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Rahul Gandhi Disqualified: अगर राहुल गांधी ने नहीं फाड़ा होता वो अध्यादेश...नहीं गंवानी पड़ती संसद की सदस्यता

Rahul Gandhi Disqualified: दस साल पहले यूपीए सरकार एक अध्यादेश लाई थी. यह अध्यादेश राहुल गांधी की सदस्यता बचा सकता था लेकिन राहुल गांधी ही इसकी राह की अड़चन बन गए थे.

Rahul Gandhi Disqualified As MP: कांग्रेस नेता और वायनाड से सांसद राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई है. राहुल गांधी को सूरत की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी. इसके बाद शुक्रवार (24 मार्च) को लोकसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता से रद्द करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया. 

दिलचस्प बात ये है कि दस साल पहले राहुल गांधी ने अपनी ही सरकार के एक अध्यादेश की प्रति फाड़ दी थी, अगर वो अध्यादेश लागू हो गया होता तो आज राहुल गांधी को सांसदी न गंवानी पड़ती.

क्या है मामला?

2013 में सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(4) को रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट का फैसला मशहूर लिली थॉमस बनाम भारत संघ के नाम से चर्चित हुआ था. केरल के वकील लिली थॉमस ने जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसमें इस उपबंध को रद्द करने की मांग की थी. इसके पक्ष में तर्क दिया गया कि यह धारा दोषी सांसदों और विधायकों की सदस्यता बचाती है, जब तक कि ऊपरी अदालत से फैसला न आ जाए.

इसके बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन यूपीए सरकार इस फैसले की काट निकालने के लिए एक अध्यादेश लेकर आई थी. इस अध्यादेश में वर्तमान में सांसदों और विधायकों को आपराधिक मामलों में सजा सुनाए जाने पर अयोग्य ठहराए जाने से राहत की व्यवस्था की गई थी.

क्या था अध्यादेश में?

दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाए जाने पर सांसद या विधायक की सदस्यता रद्द किए जाने का प्रावधान है. 2013 में लाए गए अध्यादेश में सजा के बाद 3 महीने तक इससे राहत दिए जाने का प्रावधान किया गया था. अध्यादेश में कहा गया था कि सजायाफ्ता मौजूदा सांसद/विधायक को 3 महीने तक अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है. इसके साथ ही यदि इन तीन महीनों के भीतर मौजूदा सांसद/विधायक सजा की तारीख से तीन महीने के अंदर अपील दायर करता है तो उसे तब तक अयोग्य नहीं ठहाराया जा सकता जब तक अपील पर फैसला नहीं आ जाता.

राहुल गांधी ने फाड़ दी थी कॉपी

अध्यादेश को मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कैबिनेट से पास किया गया और मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया. इसके बाद राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अध्यादेश की कॉपी फाड़ दी थी. उन्होंने अध्यादेश को पूरी तरह बकवास कहा था. बाद में इस अध्यादेश को कैबिनेट ने वापस ले लिया था. 

धर्मेंद्र प्रधान ने किया पलटवार

बीजेपी नेता धर्मेंद्र प्रधान ने इस अध्यादेश का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर हमला बोला. धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, आज साहिबजादे (राहुल गांधी) के चाटुकार छाती पीट रहे हैं. आज जो फैसला हुआ है उन्हीं की सरकार में ऑर्डिनेंस के आधार पर हुआ है. आज जब उनकी सदस्यता गई तो, उन्हीं के पार्टी के लोग हाय-तौबा मचा रहे हैं.

उन्होंने आगे कहा, कांग्रेस पार्टी खासकर राहुल का परिवार उनके लिए अलग आईपीसी चाहता है, जिसमें उन्हें सजा न हो. वे उसके लिए एक अलग न्यायपालिका चाहते हैं. हालांकि, वे यह नहीं समझ पाए कि लोकतंत्र में कानून सभी के लिए समान है. भारत के कानून के अनुसार किसी के दो साल की सजा होती है तो सदस्यता चला जाती है. 

यह भी पढ़ें- Rahul Gandhi Disqualified: राहुल गांधी ही नहीं, इन नेताओं को भी पद पर रहते मिली सजा, फिर छिनी सदस्यता

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