीन, रूस, भारत और पाक को उन देशों में पहचाना, जिन्होंने 2019 और 2021 चुनावी नतीजों को प्रभावित करने की कोशिश की. चीन सबसे टॉप र था.
India Canada Tension: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लिए सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. देश में अपनी घटती लोकप्रियता के बाद राजनीतिक लाभ के लिए बेशक उन्होंने भारत पर तमाम झूठे आरोप लगाए हों, लेकिन उनकी उलझनें और बढ़ती जा रही हैं. अब कनाडा की लिबरल पार्टी के अंदर ही उन्हें नेता के पद से हटाने की मांग उठ रही है.
वहीं, दूसरी ओर ये भी देखने में आ रहा है कि कनाडा में दखल के मामले में चीन भारत से कहीं आगे है, लेकिन ट्रूडो सिर्फ भारत को निशाना बना रहे हैं. बुधवार को ट्रूडो ने 2019 और 2021 के कनाडाई चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप की जांच करने वाले पैनल के सामने गवाही दी, जिसमें उन्होंने जीत हासिल की. यही कारण है कि ट्रूडो प्रशासन के भारत के साथ संघर्ष का समय कई सवालों को जन्म दे रहा है.
2019 और2021 में चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश की
मई 2024 में जारी विदेशी हस्तक्षेप पर प्रारंभिक रिपोर्ट में, कनाडा के विदेशी हस्तक्षेप आयोग ने चीन, रूस, ईरान, भारत और पाकिस्तान को उन देशों में पहचाना, जिन्होंने 2019 और 2021 में किसी न किसी तरह से चुनावों के नतीजों को प्रभावित करने की कोशिश की. दिलचस्प बात ये है कि इसमें कहा गया है कि चीन उन चुनावों में हस्तक्षेप करने वाले मुख्य अपराधी के रूप में सामने आया है. उन दोनों ही चुनावों में जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली लिबरल पार्टी ऑफ कनाडा ने जीत हासिल की थी.
अपनी पसंद के कई उम्मीदवारों को बढ़ाया आगे
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी चुनावों में निगरानी की कमी का फायदा चीन ने अपनी पसंद के उम्मीदवारों को आगे बढ़ाने और उन लोगों को रोकने के लिए उठाया है जिन्हें वह चीन विरोधी मानता है. जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी-कनाडाई हान डोंग को 2019 में चीन और उसके प्रतिनिधियों की मदद से चुना गया था. हान ट्रूडो की लिबरल पार्टी से हैं.
मुख्य संदिग्ध चीन, लेकिन निशाने पर है भारत
अप्रैल में कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा (CSIS) ने विदेशी हस्तक्षेप आयोग को बताया कि चीनी सरकार ने 2019 और 2021 के चुनावों में गुप्त रूप से और धोखे से हस्तक्षेप किया. 1 सितंबर, 2018 और 7 नवंबर 2023 के बीच भी, कनाडाई सांसदों की रिपोर्ट में कहा गया कि चीन कनाडा के लिए सबसे बड़ा विदेशी हस्तक्षेप खतरा बना हुआ है, जिसमें इसकी लोकतांत्रिक संस्थाएं और प्रक्रियाएं शामिल हैं. ट्रूडो और उनके अधिकारियों को भी यह पता है कि चीन मुख्य खतरा है, लेकिन ट्रूडो ने इन मामलों में ढिलाई बरती.
कई मामलों में दिखा है चीन का दखल
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में ऐसे ही एक मामले के बारे में बताया गया है कि कैसे ट्रूडो के शीर्ष सहयोगी, जिनमें प्रधानमंत्री के चीफ ऑफ स्टाफ, केटी टेलफोर्ड भी शामिल हैं, 2021 के आम चुनाव से पहले लिबरल पार्टी के पावर ब्रोकर, माइकल चैन पर जासूसी करने के लिए कनाडाई खुफिया विभाग की ओर से वारंट के अनुरोध को लेकर सरकार के व्यवहार के बारे में भी रक्षात्मक थे. बता दें कि चीन समर्थक चैन मार्खम शहर के डिप्टी मेयर हैं.
अब जब ये सारी बातें सामने आ रही हैं तो कनाडा में ही कुछ लोग पूछ रहे हैं कि क्या खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या को लेकर भारत पर फिर से किए जा रहे हमले ध्यान भटकाने की रणनीति है या चीन को बचाने के लिए भारत को दोषी ठहराने का प्रयास है.
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