एक्सप्लोरर

संत सारदानंद ही थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस? रिटायर्ड आईबी ऑफिसर ने किया दावा

कैथी मार्कंडेय महादेव तीर्थस्थली के रूप में विख्यात है. नेताजी के यहां संत सारदानंद के रूप में अज्ञातवास करने का दावा किया गया है और इस बाबत पिछले तीन वर्षों से कई सबूत भी पीएम नरेंद्र मोदी को भेजे जा चुके हैं.

वाराणसी: हाल ही में सुभाष चन्द्र बोस के पोते आशीष रे ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार से लेकर नरेंद्र मोदी सरकार तक सभी पर नेताजी के अवशेष जापान से लाने में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया था. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की गुमशुदगी से जुड़ा एक बड़ा राज वाराणसी मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर कैथी में मौजूद होने का दावा किया जा रहा है.

कैथी मार्कंडेय महादेव तीर्थस्थली के रूप में विख्यात है. नेताजी के यहां संत सारदानंद के रूप में अज्ञातवास करने का दावा किया गया है और इस बाबत पिछले तीन वर्षों से कई सबूत भी पीएम नरेंद्र मोदी को भेजे जा चुके हैं.

यह सबूत भेजने वाले इंटेलिजेंस ब्यूरो के रिटायर्ड अफसर श्यामाचरण पांडेय हैं. वे अब संत सारदानंद से जुड़े सभी साक्ष्यों को एक किताब के रूप में संकलित कर रहे हैं. यह किताब 'नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सायगान से आगे' खुलासा करेगी कि तथाकथित विमान दुर्घटना के बाद नेताजी सुभाषचंद्र बोस सायगान के बाद कहां चले गए थे.

संत सारदानंद ही थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस? रिटायर्ड आईबी ऑफिसर ने किया दावा

नहीं हुआ था उन तारीखों पर कोई प्लेन क्रैश

इस मामले में पूर्व आईबी अफसर श्यामाचरण पांडेय के मुताबिक ताइवान सरकार ने जस्टिस मुखर्जी जांच आयोग को ऑफिशियली बताया था कि 14 अगस्त और 20 सितंबर 1945 के बीच ताईडोकु (ताईपेई) में कोई प्लेन क्रैश नहीं हुआ था. आज तक दुनिया इसी प्लेन क्रैश में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु होने की बात जानती है.

श्यामाचरण पांडेय कहते हैं कि नेता जी के प्लेन क्रैश में मारे जाने को लेकर बनी जांच समितियों शाह नवाज खां जांच समिति और जस्टिस खोसला जांच आयोग की रिपोर्ट भी इस मामले को कोई विश्वसनीय तथ्य देश के सामने नहीं रख सकी. वे कहते हैं कि दोनों जांच समितियां भी प्लेन क्रैश होने की घटना की पुष्टि नहीं कर सकीं.

वे परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर नेताजी की मौत देश के सामने रखने को एक बहुत बड़ा षड्यंत्र मानते हैं. पूर्व आईबी अफसर बताते हैं कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू भी नेता जी के बड़े भाई सुरेश बोस को लिखे पत्र में स्वीकार किया था कि सरकार के पास नेता जी की मृत्यु से सम्बंधित कोई भी ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीं था.

संत सारदानंद ही थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस? रिटायर्ड आईबी ऑफिसर ने किया दावा

किताब खोलेगी कई रहस्य

श्यामाचरण पांडेय की इस किताब में संत सारदानंद को पता उन तथ्यों का जिक्र है जो केवल केवल नेताजी सुभाष चंद्र बोस को ही पता थे. इस किताब में उस घटना का जिक्र है, जब जापानी सेना के फील्ड मार्शल काउंट तेरा उची और आईएनए के अधिकारीयों ने एक सीक्रेट ऑपरेशन के तहत नेताजी को 17 अगस्त 1945 को सायगान से तिब्बत पहुंचाया था. नेता जी के तिब्बत पहुंचाने के एक हफ्ते बाद ही उनकी प्लेन क्रैश में मृत्यु होने की कहानी गढ़ी गई और 23 अगस्त को इसे दुनिया के सामने प्रचारित-प्रसारित कर दिया गया.

संत सारदानंद ही थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस? रिटायर्ड आईबी ऑफिसर ने किया दावा

पूर्व आईबी अफसर ने लिखा था पीएम को पत्र

पूर्व आईबी अफसर श्यामाचरण पांडेय ने इससे पहले सुभाष चन्द्र बोस के कैथी में संत सारदानंद के रूप अज्ञातवास में रहने के कई सबूत विभिन्न विभागों को भेजे हैं. इस मामले में उन्होंने पीएम मोदी को भी पत्र लिखकर बताया है. उन्होंने पीएमओ को भेजे गए एक पत्र में लिखा था कि दो दिसंबर 1951 की शाम गंगा-गोमती संगम के पास तब पीडब्लूडी में कार्यरत उनके पिता कृष्णकांत की मुलाकात संत के भेष में एक व्यक्ति से हुई थी.

तब कृष्णकांत की ड्यूटी गंगा नदी पर बने पीपे के पुल पर लगी थी. जीर्ण-शीर्ण काया पर चादर लपेटे उन संत ने बताया कि वे पैदल ही गाजीपुर के मशहूर पौहारी बाबा आश्रम जा रहे थे. उनकी बोली बांग्ला मिश्रित हिंदी थी. बातचीत के दौरान उन संत ने कृष्णकांत से पूछा कि क्या उनके लिए रात में रुकने का इंतजाम हो सकता है.

इस पर श्यामाचरण पांडेय के पिता कृष्णकांत ने उनके लिए पड़ोसी गांव पटना से कम्बल मंगवाए. इसके बाद कृष्णकांत ने उनसे कुछ दिन वहीं ठहर कर स्वास्थ्य लाभ लेने का अनुरोध किया. इस पर संत ने एकांतवास की इच्छा जाहिर की. संत की इच्छा के अनुरूप उनके लिए कैथी गांव में एक गुफा का निर्माण करवाया गया. गुफा तैयार हो जाने पर मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी 1952 को उन्होंने इस गुफा में प्रवेश किया.

संत सारदानंद ही थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस? रिटायर्ड आईबी ऑफिसर ने किया दावा

बदल दिया ठिकाना

श्यामाचरण पांडेय के अनुसार जब धीरे-धीरे इलाके में इन संत के रहने की खबर फैली तो गुफा में उनके दर्शन करने वालों की भीड़ लगने लगी. इसी दौरान वाराणसी के अखबारों में रहस्यमयी संत की कैथी में उपस्थिति की खबर छपी. जिसे पढ़कर दूर-दराज से भी लोग वहां पहुंचने लगे. इसको देखते हुए संत ने एक बार फिर अपना ठिकाना बदलने के लिए कहा.

उनके लिए नए स्थान पर नई गुफा बनवाई गई. लेकिन नई गुफा में जाने से पहले ही वे 17 फरवरी 1952 को वह मिर्जापुर की तरफ विंध्यक्षेत्र की तरफ प्रस्थान कर गए. वे कई महीनों तक विंध्य की पहाड़ियों में रहे. इस दौरान उनके नेताजी सुभाष चन्द्र बोस होने की खबर उनका पीछा करती रही, लेकिन संत सारदानंद इसका खंडन करते रहे.

इसके बाद वे वहां से पंजाब की तरफ कूच कर गए. श्यामाचरण पांडेय बताते हैं कि साल 1959 से 1966 तक संत सारदानंद शौलमौरी आश्रम में रहे. इस दौरान ही उनके नेताजी होने की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर छा गई. वे बताते हैं कि 1941 में काबुल निवासी उत्तम चंद्र मल्होत्रा के घर सुभाष चन्द्र बोस 46 दिनों तक रहे थे.

उत्तम चंद्र ने भी संत सारदानंद के नेताजी होने की पुष्टि की थी. उत्तम चंद्र मल्होत्रा ने तब वाराणसी में प्रेस कांफ्रेंस करके भी यह बात मीडिया के सामने रखी थी. श्यामाचरण पांडेय बताते हैं कि वे और उनके पिता कृष्णकांत इन सभी घटनाओं के गवाह रहे हैं.

संत सारदानंद ही थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस? रिटायर्ड आईबी ऑफिसर ने किया दावा

हैण्ड राइटिंग एक होने के आधार पर संत सारदानंद के नेता जी होने का दावा

श्यामाचरण पांडेय का कहना है कि तत्कालीन सरकार की कोई भी मजबूरी रही हो लेकिन अब नेताजी को लेकर की गई उस भूल का प्रायश्चित होना चाहिए. उन्होंने कहा कि संत सारदानंद जी 17 अप्रैल 1977 तक जीवित रहे. उन्होंने कहा कि संत सारदानंद के पत्रों में लिखावट और नेताजी की हैण्डराइटिंग को एक ही व्यक्ति के होने की बात भी एक्सपर्ट साबित कर चुके हैं.

उन्होंने बताया कि संत सारदानंद को नेताजी बोस साबित करने वाले कई सबूत पीएम मोदी को भेजे जा चुके हैं. उन्होंने फैजाबाद के श्रीराम भवन में रहने वाले गुमनामी बाबा के सुभाष बोस होने की अटकलों की जांच कर रहे न्यायिक आयोग और गवर्नर रामनाईक को भी संत सारदानंद से जुड़े सभी सबूत सौंपे हैं.

बता दें, नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु की जांच के लिए साल 1999 में बने मुखर्जी आयोग ने भी सात साल की जांच के बाद साल 2006 में यह माना था कि नेता जी की मृत्यु हो चुकी है, लेकिन कब और कहां इस बारे में कोई ठोस साक्ष्य उपलब्ध नहीं है. लेकिन यह बात साफ है कि मुखर्जी आयोग ने भी अपनी जांच में पाया था नेताजी की मृत्यु पलने क्रैश में ही हुई थी.

संत सारदानंद ही थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस? रिटायर्ड आईबी ऑफिसर ने किया दावा

गुफा मिलने पर फिर गर्म हुई थी चर्चा

साल 2016 के दिसम्बर महीने में कैथी गांव में एक सुरंग मिलने से काफी हलचल मची थी. दावा यह भी किया गया था कि यह वही सुरंग है जिससे होकर संत सारदानंद के रूप में अज्ञातवास कर रहे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस अपनी गुफा तक जाते थे. बता दें गंगा नदी के तट पर बसे कैथी और आसपास का इलाका ऐतिहासिक महत्व का रहा है.

यहां यह भी किंवदंती है कि पास में ही स्थित चंद्रवती गांव में राजा डोमनदेव के का किला हुआ करता था, जिससे कैथी स्थित गंगा-गोमती संगम तट जाने के लिए सुरंग बनाई गई थी. यही नहीं यहां यह भी चर्चा रही कि कभी काशी नरेश की वाराणसी स्थित टकसाल से सारनाथ होते हुए राजा डोमन देव के किले से कैथी के रास्ते रजवाड़ी गांव तक जाने के लिए इस सुरंग का इस्तेमाल होता रहा हो.

और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola

टॉप हेडलाइंस

'असली वजह क्या थी, अभी बता पाना मुश्किल', DGCA के कारण बताओ नोटिस का इंडिगो ने भेजा जवाब
'असली वजह क्या थी, अभी बता पाना मुश्किल', DGCA के कारण बताओ नोटिस का इंडिगो ने भेजा जवाब
बिहार में बड़े स्तर पर IAS अफसरों के तबादले, कई जिलों के DM भी बदले
बिहार में बड़े स्तर पर IAS अफसरों के तबादले, कई जिलों के DM भी बदले
'...एक बार और फिर हमेशा के लिए इसे बंद कर दें', नेहरू की गलतियों पर प्रियंका गांधी ने PM मोदी को दी ये सलाह
'...एक बार और फिर हमेशा के लिए इसे बंद कर दें', नेहरू की गलतियों पर प्रियंका गांधी ने PM मोदी को दी ये सलाह
IND vs SA 1st T20: इतिहास रचने से 1 विकेट दूर जसप्रीत बुमराह, बन जाएंगे ऐसा करने वाले पहले भारतीय गेंदबाज
इतिहास रचने से 1 विकेट दूर जसप्रीत बुमराह, बन जाएंगे ऐसा करने वाले पहले भारतीय गेंदबाज

वीडियोज

20 लाख का 'मुर्दा दोस्त' ! मौत का Fixed Deposit | Sansani | Crime
Bengal Babri Masjid Row: काउंटिंग के लिए लगानी पड़ी मशीन, नींव रखने के बाद कहा से आया पैसा?
Vande Matram Controversy: विवादों में किसने घसीटा? 150 साल बाद गरमाया वंदे मातरम का मुद्दा...
Indian Rupee Hits Record Low: गिरते रुपये पर चर्चा से भाग रही सरकार? देखिए सबसे सटीक विश्लेषण
Indigo Crisis:'अच्छे से बात भी नहीं करते' 6वें दिन भी इंडिगो संकट बरकरार | DGCA | Civil Aviation

फोटो गैलरी

Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'असली वजह क्या थी, अभी बता पाना मुश्किल', DGCA के कारण बताओ नोटिस का इंडिगो ने भेजा जवाब
'असली वजह क्या थी, अभी बता पाना मुश्किल', DGCA के कारण बताओ नोटिस का इंडिगो ने भेजा जवाब
बिहार में बड़े स्तर पर IAS अफसरों के तबादले, कई जिलों के DM भी बदले
बिहार में बड़े स्तर पर IAS अफसरों के तबादले, कई जिलों के DM भी बदले
'...एक बार और फिर हमेशा के लिए इसे बंद कर दें', नेहरू की गलतियों पर प्रियंका गांधी ने PM मोदी को दी ये सलाह
'...एक बार और फिर हमेशा के लिए इसे बंद कर दें', नेहरू की गलतियों पर प्रियंका गांधी ने PM मोदी को दी ये सलाह
IND vs SA 1st T20: इतिहास रचने से 1 विकेट दूर जसप्रीत बुमराह, बन जाएंगे ऐसा करने वाले पहले भारतीय गेंदबाज
इतिहास रचने से 1 विकेट दूर जसप्रीत बुमराह, बन जाएंगे ऐसा करने वाले पहले भारतीय गेंदबाज
Hollywood OTT Releases: इस हफ्ते OTT पर हॉलीवुड का राज, 'सुपरमैन' समेत रिलीज होंगी ये मोस्ट अवेटेड फिल्में-सीरीज
इस हफ्ते OTT पर हॉलीवुड का राज, 'सुपरमैन' समेत रिलीज होंगी ये फिल्में-सीरीज
UAN नंबर भूल गए हैं तो ऐसे कर सकते हैं रिकवर, PF अकाउंट वाले जान लें जरूरी बात
UAN नंबर भूल गए हैं तो ऐसे कर सकते हैं रिकवर, PF अकाउंट वाले जान लें जरूरी बात
Benefits of Boredom: कभी-कभी बोर होना क्यों जरूरी, जानें एक्सपर्ट इसे क्यों कहते हैं ब्रेन का फ्रेश स्टार्ट?
कभी-कभी बोर होना क्यों जरूरी, जानें एक्सपर्ट इसे क्यों कहते हैं ब्रेन का फ्रेश स्टार्ट?
Video: भीड़ में खुद पर पेट्रोल छिड़क प्रदर्शन कर रहे थे नेता जी, कार्यकर्ता ने माचिस जला लगा दी आग- वीडियो वायरल
भीड़ में खुद पर पेट्रोल छिड़क प्रदर्शन कर रहे थे नेता जी, कार्यकर्ता ने माचिस जला लगा दी आग- वीडियो वायरल
Embed widget