किन परिस्थितियों में JDU ने दोनों सदनों में CAB का समर्थन किया, नीतीश कुमार ही बता सकते हैं- प्रशांत किशोर
प्रशातं किशोर ने कहा कि एनपीआर और एनआरसी के बीच लिंक साबित करने की जरूरत नहीं है. दस्तावेज खुद बताते हैं कि एनपीआर, एनआरसी की तरफ पहला कदम है. उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल का नीतीश कुमार ने क्यों समर्थन किया ये वे ही बता सकते हैं.

नई दिल्ली: एनआरसी और सीएए को लेकर एक बार फिर जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने बड़ा बयान दिया है. प्रशांत किशोर ने कहा कि वे साफ करना चाहते हैं कि एनआरसी और सीएए को लेकर जेडीयू का रुख विपक्ष का है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसी को भी एनपीआर और एनआरसी के बीच लिंक को साबित करने की जरूरत नहीं है.
प्रशांत किशोर ने कहा, ''मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि एनआरसी और सीएए पर जेडीयू का रुख विपक्ष का है. संसदीय स्थायी समिति के रिकॉर्ड की जांच करें, पहला डिसेंट नोट जेडीयू का है. जेडीयू ने किन परिस्थितियों में दोनों सदनों में बिल का समर्थन किया, यह केवल नीतीश कुमार ही बता सकते हैं.''
Prashant Kishor,JD(U) VP:I want to make it very clear that JD(U)'s stance on NRC & CAA is of opposition. Check parliamentary standing committee's record, first dissent note is of JD(U). Under what circumstances JD(U) supported the bill in both houses only Nitish Kumar ji can tell pic.twitter.com/RmJw0WEhO8
— ANI (@ANI) December 30, 2019
इसके साथ ही पीके ने कहा, ''किसी को एनपीआर और एनआरसी के बीच लिंक को साबित करने की आवश्यकता नहीं है. दस्तावेज खुद बताते हैं कि एनपीआर, एनआरसी का पहला कदम है. यह बहस 2003 के नागरिकता संशोधन बिल से जुड़ा है, जिस दौरान, यह स्पष्ट किया गया कि एनपीआर के बाद, यदि सरकार चाहती है, तो वे एनआरसी कर सकती है.''
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जेडीयू को 2020 में अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए- पीके
उधर प्रशांत किशोर ने रविवार को कहा कि बिहार में एनडीए में जेडीयू को आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी की तुलना में अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए. दोनों दलों ने इस साल लोकसभा चुनाव में समान संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ा था. प्रशांत किशोर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मेरे अनुसार लोकसभा चुनाव का फॉर्मूला विधानसभा चुनाव में दोहराया नहीं जा सकता.’’
पीके ने कहा, ‘‘अगर हम 2010 के विधानसभा चुनाव को देखें जिसमें जेडीयू और बीजेपी ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था तो यह अनुपात 1:1.4 था. अगर इसमें इस बार मामूली बदलाव भी हो, तो भी यह नहीं हो सकता कि दोनों दल समान सीटों पर चुनाव लड़ें.’’ प्रशांत किशोर ने कहा, ‘‘जेडीयू अपेक्षाकृत बड़ी पार्टी है जिसके करीब 70 विधायक हैं जबकि बीजेपी के पास करीब 50 विधायक हैं. इसके अलावा, विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार को एनडीए का चेहरा बनाकर लड़ा जाना है.’’
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