SC/ST मुद्दे के मूल शिकायतकर्ता ने कहा- कभी नहीं सोचा था यह राजनीतिक मुद्दा बन जाएगा
पुणे के सरकारी कॉलेज में काम करने वाले भास्कर गायकवाड ने कहा कि एससी/एसटी कानून को कथित तौर पर कमजोर किये जाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ वह 19 अप्रैल को पुनर्विचार याचिका दायर करने की योजना बना रहे हैं.

मुंबई: अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम को लेकर याचिका दायर करने वाले मूल शिकायतकर्ता भास्कर गायकवाड ने कभी नहीं सोचा था कि उनकी यह कानूनी लड़ाई इतने बड़े राजनीतिक मुद्दे का रूप ले लेगी. पुणे के सरकारी कॉलेज में काम करने वाले भास्कर ने कहा कि एससी/एसटी कानून को कथित तौर पर कमजोर किये जाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ वह 19 अप्रैल को पुनर्विचार याचिका दायर करने की योजना बना रहे हैं.
दलित संगठनों की तरफ से कल भारत बंद के दौरान देश के विभिन्न हिस्सां में हिंसा की घटनाओं के बीच केंद्र सरकार ने फैसले के खिलाफ कल सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की. केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका से खुद को अलग करते हुए गायकवाड ने कहा कि फैसला आने के बाद से ही वह एक महीने के भीतर पुनर्विचार याचिका दायर करने के बारे में सोच रहे थे. उन्होंने इस मुद्दे को लेकर उत्पन्न राजनीतिक स्थिति के बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. विपक्षी दल सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोल रहे हैं.
भास्कर गायकवाड ने कहा, ‘‘मैं एक सरकारी सेवक हूं. इसलिए मैं राजनीतिक पहलू के बारे में कुछ नहीं कह सकता हूं. मैं इन घटनाक्रमों को राजनीतिक तौर पर नहीं देखता हूं.’’ गायकवाड ने कहा कि उन्होंने 2007 में इस मुद्दे को लेकर याचिका दायर की थी जो सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गयी.
अपनी शिकायत में कराड स्थित फार्मेसी कॉलेज के स्टोर कीपर ने आरोप लगाया था कि कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने उनसे फर्जी दस्तावेज तैयार करने को कहा. गायकवाड ने दावा किया, ‘‘जब मैंने ऐसा करने से मना कर दिया तो कॉलेज के सवर्ण जाति के लोगों ने मेरी गोपनीय रिपोर्ट में मेरे बारे में नकारात्मक बातें लिख दीं.’’
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