'ये राष्ट्र संविधान से चलेगा', धीरेंद्र शास्त्री के हिंदू राष्ट्र वाले बयान पर बोले ओपी राजभर, राम रहीम पर कसा तंज
OP Rajbhar ने धीरेंद्र शास्त्री का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि आरोप और प्रत्यारोप लगाना एक अलग विषय है, कोई भी संत या कोई कथावाचक आपस में बैर रखना नहीं सिखाता.
OP Rajbhar On Dhirendra Shastri: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने हिंदू राष्ट्र बनाने की बात कही है. उनके इस बयान ने नया बवाल खड़ कर दिया है. तमाम राजनीतिक दल के नेताओं ने उनकी आलोचना की है. इस लिस्ट में अब सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर का नाम भी जुड़ गया है. मंगलवार को बस्ती पहुंचे ओपी राजभर ने धीरेंद्र शास्त्री के हिंदू राष्ट्र वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि ये राष्ट्र संविधान से चलेगा. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि हर धर्म के लोगों को अपना प्रचार प्रसार करने का अधिकार है.
दिलचस्प बात है कि एक दिन पहले ही मैनपुरी में ओपी राजभर ने धीरेंद्र शास्त्री का समर्थन किया था. उन्होंने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर लग रहे आरोपों को लेकर कहा था कि आरोप और प्रत्यारोप लगाना एक अलग विषय है, कोई भी संत या कोई कथावाचक आपस में बैर रखना नहीं सिखाता. उन्होंने कहा, "जो भी व्यासपीठ पर बैठता है वह ज्ञान और उपदेश ही देता है, अब उसे सुनने वालों के चश्मे की पावर अलग-अलग होती है कुछ लोग उसमें बुराई ढूंढते हैं तो कुछ लोग उससे सीख लेते हैं."
राम रहीम को लेकर कसा तंज
साध्वी यौन शोषण मामले में सजा काट रहे राम रहीम को लेकर भी ओपी राजभर ने प्रतिक्रिया दी. ओपी राजभर ने कहा राम राम रहीम का नाम लेकर तंज कसते हुए कहा, "सबकी हालत एक जैसी होगी." दरअसल, राम रहीम को 4 हफ्ते की पैरोल मिली है. पैरोल को लेकर हरियाणा सरकार विपक्ष के निशाने पर है. विपक्ष का कहना है कि राम रहीम को बार-बार पैरोल क्यों दी जा रही है?
अखिलेश को दी ये सलाह
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया है. इस पर ओपी राजभर ने कहा, "अखिलेश यावद को उन्हें पार्टी से बाहर कर देना चाहिए." दरअसल, स्वामी प्रसाद मौर्य ने तुलसीदास की श्रीरामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर यह कहते हुए पाबंदी लगाने की मांग की है कि उनसे समाज के एक बड़े तबके का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता है.
ये भी पढ़ें- जानिए कब-कब राहुल गांधी के पूर्व 'गुरु' दिग्विजय सिंह के बयानों से कांग्रेस को करना पड़ा किनारा?