इस बार विचारधारा के आधार पर राष्ट्रपति चुनाव लड़ेगा विपक्ष
नई दिल्ली: राष्ट्रपति पद के लिए 17 जुलाई को होने वाले चुनाव में विपक्ष ने धर्मनिरपेक्षता में यकीन करने वाले सभी पार्टियों से विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को समर्थन देने की अपील की है. विपक्ष ने कहा है कि यह चुनाव विचारधारा के आधार पर लड़ा जायेगा.
राष्ट्रपति पद के लिये सत्तारूढ़ एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के खिलाफ विपक्ष में शामिल 17 राजनीतिक दलों ने कल मीरा कुमार को अपना उम्मीदवार घोषित किया था. चुनाव में इस बार सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की ओर से दलित उम्मीदवार उतारे गए हैं. इनमें से कोविंद का संबंध यूपी और मीरा कुमार का ताल्लुक बिहार से है.
मीरा कुमार ने विपक्षी दलों की ओर से उन्हें संयुक्त उम्मीदवार बनाए जाने पर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस चुनाव में विचारधाराओं का संघर्ष है. उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल में शामिल निर्वाचित प्रतिनिधियों से देशहित में साझा सांस्कृतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए सामाजिक न्याय और सबको साथ लेकर चलने के आदर्श के आधार पर अपना समर्थन देने की अपील की है.
मीरा कुमार ने कहा, ''यह चुनाव विचारधारा की लड़ाई है. मैं निर्वाचक मंडल से देशहित को ध्यान में रखकर सभी के लिए स्वीकार्य मूल्यों, आदर्शो और सिद्धांतों के आधार पर अपना मत देने की अपील करूंगी. इन आदर्शों में सामाजिक न्याय का सिद्धांत, सबको साथ लेकर चलने के संस्कार और समग्र भारतीय सांस्कृतिक विरासत शामिल है और यही वे मूल्य हैं जिन्हें हमने स्वीकार किया है.''
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि धर्मरनिरपेक्ष ताकतों का वास्तविक प्रतिनिधितत्व कर सकने वाली मीरा कुमार राष्ट्रपति पद के लिए सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार हैं. उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिये होने वाले चुनाव को विचारधारा की लड़ाई बताते हुए कहा कि इसमें अब बीच का कोई रास्ता नहीं है.
सीपीएम नेता डी राजा ने भी इसे सिद्धांतों की लड़ाई बताते हुए कहा कि संख्या के मामले में कमी के बावजूद विपक्ष इस लड़ाई को पूरी गंभीरता से लड़ेगा. राजा ने कहा कि यह सच है कि इस समय संख्याबल के आधार पर चुनावी गणित विपक्ष के हक में नहीं है, लेकिन चूंकि यह भी एक संघर्ष है इसलिये पूरी गंभीरता से लड़ना होगा. यह लड़ाई संविधान और लोकतंत्र की लड़ाई के लिए है. इसलिये यह सिद्धांत की लड़ाई है.
इस बीच आरजेडी नेता लालू प्रसाद ने इस चुनावी जंग को कोविंद के खिलाफ आदर्श की लड़ाई बताते हुए कहा कि कोविंद आरएसएस के कट्टर कार्यकर्ता हैं और इसलिए अगर कांग्रेस उनका समर्थन करती तब भी वह इस चुनाव में उनका विरोध करते. इससे पहले कोविंद ने राष्ट्रपति पद के चुनाव को दलगत राजनीति से उपर बताते हुए कहा था कि जब से वह राज्यपाल बने, वह किसी भी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं रहे.