जानिए राहुल गांधी के नेतृत्व में हो रहे पहले कांग्रेस अधिवेशन में क्या रहा नया
अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी का पार्टी की कमान संभालने के बाद हो रहे पहले महाधिवेशन में पार्टी के नए तेवर और नए कलेवर का नमूना भी दिखाई दिया.

नई दिल्ली: देश के सियासी मैदान में बढ़ती आम चुनावों की गड़गड़ाहट के बीच कमज़ोरी से जूझती भारत की ग्रैंड ओल्ड पार्टी यानी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नए तेवर में ताल ठोंकने की तैयारी कर रही है. राहुल गांधी के नेतृत्व में हो रहे पार्टी के पहले महाधिवेशन में इसकी बानगी नज़र आई. अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी का पार्टी की कमान संभालने के बाद हो रहे पहले महाधिवेशन में पार्टी के नए तेवर और नए कलेवर का नमूना भी दिखाई दिया. राजधानी दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में हो रहे इस पहले अधिवेशन में कांग्रेस पार्टी की ज़मीन पर बिछाए गद्दों और मसनद वाली पारम्परिक बैठक व्यवस्था नदारद नज़र आई. इसके विपरीत सभा मंच पर केवल एक पोडियम लगाया गया. जबकि नेताओं के बैठने की व्यवस्था मंच से नीचे कुर्सियों पर की गई.
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महाधिवेशन के सभागार में अगर किसी एक नेता की तस्वीर को जगह थी तो वो केवल राहुल गांधी की थी. ज़ाहिर तौर पर कांग्रेस पार्टी के शीर्षस्थ नेतृत्व की कोशिश राहुल गांधी को नए कमांडर के तौर पर स्थापित और प्रचारित करने की है. गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी भी कह चुकी है कि अब उनके भी बॉस राहुल गांधी ही हैं. इतना ही नहीं विपक्षी दलों के नेताओं को 13 मार्च को दिए रात्रि भोज में सोनिया गांधी ने राहुल को चुनावी गठबंधनों के लिए भी चेहरे के तौर पर पेश करने की कोशिश की.
युवा अपील पर ज़ोर
युवा नेतृत्व की अगुवाई में हो रहे पार्टी अधिवेशन में कांग्रेस ने खासी कोशिश युवाओं को जोड़ने का भी की है. युवाओं के मुद्दों, शिक्षा- रोज़गार के विषय पर सरकार को घेरने के लिए बाकायदा एक प्रस्ताव की शक्ल दी गई. पार्टी ने आरोप लगाया कि एनडीए सरकार ने बीते 4 साल में 160786.85 करोड़ रुपए एजुकेशन सेस से जमा किए मगर हर साल 4.7 करोड़ बच्चे स्कूल से बाहर हुए जबकि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के 5 लाख पद खाली हैं.
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इतना ही नहीं विश्वविद्यालय अनुदान परिषद के बजट में 6.7 करोड़ रुपये की कमी और उच्च शिक्षा संस्थानों में 43 फीसद खाली पड़े पदों का मुद्दा भी उठाया. प्रस्ताव में पार्टी ने आईटी क्षेत्र में 56000 नौकरियों पर चली कैंची और कैंपस हायरिंग में 50-70 प्रतिशत की गिरावट को भी उभारा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर भ्रष्टाचार व घोटाले के तीखे आरोपों को भी राजनीतिक प्रस्ताव की शक्ल दी. पीएनबी घोटाले से लेकर राफेल लड़ाकू विमान सौदे और गुजरात में जीएसपीसी से लेकर बिहार में सृजन मामले में गड़बड़ियों को उभारा.
इसके अलावा चुनाव की ओर बढ़ रहे मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे सूबों में व्यापम और पीडीएस घोटालों के साथ बीजेपी की शिवराज सिंह और रमन सिंह सरकारों को कठघरे में खड़ा किया. पार्टी ने अर्थव्यवस्था की सेहत और मोदी सरकार की मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया जैसी परियोजनाओं और पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती कीमतों को लेकर भी तीखा हमला बोला.
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