गैंगरेप की जांच में लापरवाही, सीओ सहित तीन पुलिसकर्मियों पर मुकदमा
एक महिला के साथ गैंगरेप के मामले की जांच में लापरवाही और अदालत में गलत तथ्य पेश कर आरोपियों को मुक्त कराने के मामले में अदालत के आदेश पर एक सीओ सहित तीन पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.

लखनऊ/चित्रकूट: उत्तर प्रदेश में चित्रकूट जिले की कर्वी कोतवाली में तीन साल पहले दर्ज एक महिला के साथ कथित गैंगरेप के मामले की विवेचना (जांच) में लापरवाही और अदालत में गलत तथ्य पेश कर आरोपियों को मुक्त कराने के मामले में अदालत के आदेश पर गुरुवार की रात एक पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) सहित तीन पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.
कर्वी कोतवाली के इंस्पेक्टर अनिल सिंह ने शुक्रवार को बताया कि अपर सत्र न्यायाधीश (एससीएसटी एक्ट) अरविंद कुमार द्वितीय की अदालत के 21 नवपंबर के आदेश के अनुपालन में कर्वी नगर के तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी (अब राजापुर सीओ) द्विजयेंद्र द्विवेदी और उनके कार्यालय में तैनात उपनिरीक्षक (एसआई) व एक सिपाही हरीओम के खिलाफ मुकदमा अपराध संख्या-772/2018, धारा-166ए व 504 आईपीसी के अलावा अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 की धारा-3(2)5 के तहत 29 नवंबर की रात 23:49 बजे दर्ज कर विवेचना/जांच मौजूदा क्षेत्राधिकारी (नगर) रजनीश कुमार यादव को सौंपी गई है."
उन्होंने बताया कि एक महिला ने अपराध संख्या-30/2016 दर्ज कराकर आरोप लगाया है कि सपा के एक पूर्व विधायक का रिश्तेदार अपने पांच साथियों के साथ उसे कथित तौर पर अपहरण कर हरियाणा ले गए थे और वहां कथित तौर पर एक साल तक बंधक बनकर गैंगरेप करते रहे.
इस मामले की विवचना कर रहे तत्कालीन नगर सीओ द्विजयेंद्र द्विवेदी पर आरोप लगाया गया कि घटनास्थल न पहुंचकर अपनी अंतिम आख्या (रिपोर्ट) अदालत में पेश कर नामजद आरोपियों को बेगुनाह करार देते हुए आरोप मुक्त कर दिया है. इसी के खिलाफ पीड़िता ने अदालत में सीआरपीसी की धारा-156(3) के तहत प्रार्थनापत्र दिया था."
अदालत में दिए गए प्रार्थनापत्र के आधार पर पीड़ित महिला के अधिवक्ता संतोष कुमार मिश्रा ने बताया, "आरोपी सीओ ने घटनास्थल पर खुद न जाकर अपने मातहतों को भेजकर जांच की खानापूरी की थी और अदालत में गैंगरेप की घटना को फर्जी बताकर आरोपियों के पक्ष में रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसे अदालत ने पहले ही खारिज कर दिया है. सीओ का यह कृत्य आईपीसी की धारा-116ए के तहत दंडनीय अपराध है. साथ ही पीड़िता को जानबूझ कर अपमानित भी किया था. तभी अदालत के संज्ञान में लाकर मुकदमा दर्ज कराया गया है."
उन्होंने आरोप लगाया कि इस मुकदमे से नाराज होकर आरोपी सीओ और अन्य पुलिसकर्मी केस वापस न लेने पर शुक्रवार को उन्हें और पीड़िता के पति को फर्जी मुकदमा दर्ज कराकर जेल भेजने दी है, जिसकी सूचना स्थानीय और उच्च न्यायालय को पत्र भेजकर दे दी गई है.
इस मुकदमे के बारे में राजापुर सीओ (पहले थे कर्वी के सीओ) द्विजयेंद्र द्विवेदी ने अनभिज्ञता जताई और कहा कि जांच में जो तथ्य प्रकाश में आए थे, वही अदालत में पेश किए थे. उनकी तरफ से जांच में कोई लापरवाही नहीं बरती गई है. उन्होंने पीड़िता के अधिवक्ता के आरोप को झूठा बताया है.
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Source: IOCL























