निर्भया के गुनहगारों को जारी हुआ Death Warrant, जानिए आखिर ये होता क्या है
अदालत जब मृत्युदंड देती है तो उससे पहले दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी करती है. इस वारंट को दंड प्रक्रिया संहिता यानि सीआरपीसी का फॉर्म नंबर 42 कहा जाता है जिसमें दोषी को फांसी की सजा का अनिवार्य आदेश होता है.
नई दिल्ली: निर्भया के दोषियों के खिलाफ 'डेथ वारंट' जारी हो गया है. डेथ वारंट को फार्म नंबर 42 भी कहा जाता है. कोर्ट इस वारंट को तब जारी करता है जब दोषी को मृत्युदंड की सजा सुनाई जाती है. निर्भया के सभी दोषियों के खिलाफ दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने डेथ वारंट जारी कर दिया है.
16 दिसंबर 2012 को निर्भया जिस बस में सफर कर रही थी वहीं बस उसके अंतिम सफर की वाहक बन गई थी. इस घटना ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था. इस मामले पर आज पटियाला हाउस कोर्ट दोषियों के डेथ वारंट पर फैसला सुना सकता है. क्या होता है डेथ वारंट आइए जानते हैं
अदालत जब मृत्युदंड देती है तो उससे पहले दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी करती है. इस वारंट को दंड प्रक्रिया संहिता यानि सीआरपीसी का फॉर्म नंबर 42 कहा जाता है जिसमें दोषी को फांसी की सजा का अनिवार्य आदेश होता है. इसे क्रिमिनल प्रोसिजर के फॉर्म नंबर 42 पर छपे तीन वाक्यों के दूसरे भाग का हिस्सा माना जाता है. इसे ब्लैक वारंट भी कहा जाता है. सही शब्दों में इस फॉर्म 42 को 'वारंट ऑफ एक्जीक्यूशन ऑफ ए सेंटेंस ऑफ डेथ' कहा जाता है.
इस वारंट को जेल प्रशासन के उस वरिष्ठ अधिकारी को भेजा जाता है. जहां पर दोषी को कैद करके रखा जाता है. इस वारंट में दोषी के नाम के साथ ही मौत की सजा की पुष्टि भी होती है. इसमें फांसी देने का समय और स्थान भी अंकित होता है. इस पर फैसला देने वाले जज के हस्ताक्षर भी होते हैं. इस वारंट के बाद दोषी को तब तक फांसी के फंदे पर लटकाकर रखा जाता है जब तक उसकी मौत न हो जाए.