Facebook पर ब्लू टिक के लिए देना होगा कितना पैसा, यहां जानिए पूरी डिटेल्स
Facebook News: जुकरबर्ग के मुताबिक, अब ग्राहक रुपये देकर ब्लू बैज (ब्लू टिक), सेम आईडी वाले फर्जी खातों के खिलाफ सुरक्षा और कस्टमर सपोर्ट तक सीधी पहुंच प्राप्त कर सकेंगे.

Facebook Blue Tick: ट्विटर की तरह अब फेसबुक भी अपने ग्राहकों के लिए वेरिफाइड सब्सक्रिप्शन सर्विस लाया है. जल्द ही मेटा की कंपनी फेसबुक इस सर्विस को शुरू कर देगी. फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग ने इसकी घोषणा की है. उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट करते हुए इस बारे में जानकारी दी. इस सुविधा का लाभ लेने के लिए ग्राहकों को पैसे भी देने होंगे.
जुकरबर्ग ने पोस्ट में लिखा, ''इस हफ्ते हम मेटा वेरिफाइड शुरू कर रहे हैं, जो एक सब्सक्रिप्शन सर्विस है. यह सर्विस एक सरकारी पहचान पत्र के साथ आपको अपना अकाउंट सत्यापित करने देगी." इस सेवा का लाभ लेने के लिए यूजर को वेब आधारित सत्यापन के लिए 11.99 डॉलर (992.36 रुपये) प्रति महीने और iOS पर इस सेवा के लिए 14.99 डॉलर (1240.65 रुपये) प्रति महीने चुकाने होंगे.
सिक्योरिटी में हो जाएगी बढ़ोतरी
जुकरबर्ग के मुताबिक, अब ग्राहक रुपये देकर ब्लू बैज (ब्लू टिक), सेम आईडी वाले फर्जी खातों के खिलाफ सुरक्षा और कस्टमर सपोर्ट तक सीधी पहुंच प्राप्त कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि यह नया फीचर फेसबुक की सेवाओं में प्रामाणिकता सुरक्षा बढ़ाने के बारे में है. TechDroider ने कथित मेटा हेल्प सेंटर पेज से कुछ स्क्रीनशॉट साझा किए हैं. वे ट्विटर ब्लू की तरह एक मेटा-वेरिफाइड मेम्बरशिप का उल्लेख करते हैं. इसकी मेम्बरशिप लेने से यूजर्स अपनी प्रोफाइल के लिए एक वेरिफिकेशन बैज प्राप्त कर सकते हैं.
कहां-कहां शुरू हुई यह सर्विस?
मार्क जुकरबर्ग ने बताया कि मेटा की यह सुविधा इस सप्ताह ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में शुरू होगी. इसके अलावा अन्य देशों भी यह सर्विस जल्द ही शुरू कर दी जाएगी. हालांकि यह सर्विस भारत में कब शुरू होगी और इस सर्विस के अंतर्गत पुराने वैरीफाइड एकाउंट वाले आएंगे या नहीं, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है.
ट्विटर पहले ही कर चुका है एलान
इससे पहले माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर ने हाल ही में पेड सब्सक्रिप्शन सर्विस Twitter blue को लॉन्च किया था. भारत में ब्लू टिक लेने और प्रीमियम सब्सक्रिप्शन सर्विस के फीचर्स का इस्तेमाल करने के लिए मोबाइल यूजर्स को 900 रुपये प्रतिमाह चुकाने होंगे. इस सेवा को पहले अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और जापान समेत कुछ देशों में लॉन्च किया गया था.
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