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Independence Day 2022: कैसे बना था हमारा राष्ट्रीय ध्वज? जानिए कौन हैं इसके शिल्पकार

राष्ट्रीय ध्वज के वर्तमान स्वरूप से पहले यह कई चरणों से गुजरा है. 1921 में महात्मा गांधी ने कांग्रेस के अपने एक झंडे का बात कही. जिसके बाद पिंगली वैंकैया ने झंडे का डिजाइन बनाया.

National Flag Design: हमारा राष्ट्रीय ध्वज देश की शान है. जब भी हम लहराता हुआ तिरंगा देखते हैं,तो हमारा मन देशभक्ति से ओतप्रोत हो जाता है. भारत का झंडा देश के लोगों के बीच एकता, शांति, समृद्धि और विकास को दर्शाता है. अनगिनत बलिदानों,त्याग और एक लंबी लड़ाई के बाद हमारा देश औपनिवेशिक सत्ता की जकड़ से आजाद हुआ था. जिसमें देश का ध्वज थाम कर लोगों ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया. अपनी इस स्टोरी में हम आपको आजादी की लड़ाई के समय से लेकर भारत के राष्ट्रीय ध्वज के वर्तमान तक के स्वरूप के बारे में जानकारी देंगे और ये भी बताएंगे कि किसने इसकी डिजाइन बनाई-  

वर्तमान स्वरूप से पहले बने कई झंडे-

हमारे राष्ट्रीय ध्वज के वर्तमान स्वरूप से पहले यह कई चरणों से गुजरा है. 1921 में महात्मा गांधी ने कांग्रेस के अपने एक झंडे का बात कही. जिसके बाद पिंगली वैंकैया ने झंडे का डिजाइन बनाया. उस झंडे को देश के दो सबसे बड़े धार्मिक समुदायों हिंदू और मुसलमान को दर्शाते लाल और हरे रंग में बनाया गया. बाद में इस झंडे में परिवर्तन किया गया और लाल रंग के स्थान पर केसरिया रंग जोड़ दिया गया .

कैसे बना वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज-

राष्ट्रीय ध्वज का वर्तमान स्वरूप की कल्पना पिंगली वैंकैया ने ही की थी. जिसको ध्यान में रखते हुए 1931 में एक प्रस्ताव पारित किया गया और केसरिया,सफेद एवं हरे रंग के वर्तमान संयोजन वाले राष्ट्रीय ध्वज को फहराया गया.हालांकि वह ध्वज इस मामले में वर्तमान ध्वज से अलग था कि उसमें अशोक चक्र की जगह महात्मा गांधी द्वारा सूत कातने वाला चरखा बना हुआ था.  चरखा जहां स्वदेशी के संदेश के साथ देश के गरीब और हस्तशिल्पियों का प्रतिनिधित्व करता था वहीं गांधीजी के अहिसात्मक स्वतंत्रता आंदोलन का एक महान प्रतीक भी था.

इसी झंडे के विकसित रूप को हम आज भारत के वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज के रूप में देखते हैं.1931 में फहराए गए ध्वज में जहां सूत का चरखा था वहीं वर्तमान ध्वज में उसकी जगह सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ में बने चक्र को लिया गया जिसके अंदर 24 तीलियां बनी हुई हैं. राष्ट्रीय ध्वज के वर्तमान स्वरूप को 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा की बैठक में अपनाया गया और इस तरह देश के राष्ट्रीय ध्वज का वर्तमान स्वरूप बना.

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