Ram Mandir Inauguration: क्या असली नहीं है आंखों पर बिना पट्टी वाली रामलला की मूर्ति? श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने क्यों उठाए सवाल
Ram Mandir News: रामलला के बालस्वरूप की मूर्ति शुक्रवार को पूरे विधि-विधान से गर्भगृह में रखी गई थी. 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा होगी और इसके बाद मंदिर का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे.

Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या में बने राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला के बाल स्वरूप मूर्ति शुक्रवार (19 जनवरी) को रखी गई. इसकी तस्वीरें खूब सोशल मीडिया पर वायरल हुईं. इसमें रामलला की आंखों पर पट्टी बंधी थी, जिसे प्राण प्रतिष्ठा के बाद हाटाया जाएगा, लेकिन शुक्रवार शाम होते-होते रामलला के इस स्वरूप वाली मूर्ति की कुछ और तस्वीरें वायरल हुईं, जिसमें आंखों से पट्टी हटी हुई थी और पूरा चेहरा दिख रहा था. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर बिना पट्टी वाली फोटो असली है या पट्टी वाली.
इसे लेकर अब श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास का कहना है, "...प्राण प्रतिष्ठा पूरी होने से पहले भगवान राम की मूर्ति की आंखें प्रकट नहीं की जा सकतीं. जिस मूर्ति में आंखें दिख रही हैं, वह भगवान राम की असली मूर्ति नहीं है. फिर भी अगर यह असल मूर्ति है और इसकी आंखें दिखाई गई हैं तो इसकी जांच होनी चाहिए कि ऐसा किसने किया और ये तस्वीर कैसे वायरल हुई."
#WATCH | Ayodhya: On the idol of Lord Ram, Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Chief Priest Acharya Satyendra Das says, "...The eyes of Lord Ram's idol cannot be revealed before Pran Pratishtha is completed. The idol where the eyes of Lord Ram can be seen is not the real idol. If… pic.twitter.com/I0FjRfCQRp
— ANI (@ANI) January 20, 2024
कल गर्भगृह में रखी गई थी मूर्ति
बता दें कि रामलला के बालस्वरूप की यह मूर्ति शुक्रवार को पूरे विधि-विधान से गर्भगृह में रखी गई थी. 22 जनवरी को इसी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी और इसके बाद मंदिर का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे. मूर्ति गर्भगृह में रखे जाने के बाद इसकी तस्वीर मंदिर प्रशासन की ओर से जारी की गई थी, जिसमें आंखों पट्टी से ढकी हुई थीं.
मूर्ति से जुड़ी खास बातें
रामलला की यह मूर्ति 51 इंच की है. भक्तों को मूर्ति के दर्शन लगभग 35 फुट दूर से ही करने होंगे. मूर्ति की ऊंचाई 51 इंच है और इसका वजन करीब डेढ़ टन है. यह पूरी पत्थर की है. मूर्ति बनाते वक्त इस बात का खास ध्यान रखा गया है कि अगर उसे जल या दूध से स्नान कराया जाए तो पत्थर पर कोई प्रभाव न पड़े. यही नहीं, अगर पानी को पिलाया जाए तो कोई नुकसान न हो.
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Source: IOCL





















