राज्यसभा में अमित शाह बोले- हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी शरणार्थियों को नागरिकता मिले, मुस्लिम का जिक्र नहीं
अमित शाह ने कहा कि एनआरसी की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शुरू हुई. किसी भी धर्म के लोगों को डरने की जरूरत नहीं है. हालांकि इस दौरान शाह ने मुस्लिम शरणार्थियों का नाम नहीं लिया.

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद वहां के हालात को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज राज्यसभा में अपना बयान दे रहे थे. इस दौरान अमित शाह से एनआरसी और नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) को लेकर भी सवाल पूछे गए. इसके जवाब में शाह ने कहा कि एनआरसी की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शुरू हुई.
अमित शाह ने कहा कि ''एनआरसी की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शुरू हुई.'' इसके अलावा उन्होंने कहा, ''किसी भी धर्म के लोगों को डरने की जरूरत नहीं है. सरकार मानती है हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी जो शरणार्थी हैं, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हैं उनको नागरिकता मिलनी चाहिए.'' हालांकि इस दौरान अमित शाह ने मुस्लिम शरणार्थियों का नाम नहीं लिया. इस बीच राज्य सभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने कहा कि ''हमारे देश के सभी नागरिक समान है. यहां पर किसी भी तरह से भेदभाव नहीं हो सकता.''
बता दें कि गृह मंत्रालय ने अगस्त के आखिरी हफ्ते में असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़ंस (एनआरसी) की फाइनल लिस्ट जारी की थी. इस लिस्ट में 19 लाख 6 हजार 657 लोगों के नाम शामिल नहीं हैं. लिस्ट में कुल 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार 4 लोगों को शामिल किया गया है. हालांकि, जिस भी व्यक्ति के नाम फाइनल लिस्ट में नहीं हैं वो फ़ॉरेन ट्रायब्यूनल में अपनी नागरिकता साबित कर सकते हैं और अगर यहां भी उन्हें निराशा मिलती है तो वह हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं.
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में एपीडब्ल्यू की याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्र, राज्य को एनआरसी की प्रक्रिया आरंभ करने का आदेश दिया गया. इसके बाद एनआरसी राज्य समन्वयक कार्यालय की स्थापना की गई. साल 2015 में एनआरसी की प्रक्रिया आरंभ हुई. 31 दिसंबर, 2017 को एनआरसी लिस्ट का प्रकाशन हुआ जिसमें 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ के नाम प्रकाशित किए गए. इसके बाद 30 जुलाई, 2018 को एनआरसी की एक और लिस्ट जारी की गई जिसमें 2.9 करोड़ लोगों में से 40 लाख के नाम शामिल नहीं किए गए. फिर 26 जून, 2019 को एक और लिस्ट जारी की गई जिसमें 1,02,462 लोगों को इस लिस्ट में शामिल किया गया.
शाह ने एक अक्टूबर को कहा था कि संसद नागरिकता संशोधन विधेयक पारित करेगी, जिसके तहत देश में सात साल तक रहने के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और इसाइयों को नागरिकता प्रदान की जाएगी, भले ही इन लोगों के पास उपयुक्त दस्तावेज नहीं हों.
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