Christmas 2025: 1700 साल पुरानी कहानी का वो किरदार जो बन गया रहस्य! दुनिया को कब और कैसे मिला सांता क्लॉज? जानें सब कुछ
Christmas 2025: क्रिसमस के मौके पर दुनिया भर में लाल कपड़े, सफेद दाढ़ी और गिफ्ट्स की पोटली लिए सांता क्लॉज की तस्वीर हर जगह दिखती है. लेकिन इस प्यारे किरदार की असली कहानी करीब 1700 साल पुरानी है.

सांता क्लॉज की असल कहानी करीब 1700 साल पुरानी है, जो तुर्किए के एक दयालु संत से शुरू होती है. आज का सांता क्लॉज असल में सेंट निकोलस थे, जिनकी अच्छाई ने उन्हें दुनिया का सबसे लोकप्रिय क्रिसमस आइकन बना दिया.
सेंट निकोलस की जिंदगी और उनकी अच्छाई
कहानी शुरू होती है साल 280 ईस्वी के आसपास. जगह थी पटारा, जो आज के तुर्कीए में है. तब रोमन साम्राज्य का शासन था. यहां एक अमीर परिवार में निकोलस का जन्म हुआ. उनके माता-पिता काफी धनी थे, लेकिन एक महामारी में दोनों की मौत हो गई. निकोलस के पास बेशुमार दौलत थी, लेकिन उन्होंने ऐश करने की बजाय गरीबों की मदद का रास्ता चुना.
उनके शहर में एक गरीब आदमी की तीन बेटियां थीं. गरीबी की वजह से पिता बेटियों की शादी नहीं कर पा रहा था और सोच रहा था कि उन्हें गलत रास्ते पर धकेल दे. निकोलस को यह पता चला. वे दिखावा नहीं चाहते थे, इसलिए रात में चुपके से गरीब के घर गए और खिड़की से सोने के सिक्कों की थैली फेंक दी. इससे पहली बेटी की शादी हो गई.
निकोलस ने यही काम दूसरी और तीसरी बेटी के लिए भी किया. तीसरी बार पिता ने उन्हें पकड़ लिया और पैरों पर गिर पड़े, लेकिन निकोलस ने कहा कि यह बात किसी को पता नहीं चलनी चाहिए.
'सीक्रेट गिफ्टिंग' देने की परंपरा शुरू
यहीं से 'सीक्रेट गिफ्टिंग' यानी गुप्त रूप से उपहार देने की परंपरा शुरू हुई. निकोलस बाद में मायरा शहर के बिशप बने. बिशप का मतलब चर्च के बड़े इलाके का मुख्य संरक्षक होता है. उन्होंने अपनी सादगी और अच्छाई से इतना नाम कमाया कि मौत के बाद उन्हें 'सेंट निकोलस' की उपाधि मिली. उनकी पुण्यतिथि 6 दिसंबर को 'सेंट निकोलस डे' के रूप में मनाई जाती है.
क्रिसमस से कैसे जुड़े सेंट निकोलस?
शुरू में यीशु के जन्म की कोई तय तारीख नहीं थी. 4वीं सदी में रोमन साम्राज्य ने 25 दिसंबर को क्रिसमस चुना, क्योंकि तब रोमन लोग इसी समय सूरज के 'दोबारा जन्म' का त्योहार मनाते थे. चर्च ने पुरानी परंपराओं को नया धार्मिक रंग दिया.
वक्त के साथ सेंट निकोलस की गिफ्ट देने वाली कहानियां क्रिसमस से जुड़ गईं. खासकर प्रोटेस्टेंट सुधार के बाद, जब संतों की पूजा कम हुई, तो गिफ्ट देने का रिवाज सीधे 24 दिसंबर की रात (क्रिसमस ईव) से जोड़ दिया गया.
दुनिया में सांता के अलग-अलग नाम
सांता क्लॉज को दुनिया के हर हिस्से में अलग नाम से पुकारा जाता है-
- तुर्कीए: सेंट निकोलस
- नीदरलैंड्स: सिंटरक्लास
- जर्मनी: पेल्ज निकेल (फर वाले निकोलस)
- फ्रांस: पेरे नोएल (क्रिसमस के पिता)
- रूस: डेड मोरोज (बर्फ वाले दादाजी)
अमेरिका में सांता कैसे पहुंचे और आज की शक्ल कैसे मिली?
17वीं-18वीं सदी में डच लोग अमेरिका बसने गए और अपनी संस्कृति के साथ 'सिंटरक्लास' को ले गए. अमेरिकियों की जुबान से यह नाम 'सांता क्लॉज' हो गया. 1822 में कवि क्लेमेंट क्लार्क मूर की कविता 'ए विजिट फ्रॉम सेंट निकोलस' ने सांता को आज की शक्ल दी, जो खुशमिजाज, गोल-मटोल, स्लेज पर आते हुए, जिसे 8 हिरण खींचते हैं.
सांता के लाल कपड़ों के बारे में कहा जाता है कि कोका-कोला कंपनी ने यह रंग दिया, लेकिन यह बात पूरी तरह सही नहीं है. असल में लाल रंग पहले से था, लेकिन कंपनी ने इसे और लोकप्रिय बना दिया. आज सांता क्लॉज सिर्फ एक धार्मिक किरदार नहीं, बल्कि क्रिसमस की खुशी और देने की भावना का प्रतीक बन गए हैं. उनकी कहानी बताती है कि अच्छाई कैसे सदियों तक जिंदा रहती है.
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