जनकपुर में मोदी के एकलव्य: जब प्रधानमंत्री का आह्वान नेपाल में बना प्रेरणा
स्वच्छता का यह अभियान अब सेव हिस्टोरिकल जनकपुर अभियान की शक्ल ले चुका है. इस प्रयास को अब देवनारायण मंडल जैसे वन संरक्षण उत्साही परशुराम सागर, दूधमती नदी, धनुषाधाम जैसे पौराणिक महत्व के स्थानों को सहेजने में जुटे हैं.

जनकपुर, नेपाल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में स्वच्छता अभियान के लिए हाथ में झाड़ू उठाई तो इस सफाई मंत्र के प्रेरणा नेपाल के जनकपुर भी पहुंची. तालाबों का शहर कहलाने वाले जनकपुर के बीच सबसे बड़े और अहम गंगा सागर तालाब की सफाई का बीड़ा लोगों इसी प्रेरणा से उठाया. लोगों ने जन सहयोग से और सामूहिक श्रमदान से करीब सात बीघा से ज़्यादा क्षेत्र में फैले तालाब को साफ कर दिया.
इस मुहीम की शुरुआत करने वाले पूर्व पत्रकार और स्थानीय विधायक रामाशीष यादव कहते हैं कि भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब वाराणसी में गंगा घाट की सफाई का आह्वान किया, स्वच्छता अभियान की मुहिम शुरू की तो हमें लगा कि क्यों न हम भी इस गंगा सागर को साफ करें. एक कूड़ा घर में बदल चुके गंगा सागर तालाब को साफ करने का अभियान आसान नहीं था. मगर सतत प्रयास और जन सहयोग से एक साल कस भीतर करीब सौ ट्रक कचरा इस गंगा सागर से निकालकर हमने इसे निर्मल स्वरूप देने का प्रयास किया. रामाशीष कहते हैं कि वो कभी प्रधामंत्री मोदी से मिले तो नहीं लेकिन उनकी बातें और संदेश ही प्रेरणा हैं. ठीक वैसे ही जैसे एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य की प्रतिमा का ध्यान कर प्रेरणा ली.

रामायण कथा में भगवान राम की विवाह प्रसंग से जुड़े इस गंगा सागर तालाब को जनकपुर वासियों ने न केवल साफ किया बल्कि यहां यहां गंगा आरती की परंपरा भी शुरू की. इसके लिए प्रधामंत्री मोदी के निर्वाचन क्षेत्र बनारस से ही प्रशिक्षण देने के लिए पुजारियों को बुलाया गया जिन्होंने सात दिन जनकपुर में रहकर प्रशिक्षित किया. अब गंगा आरती बीते तीन सालों से यहां की एक अनवरत परंपरा है. इतना ही नहीं जनकपुर वासियों ने इस आरती आयोजन को गंगा और जानकी के संयुक्त पूजन का रूप दिया है.

गंगा सागर सफाई अभियान के आरंभिक सदस्यों में से एक नेपाल वन विभाग के अधिकारी सुरेश प्रसाद शर्मा कहते हैं गंगा आरती की परंपरा का सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि इसने लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया. इतना ही नहीं अब यह स्थानीय लोगों के जीवन का हिस्सा है और साथ ही विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद है.
स्वच्छता का यह अभियान अब सेव हिस्टोरिकल जनकपुर अभियान की शक्ल ले चुका है. इस प्रयास को अब देवनारायण मंडल जैसे वन संरक्षण उत्साही परशुराम सागर, दूधमती नदी, धनुषाधाम जैसे पौराणिक महत्व के स्थानों को सहेजने में जुटे हैं. जनकपुर के लोगों को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा और भारत के रामायण सर्किट से जनकपुर के जुड़ने की घोषणा से इस इलाके में पर्यटन और ढांचागत विकास की रफ्तार बढ़ेगी.
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