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Demonetization Case: नोटबंदी के 6 साल बाद सुप्रीम कोर्ट करेगा मामले पर सुनवाई, पांच जजों की बेंच का किया गठन
Demonetization Case Bench: नोटबंदी के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को सुनते हुए 2016 में तत्कालीन चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर ने कहा था कि इस योजना के पीछे सरकार का मकसद तारीफ के लायक है.
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Demonetization SC Case: साल 2016 में हुई नोटबंदी के 6 साल बाद अब सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ इसकी वैधता पर सुनवाई करेगी. इसके लिए जस्टिस एस.अब्दुल नजीर की अध्यक्षता में 5 जजों की बेंच का गठन किया गया है. कल यानी 28 सितंबर को बेंच मामले की विस्तृत सुनवाई की तारीख तय कर सकती है. 16 दिसंबर 2016 को मामला संविधान पीठ को सौंपा गया था लेकिन, बेंच का गठन अब तक नहीं हो पाया था.
मामले की सुनवाई के लिए जिस बेंच का गठन किया गया है, उसके सदस्य- जस्टिस एस. अब्दुल नजीर, बी आर. गवई, ए. एस. बोपन्ना, वी. रामासुब्रमण्यम और बी. वी नागरत्ना.हैं. 8 नवंबर 2016 को केंद्र सरकार ने 500 और 1000 के पुराने नोट वापस लिए थे. इसके खिलाफ कई याचिकाएं दाखिल की गई थी. नोटबंदी के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को सुनते हुए 15 नवंबर 2016 को तत्कालीन चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर ने कहा था, "इस योजना के पीछे सरकार का मकसद तारीफ के लायक है. हम आर्थिक नीति में दखल नहीं देना चाहते लेकिन, हमें लोगों को हो रही असुविधा की चिंता है. सरकार इस पहलू पर हलफनामा दाखिल करे."
बाद में याचिकाकर्ता पक्ष के वकीलों ने योजना में कई कानूनी गलतियां होने की दलील दी. इसके बाद 16 दिसंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने मामला 5 जजों की संविधान पीठ को भेज दिया था लेकिन, तब सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी पर रोक लगाने समेत मामले में कोई भी अंतरिम आदेश देने से मना कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने मसले पर अलग-अलग हाई कोर्ट में दाखिल याचिकाओं की सुनवाई पर भी रोक लगा दी थी.
संविधान पीठ को सौंपते हुए 3 जजों की बेंच ने 9 सवाल तय किए थे. उनमें से कुछ सवाल:-
- क्या 8 नवंबर की अधिसूचना कानूनन सही थी?
- अधिसूचना जारी होने के बाद नोट निकालने और बदलने पर हुई रोक-टोक क्या लोगों के संवैधानिक अधिकारों का हनन थी?
- क्या मौद्रिक नीति (fiscal policy) से जुड़े मामलों पर कोर्ट में सुनवाई हो सकती है?
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