'मैं बिना चेहरा ढके मरना चाहता हूं', 17 बरस पहले सद्दाम हुसैन की फांसी से पहले का वो मंजर
Saddam Hussein: 'द प्रिजनर इन हिज पैलेस' किताब में सद्दाम हुसैन की जिंदगी के आखिरी लम्हों के बारे में बताया गया है कि कैसे वह अपनी फांसी की सजा सुनने के बाद नहाने चला गया और अपना डर जाहिर नहीं होने दिया.
Saddam Hussein Last Words: सद्दाम हुसैन ने दो दशकों से ज्यादा समय तक इराक पर शासन किया था. उसका शासन 2003 में खत्म हो गया था. सद्दाम को 1982 में डैजिल शहर में अपने 148 विरोधियों की हत्या के लिए नवंबर 2006 में अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन कभी अमेरिका और ब्रिटेन को धमकी देने वाले शासक के जीवन के आखिरी लम्हें कैसे थे?
30 दिसंबर 2006 की सुबह में सद्दाम को जगाया गया और उसे बताया गया कि आज उसे फांसी दी जाएगी. हालांकि सद्दाम मानता था कि उसे कभी भी मौत की सजा नहीं दी जाएगी. जिस जगह पर सद्दाम को कैद किया गया था वहां उसकी सुरक्षा में 12 अमेरिकी गार्ड तैनात किए गए थे. इन्हीं में एक गार्ड ने एक किताब लिखी थी. किताब का शीर्षक था,'द प्रिजनर इन हिज पैलेस'.
रोने लगे थे अमेरिकी सुरक्षा गार्ड
इस किताब को विल बार्डेनॉरपर ने लिखा था. किताब में सद्दाम की जिंदगी के कुछ ऐसे पहलुओं के बारे में बताया गया है जिससे दुनिया अनजान थी. 'द प्रिजनर इन हिज पैलेस' में सद्दाम के आखिरी दिनों का भी जिक्र था. फांसी दिए जाने की खबर से सद्दाम टूट गया था लेकिन उसने सुरक्षा गार्ड के सामने इसे जाहिर नहीं होने दिया. वह शांत रहा और नहा कर के तैयार हो गया. जब 12 अमेरिकी सुरक्षा कर्मी उसे फांसी के तख्ते के नजदीक ले जा रहे थे, तब वह बिल्कुल शांत था. सुबह 6 बजे फांसी दी जानी थी.
फांसी के तख्ते के नजदीक पहुंचते ही उसके सिर पर काला कपड़ा डाला गया, लेकिन सद्दाम ने इसे पहनने से इनकार कर दिया. उसने कहा, "बिना चेहरा ढके मरना चाहता हूं." कथित तौर पर कहा जाता है कि जब सद्दाम फांसी के फंदे से झूलने लगा तब अमेरिकी सुरक्षा गार्ड उसे देखकर रोने लगे.
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