Z Plus ASL Security: क्या होती है Z प्लस ASL सिक्योरिटी, जो राहुल गांधी को मिली, CRPF को क्या टेंशन?
Z Plus ASL Security: सीआरपीएफ ने कांग्रेस अध्यक्ष को लेटर लिखकर राहुल गांधी की सुरक्षा पर चिंता जताई है. एजेंसी ने कहा कि सिक्योरिटी प्रोटोकॉल का पालन नहीं क रहे हैं.

कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी की सिक्योरिटी को लेकर सीआरपीएफ के लेटर ने एक बार फिर उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को लिखी चिट्ठी में सीआरपीएफ प्रमुख ने राहुल गांधी के सिक्योरिटी प्रोटोकॉल तोड़ने की शिकायत की है. इस लेटर में बताया गया है कि राहुल गांधी को Z Plus (ASL) का सिक्योरिटी कवर मिला है. आपने Z, Z+ तो सुना होगा, लेकिन Z Plus (ASL) क्या होता है, इसमें कितने कमांडो मिलते हैं. आइए इसके बारे में जानते हैं-
Z प्लस सिक्योरिटी कवर में कितने जवान होते हैं?
पहले बात करते हैं Z Plus सिक्योरिटी कवर की. जिन लोगों को जेड प्लस सुरक्षा मिलती है, उनकी सिक्योरिटी में सीआरपीएफ के करीब 55 कमांडोज की टीम होती है, जिसमें 10-12 सीआरपीएफ कमांडो हमेशा सिक्योरिटी में रहते हैं. वहीं जेड प्लस (ASL) भारत में सबसे हाई-लेवल सिक्योरिटी कवर में से एक है. ये सिक्योरिटी कवर उन लोगों को दिया जाता है, जिन्हें सबसे ज्यादा खतरा होता है. राहुल गांधी को भी यही सुरक्षा मिली हुई है.
Z प्लस ASL में क्या होता सिक्योरिटी कवर?
अब आपको बताते हैं ASL के बारे में. इसका मतलब होता है- एडवांस्ड सिक्योरिटी लायजन. जेड प्लस (ASL) के सुरक्षा घेरे में सीआरपीएफ के साथ-साथ स्थानीय पुलिस और इंटेलिजेंस यूनिट्स की टीम भी शामिल होती है. जब भी राहुल गांधी को कहीं आना जाना होता है तो सीआरपीएफ की टीम लोकल पुलिस और इंटेलिजेंस यूनिट्स के साथ मिलकर उस जगह की रेकी करती है. जेड प्लस (ASL) के सुरक्षा घेरे में बुलेटप्रूफ गाड़ियां, जैमर और एंटी-सैबोटेज चेक्स भी शामिल होते हैं.
राहुल गांधी की सिक्योरिटी पर क्यों मचा बवाल?
सीआरपीएफ के वीवीआईपी सिक्योरिटी चीफ सुनील जुनेजा ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी को पत्र लिखकर चिंता जताई है. एजेंसी का कहना है कि राहुल गांधी बार-बार सुरक्षा प्रोटोकॉल तोड़ते हैं. वह लगातार अपनी सिक्योरिटी को लेकर लापरवाही बरत रहे हैं, खासकर जब वह विदेश दौरों पर जाते हैं. जिसकी वजह से सीआरपीएफ को सिक्योरिटी प्लानिंग में दिक्कत होती है और हाई-रिस्क प्रोटेक्टेड पर्सन की सेफ्टी को खतरा हो सकता है. नियमों के मुताबिक, जो भी वीवीआईपी विदेश दौरा करता है, उसकी जानकारी 15 दिन पहले सिक्योरिटी एजेंसी को देनी होती है.
Source: IOCL






















