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सपा बसपा गठबंधन पर रार: अपने बलबूते लड़ेंगे दोनों दल उप-चुनाव, मायावती ने कहा- अभी नहीं हुआ ‘ब्रेकअप’

बसपा प्रमुख ने हालांकि भविष्य में सपा के साथ फिर से गठबंधन के विकल्प को खुला रखते हुये कहा कि अभी हमारा कोई ‘ब्रेकअप’ नहीं हुआ है. वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी अपनी राह अलग करने का संकेत देते हुए कहा कि अगर रास्ते अलग-अलग हैं तो उसका स्वागत है.

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले बने सपा बसपा गठबंधन के फिलहाल खत्म होने के संकेत देते हुये दोनों दलों ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा की कुछ सीटों पर होने वाले संभावित उपचुनाव को अपने बलबूते लड़ने की मंगलवार को घोषणा कर दी.

बसपा प्रमुख ने हालांकि भविष्य में सपा के साथ फिर से गठबंधन के विकल्प को खुला रखते हुये कहा, ‘‘अभी हमारा कोई ‘ब्रेकअप’ नहीं हुआ है.’’ वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी अपनी राह अलग करने का संकेत देते हुए कहा कि अगर रास्ते अलग-अलग हैं तो उसका स्वागत है और उनकी पार्टी भी उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर अकेले उपचुनाव लड़ेगी.

गठबंधन को लोकसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिलने के लगभग दस दिन बाद मायावती ने दिल्ली में बयान जारी कर कहा कि अपने बलबूते उपचुनाव लड़ने की प्रमुख वजह राजनीतिक विवशता है.

उन्होंने सपा के साथ गठबंधन पर ‘परमानेंट ब्रेक’ लगने की अटकलों को खारिज करते हुये कहा, ‘‘सपा के लोगों ने इस चुनाव में एक अच्छा मौका तो गंवा दिया लेकिन आगे इन्हें इसी हिसाब से बहुत अधिक तैयारी करने की जरूरत है. अगर मुझे लगेगा कि सपा प्रमुख अपने राजनीतिक कार्यों को करने के साथ अपने लोगों को ‘मिशनरी’ बनाने में कामयाब हो जाते हैं, तो फिर हम लोग ज़रूर आगे भी मिलकर साथ चलेंगे. अर्थात अभी हमारा कोई ‘ब्रेकअप’ नहीं हुआ है.’’

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘अगर वे (अखिलेश) किसी कारणवश इस काम में सफल नहीं हो पाते हैं, तो फिर हम लोगों का अकेले ही चलना ज़्यादा बेहतर होगा. इसीलिए वर्तमान स्थिति में हमने उत्तर प्रदेश में कुछ सीटों पर होने वाले उपचुनाव को फिलहाल अकेले ही लड़ने का फैसला किया है.’’

उल्लेखनीय है कि हाल ही में संपन्न हुये लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से बीजेपी के नौ विधायकों और सपा, बसपा के एक-एक विधायक के सांसद बनने के बाद खाली हुयी 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव संभावित हैं.

इस बीच अखिलेश यादव ने मायावती के बयान पर गाजीपुर में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा, 'अगर गठबंधन टूटा है, या गठबंधन के बारे में जो बात रखी गयी है, तो मैं उस पर बहुत सोच समझकर विचार करूंगा.'

उन्होंने कहा, 'जब उपचुनाव में हमारा गठबंधन है ही नहीं तो हम अपनी तैयारी करेंगे. सपा भी 11 सीटों पर पार्टी के वरिष्ठ लोगों से राय मशविरा करके अकेले चुनाव लड़ेगी. अगर रास्ते अलग-अलग हैं तो उसका भी स्वागत है.'

इससे पहले, अखिलेश ने आजमगढ़ में भी कहा, '2022 में उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार बनेगी. यही हमारी रणनीति है.'

ज्ञात हो कि लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से बीजेपी को 62 और सपा-बसपा-रालोद गठबंधन को 15 सीट मिली. इनमें 10 सीट बसपा को जबकि पांच सीट सपा को मिली. दोनों दल 2014 में अलग-अलग चुनाव लड़े थे और इसमें सपा को 5 और बसपा को एक भी सीट नहीं मिली थी.

वहीं, बीजेपी नेता और उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने सपा बसपा के अपने बलबूते उपचुनाव लड़ने पर चुटकी लेते हुए कहा कि इस बेमेल गठबंधन का यही अंजाम होना था.

मायावती ने अकेले चुनाव लड़ने के पीछे राजनीतिक विवशता को नजरंदाज नहीं किये जा सकने वाली मजबूरी बताया. उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक विवशताओं को भी नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है. अभी संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के परिणाम पर बड़े दुःख के साथ यह कहना पड़ता है कि इसमें सपा का ‘बेस वोट’ अर्थात् यादव समाज, यादव-बाहुल्य सीटों पर भी सपा के साथ मज़बूती से टिका नहीं रह सका.’’

मायावती ने अपने बलबूते उपचुनाव लड़ने के फैसले के बारे में दलील दी, ‘‘अन्दर ही अन्दर, ना जाने किस बात की नाराज़गी के तहत, भितरघात हुआ और यादव बाहुल्य सीटों पर भी, सपा के मज़बूत उम्मीदवार हार गये. ऐसे में अन्य सीटों के साथ कन्नौज में डिम्पल यादव, बदायूँ में धर्मेन्द्र यादव और फिरोज़ाबाद में रामगोपाल यादव के बेटे का भी हारना, हमें सोचने पर मजबूर करता है. इनकी (सपा) हार का भी हमारी पार्टी को बहुत दुख है और हमें यह आगे के लिए भी सोचने पर मजबूर करती है.’’

मायावती ने हालांकि, अखिलेश से अपने पारिवारिक रिश्तों को मजबूत और स्वार्थ से परे भी बताया. उन्होंने कहा, ‘‘इसमें कोई सन्देह नहीं है कि जब से सपा बसपा गठबन्धन हुआ है, तब से सपा प्रमुख अखिलेश यादव व उनकी पत्नी डिम्पल यादव, मुझे अपना बड़ा मानकर, मेरी बहुत इज़्ज़त करते हैं. मैंने भी सभी पुराने गिले-शिकवे भुलाकर देश एवं जनहित में उनको अपने परिवार की तरह ही सम्मान दिया है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे यह रिश्ते केवल राजनीतिक स्वार्थ के लिए ही नहीं बने हैं बल्कि ये रिश्ते आगे भी हर सुख- दुःख की घड़ी में हमेशा ऐसे ही बने रहेंगे. हमारे रिश्ते अब कभी भी ख़त्म होने वाले नहीं हैं. मेरी तरफ से इसकी हमेशा कोशिश बनी रहेगी.’’

उल्लेखनीय है कि चुनाव आयेाग द्वारा उत्तर प्रदेश में विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की जल्द ही घोषणा की जा सकती है. पिछले दस साल में यह पहला मौका होगा जब बसपा उपचुनाव लड़ेगी.

मायावती ने बताया कि तीन जून को दिल्ली स्थित बसपा के केन्द्रीय कार्यालय में उत्तर प्रदेश के पार्टी पदाधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की अहम बैठक में चुनाव परिणाम की गहन समीक्षा की गयी.

मायावती ने सपा को नसीहत देते हुये कहा, ‘‘ उन्हें (सपा कार्यकर्ताओं) हर हाल में खुद को बसपा के कैडर की तरह ही, तैयार होने के साथ भाजपा की घोर जातिवादी, सांप्रदायिक और जनविरोधी नीतियों से उत्तर प्रदेश, देश और समाज को मुक्ति दिलाने के लिये अधिक कठोर संघर्ष करते रहने की सख्त जरूरत है.’’

मायावती ने लोकसभा चुनाव के परिणाम में ईवीएम की विश्वसनीयता पर भी संदेह व्यक्त किया. उन्होंने कहा, ‘‘यह चुनाव परिणाम हमें सोचने पर मजबूर करता है. हालांकि उत्तर प्रदेश में जनअपेक्षा के विपरीत आये चुनाव परिणाम में ईवीएम की भूमिका भी खराब रही है. यह भी किसी से छुपा नहीं है.’’

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