एक देश, एक चुनाव: विधानसभा चुनाव टालना मुमकिन नहीं
संविधान की धारा 172 (1) में इस बारे में स्पष्ट व्याख्या की गई है. इस धारा के मुताबिक किसी भी विधानसभा की अवधि 5 साल से ज़्यादा नहीं हो सकती. इस अवधि को तभी बढ़ाया जा सकता है अगर देश में आपातकाल लगा हो. आपातकाल की स्थिति में संसद किसी राज्य की विधानसभा की अवधि एक बार में 1 साल तक बढ़ाई जा सकती है.
नई दिल्ली: सोमवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह द्वारा विधि आयोग को पत्र लिखकर देश में लोकसभा और सभी विधानसभा चुनाव एक साथ करवाने का समर्थन किए जाने के बाद इस मुद्दे पर एक बार फिर बहस शुरू हो गई. अपने पत्र में अमित शाह ने तर्क दिया कि अलग अलग चुनाव होने से देश का काफी संसाधन खर्च हो जाता है. शाह के पत्र लिखने के बाद ये भी खबर आई कि इस साल के अंत में होने वाले 4 राज्यों के चुनाव को आगे बढ़ाकर लोकसभा चुनाव के साथ करवाया जा सकता है.
एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ का चुनाव टालना मुमकिन नहीं मौजूद संविधान के प्रावधानों के मुताबिक मुताबिक़ इस साल नवंबर-दिसंबर में चार राज्यों में होने वाले विधानसभा को टालना मुमकिन नहीं है. संविधान की धारा 172 (1) में इस बारे में स्पष्ट व्याख्या की गई है. इस धारा के मुताबिक किसी भी विधानसभा की अवधि 5 साल से ज़्यादा नहीं हो सकती. इस अवधि को तभी बढ़ाया जा सकता है अगर देश में आपातकाल लगा हो. आपातकाल की स्थिति में संसद किसी राज्य की विधानसभा की अवधि एक बार में 1 साल तक बढ़ाई जा सकती है.
कब ख़त्म हो रहा है 4 राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल ? सबसे पहले मिज़ोरम विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है. राज्य विधानसभा का कार्यकाल 15 दिसंबर को खत्म हो रहा है. इसका मतलब ये हुआ कि 15 दिसंबर तक राज्य में नई विधानसभा गठित हो जानी चाहिए. इसी तरह छत्तीसगढ़ विधानसभा का कार्यकाल अगले साल 5 जनवरी को, मध्यप्रदेश का 8 जनवरी को जबकि राजस्थान विधानसभा का कार्यकाल 21 जनवरी को खत्म हो रहा है. इसका सीधा मतलब ये हुआ कि इन राज्यों की विधानसभाओं का गठन इन तिथियों से पहले हो जाना चाहिए. ऐसे में वर्तमान संवैधानिक प्रावधानों के मद्देनज़र इन चार राज्यों में फ़िलहाल चुनाव टालना तो मुमकिन नहीं है. मोदी सरकार के सामने संविधान में बदलाव का विकल्प तो है लेकिन ये इतना आसान नहीं होगा.
कुछ राज्यों के चुनाव ज़रूर लोकसभा चुनाव के साथ करवाए जा सकते हैं. इनमें वो राज्य हैं जहां विधानसभा का कार्यकाल या तो लोकसभा के आसपास ही समाप्त हो रहा है या फिर उसके 7-8 महीनों में भीतर. इनमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिसा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम का कार्यकाल लोकसभा के साथ जबकि हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड का 7-8 महीनों के भीतर खत्म हो रहा है.
जेडीयू एक साथ चुनाव में पक्ष में लेकिन नहीं चाहती समय से पहले चुनाव जिस एक राज्य पर सबकी नजर है और जहां विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ करवाने की अटकलें लग रही हैं, वो है बिहार. लेकिन एबीपी न्यूज़ को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य में सत्ता पर क़ाबिज़ एनडीए की अगुवाई कर रही जेडीयू इसके पक्ष में नहीं है.
पार्टी ने सिद्धांत के तौर पर देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ करवाने का तो समर्थन किया है लेकिन पार्टी का मानना है कि 2019 तक इसके लिए माकूल माहौल नहीं बन पाएगा और आम राय बना के ही इसपर आगे बढ़ना चाहिए. बिहार विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर 2020 को ख़त्म हो रहा है.