प्रणब मुखर्जी को बेटी की नसीहत पर रामचंद्र गुहा बोले- फेक न्यूज़ के इस दौर में भाषण का फुल टेक्स्ट जारी करें
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने आरएसएस के कार्यक्रम में जाने पर प्रणब मुखर्जी के फैसले को गलत बताते हुए कहा कि यह बीजेपी और आरएसएस को अफवाह फैलाने का मौका देगा.
नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आज नागपुर में आरएसएस के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर हिस्सा लेंगे. मुखर्जी आरएसएस के स्वयंसेवकों को संबोधित भी करेंगे. प्रणब मुखर्जी के आरएसए कार्यक्रम में जाने को लेकर कांग्रेस ने औपचारिक तौर पर कुछ टिप्पणी करने से मना कर दिया लेकिन कांग्रेस नेता उनके इस निर्णय से खुश नहीं हैं. अब प्रणब मुखर्जी कांग्रेस प्रवक्ता और अपनी बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी के निशाने पर भी आ गए हैं. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने आरएसएस कार्यक्रम में जाने को गलत बताते हुए कहा कि यह बीजेपी और आरएसएस को अफवाह फैलाने का मौका देगा.
शर्मिष्ठा मुखर्जी की आशंकाओं पर मशहूर इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कहा है कि फेक न्यूज़ के इस दौर में प्रणब मुखर्जी अपने भाषणों का शब्दश: टेक्सट जारी करें. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ''प्रणब मुखर्जी किसी भी तरह का नियमंत्रण स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए स्वतंत्र हैं. हालांकि फेक न्यूज के इस दौर में उन्हें पूरी और अधिकृत टेक्स्ट जारी करना चाहिए, जो वह आज नागपुर में आरएसएस कैडर को संबोधित करते हुए कहेंगे.''
Pranab Mukherjee is free to accept or reject any invitation he gets. However, in this age of fake news he should make the full and authorised text of his lecture to RSS cadres at Nagpur available to the public as soon as it is delivered.
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) June 7, 2018
क्या कहा शर्मिष्ठा मुखर्जी ने?
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने लिखा, ''आशा है कि प्रणब मुखर्जी को आज की घटना से आभास हो गया होगा कि बीजेपी का डर्टी ट्रिक डिपार्टमेंट कैसे काम करता है. यहां तक कि आरएसएस को भी इस बात का यकीन नहीं होगा कि आप अपने भाषण में उनके विचारों का समर्थन करने जा रहे हैं. भाषण भुला दिया जाएगा लेकिन तस्वीरें रहेंगी और उन्हें गलत बयानों के साथ फैलाया जाएगा.''
एक दूसरे ट्वीट में शर्मिष्ठा मुखर्जी ने लिखा, ''प्रणब मुखर्जी नागपुर जाकर आप बीजेपी और आरएसएस को झूठी खबरें प्लांट करने, अफवाहें फैलने की खुली छूट दे रहे हैं. आपके जाने से यह अफवाहें सच भी लग रही हैं. और अभी तो यह सिर्फ शुरुआत है.''
प्रणब मुखर्जी ने कार्यक्रम में जाने को लेकर क्या कहा?
एक इंटरव्यू में जब पूर्व राष्ट्रपति से आरएसएस कार्यक्रम में जाने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, "इस बारे में कई लोगों ने पूछा, लेकिन जवाब नागपुर में दूंगा. मैं संघ कार्यक्रम के बारे में अभी कुछ नहीं कहना चाहता.'' वहीं आज एक इंटरव्यू में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से जब इसी लोकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इसमें लोगों को आपत्ति क्या है? जवाहर लाल नेहरू भी संघ के कार्यक्रम में गए थे, लाल बहादुर शास्त्री जी ने भी संघ के कार्यक्रम में शिरकत की थी.
आरएसएस के किस कार्यक्रम में गए हैं प्रणब मुखर्जी?
प्रणब मुखर्जी आरएसएस के तृतीय शिक्षा वर्ग कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने के लिए नागपुर पहुंच गए हैं. तृतीय शिक्षा वर्ग संघ के प्रचारक बनाने की प्रक्रिया का सबसे उच्च ट्रेनिंग प्रोग्राम है. संघ प्रचारक बनना है तो तृतीय शिक्षा वर्ग में प्रशिक्षण लेना ही पड़ता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तृतीय शिक्षा वर्ग में हिस्सा लिया था. इस कार्यक्रम का ध्येय वाक्य 'मै संघ हूं, संघ मेरा है' है.
कौन हैं शर्मिष्ठा मुखर्जी?
शर्मिष्ठा मुखर्जी पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जी की बेटी हैं. राजनेता के साथ साथ वे कत्थक डांसर और कोरियोग्राफर भी हैं. जुलाई 2014 में शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कांग्रेस का हाथ थामा था. 2015 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर दिल्ली में ग्रेटर कैलाश विधानसभा से चुनाव लड़ा. इस चुनाव में उन्हें आम आदमी पार्टी के सौरभ भारद्वाज के मुकाबले हार का सामना करना पड़ा.
प्रणब मुखर्जी के पॉलीटिकल करियर पर एक नजर
प्रणब मुखर्जी इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, मनमोहन सिंह की सरकार में सत्ता के शिखर पर रहे हैं. उन्होंने वित्त, रक्षा, विदेश मंत्रालय जैसे कई अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली है. हालांकि वह कुछ सालों तक कांग्रेस से नाराज भी रहे और उन्होंने अलग पार्टी बनाई और फिर वह कांग्रेस में वापस लौट गए.
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद से ही वो पीएम की रेस में थे. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद वो प्रधानमंत्री की रेस में आगे रहे. 2004 लोकसभा चुनाव में जब कांग्रेस ने जीत हासिल की तो ऐसी चर्चा होने लगी थी कांग्रेस प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री बनाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. वह 2012 में कांग्रेस के समर्थन से राष्ट्रपति बने.