India-Iran Relation: पीएम मोदी और ईरान के राष्ट्रपति ने की द्विपक्षीय बैठक, जानें किन मुद्दों पर हुई चर्चा
PM Modi In South Africa: पीएम मोदी ने ईरान को ब्रिक्स ग्रुप में शामिल किए जाने के फैसले का स्वागत किया. दोनों नेताओं ने व्यापार, निवेश, ऊर्जा समेत कई मुद्दों पर बात की.
PM Modi Iran President Meeting: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने 15वें (ब्रिक्स) BRICS शिखर सम्मेलन से इतर दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में द्विपक्षीय बैठक की. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार (24 अगस्त) को ट्वीट कर दोनों नेताओं की मुलाकात की जानकारी दी.
उन्होंने लिखा कि भारत और ईरान के रिश्ते को बढ़ावा देने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने जोहान्सबर्ग में ईरान के राष्ट्रपति सैय्यद इब्राहिम रायसी के साथ द्विपक्षीय बैठक की. पीएम ने ब्रिक्स के परिवार में शामिल होने पर ईरान को बधाई दी.
ईरान के राष्ट्रपति ने चंद्रयान मिशन के लिए दी बधाई
अरिंदम बागची ने आगे कहा कि राष्ट्रपति रायसी ने ब्रिक्स में शामिल होने में भारत के समर्थन के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया. राष्ट्रपति रायसी ने चंद्रयान मिशन की सफलता पर पीएम मोदी को बधाई भी दी.
Giving a filip to 🇮🇳-🇮🇷 civilisational relationship!
— Arindam Bagchi (@MEAIndia) August 24, 2023
PM @narendramodi held a bilateral meeting with President Seyyed Ebrahim Raisi of Iran on the sidelines of the BRICS Summit in Johannesburg.
PM felicitated Iran on joining the BRICS family. President Raisi thanked PM for… pic.twitter.com/tSOsBRYOrf
दोनों नेताओं ने इन मुद्दों पर की बात
दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत को लेकर उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने व्यापार और निवेश, ऊर्जा, कनेक्टिविटी और आतंकवाद विरोधी क्षेत्रों सहित द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की. वे चाबहार परियोजना सहित बुनियादी ढांचे के सहयोग में तेजी लाने पर सहमत हुए. उन्होंने अफगानिस्तान सहित क्षेत्रीय विकास पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया.
ईरान को ब्रिक्स में किया गया शामिल
ब्रिक्स देशों के नेताओं ने गुरुवार को अर्जेंटीना, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को समूह के नए सदस्यों के रूप में शामिल करने का फैसला किया. प्रधानमंत्री मोदी ने इस फैसले का स्वागत करते कहा कि समूह का आधुनिकीकरण और विस्तार यह संदेश है कि सभी वैश्विक संस्थानों को बदलते दौर में खुद को बदलने की जरूरत है.
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