यूपी चुनाव: रायबरेली सीट पर पिता की विरासत को आगे बढ़ाने में जुटी बेटी

रायबरेली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के हृदयस्थल रायबरेली सदर विधानसभा क्षेत्र में लगातार छठी बार जीत की इबारत लिखने की जद्दोजहद जारी है. फर्क इतना है कि इस बार दौड़ की बेटन एक बेटी के हाथ में है.
नेहरू-गांधी परिवार के गढ़ रायबरेली की सदर सीट पर पिछले करीब 24 साल से अखिलेश सिंह का कब्जा है. साल 1993 से 2012 तक लगातार पांच बार इस सीट से विधायक चुने गये सिंह शुरआत में तीन बार कांग्रेस के टिकट से विधानसभा पहुंचे. उसके बाद वह साल 2007 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जबकि 2012 का विधानसभा चुनाव पीस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में जीते. इस बार उनकी बेटी अदिति सिंह इस सीट पर उनकी विरासत को आगे बढ़ाने में जुटी है.
उत्तरी कैरोलीना की नार्थ ड्यूट यूनीवर्सिटी से प्रबन्धन की डिग्री हासिल कर चुकी 29 सालीय अदिति इस बार रायबरेली सदर सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार हैं. बेहतर कॅरियर के बजाय सियासत की पथरीली जमीन को चुनने वाली अदिति अपने पिता द्वारा इस क्षेत्र में स्थापित किये गये राजनीतिक वर्चस्व को आगे बढ़ाने की दिशा में जोरदार आगाज के लिये मेहनत कर रही हैं. रायबरेली में कल मतदान के साथ ही अदिति का चुनावी भाग्य इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन में बंद हो जाएगा.
अदिति ने कहा ‘‘मैं अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हूं. मैं रायबरेली सदर क्षेत्र में पिछले कुछ वक्त से काम कर रही हूं और मुझे मतदाताओं से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है. मतदाताओं ने मेरे पिता पर भरोसा किया है, और अब मैं जनता की सेवा करना चाहती हूं.’’
साल 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपनी मां सोनिया के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र की सदर सीट पर अपने प्रत्याशी के पक्ष में जोरदार प्रचार किया था, लेकिन वह अखिलेश सिंह की मजबूती के आगे बेअसर रहा, और वह पीस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर लगातार पांचवीं बार विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे.
रायबरेली क्षेत्र में ‘रॉबिनहुड’ जैसी छवि रखने वाले अखिलेश सिंह के खिलाफ अनेक आपराधिक मामले दर्ज हैं. हालांकि सिंह के जीत के मत अंतर में पिछले तीन विधानसभा चुनावों में खासी गिरावट आयी है. साल 2002 में जहां वह 95 हजार 837 मतों से जीते थे, वहीं 2007 में जीत का अंतर घटकर 46 हजार 711 हो गया जबकि 2012 में यह और अधिक लुढ़ककर 29 हजार 494 हो गया.
बहरहाल, अदिति इस बात के लिये आश्वस्त हैं कि उनकी साफ छवि और उनके पिता के सहयोग से उनकी चुनावी नैया पार हो जाएगी. इस बार चुनाव में उनके सामने 12 उम्मीदवारों की चुनौती है, जिनमें बीजेपी की अनीता श्रीवास्तव और बीएसपी के शाहबाज खान प्रमुख हैं. राहुल और प्रियंका ने भी अदिति के पक्ष में प्रचार करके वोट मांगे.
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