पश्चिम बंगाल में जंगली हाथियों का कहर! वन विभाग उठाने जा रहा बड़ा कदम, लगाए जाएंगे रेडियो कॉलर
West Bengal Wild Elephant Case: पश्चिम बंगाल में जंगल के किनारे बसे गांवों में जंगली हाथियों ने 2024 में जमकर उत्पात मचाया. इसमें 11 लोगों की जान चली गई और सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद हुई.

West Bengal Wild Elephant: पश्चिम बंगाल में पिछले कुछ सालों से जंगली हाथियों ने इंसानों पर जमकर कहर बरपाया है. ये हाथी इंसानी बस्तियों में घुसकर उत्पात मचाते हैं और राज्य सरकार के लिए ये सिरदर्द बन चुका है. इससे बचने के लिए वन विभाग ने जंगली हाथियों के रेडियो कॉलर लगाने का फैसला किया है. इसको लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वन विभाग को जरूरी कदम उठाने के लिए कहा था.
एक सीनियर सरकारी ऑफिसर ने बताया, "मुख्यमंत्री की ओर से वन विभाग को मानव-हाथी संघर्ष से बचने के लिए उपाय शुरू करने के निर्देश दिए जाने के बाद एक डिटेल स्कीम तैयार की गई है. योजना के मुताबिक, हाथियों को रेडियो कॉलर लगाने सहित कई पहल प्रस्तावित की गई हैं. विस्तृत योजना अगले सप्ताह जरूरी मंजूरी के लिए नबन्ना को भेजी जाएगी."
2024 में 11 लोगों की मौत और सैकड़ों एकड़ फसल हो चुकी है बर्बाद
बंगाल में जंगल के आसपास बसे गांवों में हाथियों के घुसने से 2024 में ही कम से कम 11 लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों एकड़ की फसल भी बर्बाद हुई. टेलिग्राफ डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, इंसान और हाथियों के बीच संघर्ष की वजह से परिवार बर्बाद हो जाते हैं, राज्य सरकार को पीड़ितों को मुआवजा देना पड़ता है और आखिर में गांव में बसे लोग हाथियों को अपना दुश्मन समझ बैठते हैं, जिसकी वजह से हाथियों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती है.
रेडियो कॉलर लगाने में आएगा कितना खर्चा?
सूत्रों के मुताबिक, बंगाल में मौजूदा समय में कम से कम 800 हाथी हैं और हाथी 10 से 12 के झुंड में घूमते हैं तो ऐसे में योजना एक झुंड में एक हाथी के रेडियो कॉलर लगाने की है. एक सीनियर फॉरेस्ट ऑफिसर ने कहा, “इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए कुल 75 से 80 रेडियो कॉलर की जरूर पड़ेगी. ये कोई बहुत महंगा सौदा नहीं होगा क्योंकि इन दिनों बाजार में स्वदेशी रेडियो कॉलर डेढ से दो लाख रुपये की दर से मिल जाते हैं.”
रेडियो कॉलर लगाने से क्या होगा?
अधिकारी ने कहा कि हाथियों को एक बार रेडियो कॉलर लगा दिया तो उसके बाद वन विभाग पूरे साल हाथियों के झुंड पर नजर रख सकेगा. अगर झुंड में से कोई भी हाथी इलाके के करीब आता है तो वन अधिकारी मौके पर पहुंच सकते हैं और गांव वालों को स्थिति बता सकते हैं. इसके अलावा, वन अधिकारी हाथियों को इलाके से दूर भेजने के लिए उपाय भी कर सकते हैं.
रेडियो-कॉलरिंग प्रक्रिया में जानवरों के गले में एक पट्टा लगाया जाता है जिस पर रेडियो ट्रांसमीटर लगा होता है. एक बार रेडियो कॉलर पहनाने के बाद जानवर पर दूर से ही नजर रखी जा सकती है.
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