गोमती नदी में नहाना ही नहीं बल्कि किनारे पर टहलना भी खतरनाक, पढ़ें ये खास रिपोर्ट
गोमती नदी के किनारे सुबह-शाम में घूमना खतरनाक साबित हो सकता है साथ ही नहाना भी आपकी सेहत के लिए काफी खराब साबित हो सकता है. पढ़ें ये खास रिपोर्ट.

लखनऊ: लखनऊ की प्रसिद्ध गोमती नदी में नहाना ही नहीं बल्कि इसके किनारे टहलना भी खतरनाक साबित हो सकता है. एनजीटी की कूड़ा प्रबंधन एवं अनुश्रवण समिति ने ये बात कही है. समिति ने कहा है कि करोड़ों खर्च करने के बाद भी नदी साफ नहीं हो सकी है.
समिति के सचिव और पूर्व जिला जज राजेंद्र सिंह ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गोमती नदी के किनारे सुबह-शाम में घूमना खतरनाक साबित हो सकता है.
इस रिपोर्ट में लिखा है कि गोमती एक पौराणिक नदी है और पुराणों के अनुसार ऋषि वशिष्ठ का पुत्री हैं. गीता के अनुसार भी गोमती एक पवित्र नदी है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है.
पीलाभीत का माधव टांडा कस्बा गोमती का उद्गम है और यहीं पर गोमद ताल से दोमती की धारा निकलती है. गोमती 900 किलोमीटर की यात्रा कर 11 जिलों से करती हुई जौनपुर के पास सैदपुर में गंगा से मिल जाती है.
रिपोर्ट में लिखा है कि राजनीतिक हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार के चलते गोमती आज तक प्रदूषण से मुक्त नहीं हो पाई है.
लखनऊ के अतिरिक्त 10 जिलों की नगर निगम भी गोमती के प्रदूषण के जिम्मेदार हैं और इसलिए इन पर एक-एक करोड़ का हर्जाना लगाने की संस्तुति की जाती है. नदी के दोनों ओर 150 मीटर के अंदर कोई निर्माण नहीं किया जाना चाहिए.
रिपोर्ट में लिखा है कि उत्तर प्रदेश राज्य को 100 करोड़ रुपये गारंटी के रूप में जमा करने होंगे और दो साल के अंदर गोमती में गिरने वाले नालों (बिना शोधन वाले) को रोकना होगा अन्यथा पैसा जब्त किया जाएगा.
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