एक्सप्लोरर

उत्तर प्रदेश: नगर निकाय चुनाव में आरक्षण पर विवाद के बीच जानिए कहानी ओबीसी राजनीति की?

यूपी में ओबीसी राजनीति पर विवाद नया नहीं है. इसकी शुरुआत 1960 के दशक में ही शुरू हो गई थी. धीर-धीरे ओबीसी वोट बैंक को देखते हुए कोई भी पार्टी इन समुदायों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती है.

उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण रद्द होने के बाद पिछड़े वर्ग की राजनीति फिर से चर्चा में है. राज्य में ओबीसी पॉलिटिक्स की शुरुआत वैसे तो 1960 के दशक में ही शुरू हो गई थी, लेकिन 1990 आते-आते यह उफान पर आ गया. 

राज्य में ओबीसी की आबादी में करीब 40% है. ऐसे में चुनाव में जीत-हार भी ओबीसी वोटर्स ही करते हैं. इसलिए कोई भी पार्टी ओबीसी पॉलिटिक्स में पीछे नहीं रहना चाहती है. 

OBC आरक्षण का नया विवाद क्या है?
निकाय चुनाव में ओबीसी को 27% आरक्षण देते हुए राज्य सरकार ने सीटों की सूची जारी कर दी थी. सरकार के इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद की लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल की गई. हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि निकाय चुनाव में ओबीसी वर्ग के आरक्षित सीट को सामान्य माना जाए और सही समय पर चुनाव कराया जाए. 

यूपी सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. कोर्ट में 4 जनवरी को इसपर अगली सुनवाई होनी है. सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा है कि ओबीसी आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ही यूपी में नगर निकाय के चुनाव कराए जाएंगे. 

OBC आरक्षण पर 2 बड़ा बयान...
1. अखिलेश यादव, सपा प्रमुख- बीजेपी का पिछड़ों के प्रति व्यवहार सौतेला रहा है. अभी पिछड़ों का अधिकार छीना जा रहा है, फिर दलितों का छीना जाएगा. बीजेपी के लोग सिर्फ पिछड़ों का वोट लेना जानते हैं, उन्हें हिस्सेदारी देना नहीं. 

2. प्रियंका गांधी, कांग्रेस महासचिव- जब भी सामाजिक न्याय और आरक्षण के समर्थन में पक्ष रखने की बात आती है, बीजेपी का आरक्षण विरोधी चेहरा सामने आ जाता है. यूपी के नगरीय निकाय चुनावों में आरक्षण को लेकर बीजेपी सरकार के गड़बड़ रवैए से OBC वर्ग का महत्वपूर्ण संविधानिक अधिकार खत्म होने की कगार पर है.

बवाल नया नहीं है... 4 प्वॉइंट्स

यूपी में ओबीसी राजनीति पर विवाद नया नहीं है. इसकी शुरुआत 1960 के दशक में ही शुरू हो गई थी. धीर-धीरे ओबीसी वोट बैंक को देखते हुए कोई भी पार्टी इस पर रिस्क नहीं लेना चाहती है.

1. लोहिया ने नारा दिया पिछड़े पावे सौ में साठ- 1960 के दशक में राम मनोहर लोहिया विपक्ष के बड़े नेता थे. 1965 में यूपी के फर्रूखाबाद लोकसभा सीट से उपचुनाव जीतने के बाद लोहिया ने कई पार्टियों का एक गठबंधन तैयार किया. लोहिया उस वक्त संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (संसोपा) में थे. 1967 के चुनाव में लोहिया ने नारा दिया- संसोपा ने बांधी गांठ, पिछड़े पावें सौ में साठ.


उत्तर प्रदेश: नगर निकाय चुनाव में आरक्षण पर विवाद के बीच जानिए कहानी ओबीसी राजनीति की? (Photo- ABP Archived)

लोहिया का इस नारे ने यूपी की सियासत ही बदल दी और पहली बार यहां कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. संसोपा के सहयोगी भारतीय क्रांति दल के चौधरी चरण सिंह राज्य के नए मुख्यमंत्री बने. 

2. मंडल कमीशन और यूपी की पॉलिटिक्स में बवाल- 1979 में केंद्र की मोरारजी देसाई की सरकार ने सरकारी नौकरी में पिछड़ों को आरक्षण देने के लिए बीपी मंडल की अध्यक्षता में एक आयोग बना दिया. आयोग के गठन के बाद ही यूपी-बिहार के अधिकांश भागों में बवाल शुरू हो गया. इस मौके को तब की विपक्षी पार्टियों ने भुनाया और इसे आरक्षण विरोधी बवाल कहा.


उत्तर प्रदेश: नगर निकाय चुनाव में आरक्षण पर विवाद के बीच जानिए कहानी ओबीसी राजनीति की?(Source - Getty)

1989 में राजीव की सरकार जाने के बाद कांग्रेस के बागी वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने. पीएम बनने के बावजूद वीपी सिंह की सियासी जमीन कमजोर थी. उन्होंने इसे मजबूत करने के लिए मंडल आयोग की सिफारिश को लागू करने का ऐलान कर दिया. इसके बाद यूपी समेत पूरे देश की पॉलिटिक्स ही बदल गया. 

1989 से लेकर अब तक यानी 33 सालों में 26 साल तक यूपी की कमान पिछड़ों के हाथ में ही रहा. 

3. मुलायम-कांशीराम का गठबंधन और बीजेपी हार गई- 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद बीजेपी को यकीन था कि आगामी विधानसभा चुनाव में उसकी जीत तय है, लेकिन 1993 में खेल हो गया. सपा के मुलायम सिंह यादव और बसपा के कांशीराम ने गठबंधन कर लिया. 


उत्तर प्रदेश: नगर निकाय चुनाव में आरक्षण पर विवाद के बीच जानिए कहानी ओबीसी राजनीति की?(Source- Social Media)

पिछड़े और दलित नेताओं के इस गठबंधन ने यूपी में बीजेपी को जोरदार पटखनी दी. 425 सीटों पर हुए इस चुनाव में बीजेपी को 177 सीटों पर जीत मिली. बीजेपी को इस चुनाव में 44 सीटों का नुकसान हुआ. मुलायम सिंह ने गठबंधन बनाकर सरकार बना ली और खुद मुख्यमंत्री बन गए.

4. मुलायम ने 17 ओबीसी जातियों को दलित में शामिल कर दिया- तीसरी बार यूपी की सत्ता में आने के बाद मुलायम सिंह यादव ने ओबीसी राजनीति में धार देने के लिए बड़ा दांव खेला. 2005 में मुलायम ने ओबीसी के 17 जातियों को दलित कैटेगरी में शामिल कर दिया. इन जातियों की ओर से लंबे समय से इसकी मांग की जा रही थी.

मुलायम के इस फैसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तुरंत रोक लगा दिया, जिसके बाद उन्होंने केंद्र को प्रस्ताव बनाकर भेज दिया. बाद में मायावती की सरकार ने इसे वापस ले लिया. 

2016 में अखिलेश यादव ने फिर से प्रस्ताव पास कर केंद्र के पास नोटिफिकेशन के लिए भेज दिया. इसे केंद्र ने उस वक्त मान भी लिया, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फिर रोक लगा दिया. 

OBC सबसे बड़ा वोट बैंक, इनकी सबको जरुरत
उत्तर प्रदेश में ओबीसी वोटरों की आबादी 40% से ज्यादा है. राज्य के करीब 200 विधानसभा सीटों पर ओबीसी फैक्टर काम करता है. लोकसभा की भी 40 से ज्यादा सीटों पर ओबीसी वोटर्स प्रभावी हैं. 

2022 के चुनाव में ओबीसी समुदाय के 153 विधायक बने हैं. इनमें बीजेपी से 90 और सपा से 60 विधायक हैं. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में ओबीसी समुदाय में सबसे ज्यादा यादव 8-9% है.

2014, 2017, 2019 और 2022 के चुनाव में गैर यादव ओबीसी के वोट बीजेपी को मिले हैं. इनमें कुर्मी, मौर्या और निषाद जाति प्रमुख रूप से शामिल हैं.

और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola

टॉप हेडलाइंस

जंगल में मां-बाप के शव की रखवाली करता रहा 5 साल का बच्चा, ठंड में रातभर नहीं सोया, रोंगटे खड़ी कर देगी खबर
जंगल में मां-बाप के शव की रखवाली करता रहा 5 साल का बच्चा, ठंड में रातभर नहीं सोया, रोंगटे खड़ी कर देगी खबर
नए साल पर बांके बिहारी के नहीं हो सकेंगे दर्शन! श्रद्धालुओं को 5 जनवरी तक आने से मना किया गया
नए साल पर बांके बिहारी के नहीं हो सकेंगे दर्शन! श्रद्धालुओं को 5 जनवरी तक आने से मना किया गया
India Vs South Korean Currency: भारत का 1 लाख आपको साउथ कोरिया में बना देगा मालामाल! जानें वहां कितने हो जाएंगे
भारत का 1 लाख आपको साउथ कोरिया में बना देगा मालामाल! जानें वहां कितने हो जाएंगे
साल 2025 में एक पारी में बाउंड्री से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले 5 बल्लेबाज, लिस्ट में भारतीय स्टार खिलाड़ी भी शामिल
साल 2025 में एक पारी में बाउंड्री से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले 5 बल्लेबाज, लिस्ट में भारतीय स्टार खिलाड़ी भी शामिल

वीडियोज

Chhattisgarh Fire News: Korba में दुकानों में लगी भीषण आग, कई दुकानें जलकर खाक! | Breaking
Top News: सुबह की बड़ी खबरें | Unnao Case | Aravalli | Delhi Pollution | Bangladesh Violence | BMC
भूसे से लदा ट्रक बोलेरो गाड़ी पर पलटा, बोलेरो सवार एक शख्स की मौत
डॉक्टर नहीं मिले तो चप्पल से शुरू हुआ इलाज! Saharsa अस्पताल में हंगामा
Madhya Pradesh: नशे में धुत पुलिसकर्मी का तांडव! घर में घुसाया ट्रक..फिर किया डांस | Harda |Breaking

फोटो गैलरी

Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
जंगल में मां-बाप के शव की रखवाली करता रहा 5 साल का बच्चा, ठंड में रातभर नहीं सोया, रोंगटे खड़ी कर देगी खबर
जंगल में मां-बाप के शव की रखवाली करता रहा 5 साल का बच्चा, ठंड में रातभर नहीं सोया, रोंगटे खड़ी कर देगी खबर
नए साल पर बांके बिहारी के नहीं हो सकेंगे दर्शन! श्रद्धालुओं को 5 जनवरी तक आने से मना किया गया
नए साल पर बांके बिहारी के नहीं हो सकेंगे दर्शन! श्रद्धालुओं को 5 जनवरी तक आने से मना किया गया
India Vs South Korean Currency: भारत का 1 लाख आपको साउथ कोरिया में बना देगा मालामाल! जानें वहां कितने हो जाएंगे
भारत का 1 लाख आपको साउथ कोरिया में बना देगा मालामाल! जानें वहां कितने हो जाएंगे
साल 2025 में एक पारी में बाउंड्री से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले 5 बल्लेबाज, लिस्ट में भारतीय स्टार खिलाड़ी भी शामिल
साल 2025 में एक पारी में बाउंड्री से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले 5 बल्लेबाज, लिस्ट में भारतीय स्टार खिलाड़ी भी शामिल
सलमान-शाहरुख के बाद सुनील ग्रोवर ने की आमिर खान की मिमिक्री, फैंस बोले- असलीवाले लग रहे
सलमान-शाहरुख के बाद सुनील ग्रोवर ने की आमिर खान की मिमिक्री, फैंस बोले- असलीवाले लग रहे
Video: 'परिंदा बनाने बोला था, दरिंदा बना दिया' लड़के के साथ टैटू आर्टिस्ट ने कर दिया खेल- वीडियो वायरल
'परिंदा बनाने बोला था, दरिंदा बना दिया' लड़के के साथ टैटू आर्टिस्ट ने कर दिया खेल- वीडियो वायरल
LIC की धमाकेदार पॉलिसी, एक बार निवेश करें और जिंदगी भर मिलेगी 1 लाख रुपये सालाना पेंशन
LIC की धमाकेदार पॉलिसी, एक बार निवेश करें और जिंदगी भर मिलेगी 1 लाख रुपये सालाना पेंशन
सर्दियों में गर्म पानी से नहाना पड़ सकता है भारी, जानें स्किन की बीमारियों से बचने का सही तरीका
सर्दियों में गर्म पानी से नहाना पड़ सकता है भारी, जानें स्किन की बीमारियों से बचने का सही तरीका
Embed widget