BMC चुनाव 2022: शिवसेना और कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ना चाहती है NCP
2022 में होने वाले मुम्बई महानगरपालिका चुनाव में एनसीपी की शिव सेना और कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने की इच्छा है. इसके साथ ही इस साल 1 मार्च को मुंबई के सोमैया ग्राउंड में उनकी पार्टी का कार्यकर्ता मार्गदर्शन सम्मेलन होगा. जिसमें पार्टी प्रमुख शरद पवार सम्मेलन को संबोधित करेंगे.

मुम्बईः जिस तरह से महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस एक साथ हैं. उसी तरह से एनसीपी चाहती है कि तीनों ही पार्टियां साल 2022 में होने जा रहा मुंबई महानगर पालिका का चुनाव भी एक साथ मिलकर लड़ें. एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक ने आज अपना बयान देते हुए इस बात का खुलासा किया है.
महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार तीन विपरीत विचारधाराओं की पार्टियों के एक साथ आने से बनी है. बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने पिछले साल नवंबर में गठबंधन करके सरकार बनाई. तीनों पार्टियों ने मिलकर उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री चुना था. तीनों पार्टियों के इस गठबंधन के फार्मूले को आगे होने जा रहे तमाम चुनाव में भी अपनाने की कवायद हो रही है.
इस साल होने जा रहे नवी मुंबई महानगर पालिका के चुनाव में बीजेपी के खिलाफ शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं. वहीं 2 साल बाद होने जा रहे मुंबई महानगर पालिका के चुनाव भी इसी फार्मूले के आधार पर एनसीपी लड़ना चाहती है.
पत्रकारों से बातचीत करते हुए एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि 1 मार्च को मुंबई के सोमैया ग्राउंड में उनकी पार्टी का कार्यकर्ता मार्गदर्शन सम्मेलन होगा. इस सम्मेलन को पार्टी प्रमुख शरद पवार संबोधित करेंगे. इस सम्मेलन में इस बात पर चर्चा होगी की मुंबई में पार्टी का विस्तार कैसे किया जाए. इसके साथ ही आने वाले मुंबई महानगर पालिका के चुनाव के लिए तैयारियों पर भी चर्चा होगी.
मलिक ने बताया कि उनकी पार्टी मुंबई की सभी 227 सीटों पर खुद के दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. लेकिन एनसीपी चाहती है कि जैसे महाराष्ट्र सरकार बनाने के लिए तीनों ही पार्टियां एक साथ आई हैं, उसी तरह से मुंबई महानगरपालिका इस चुनाव में भी तीनों पार्टियों को एक साथ आना चाहिए.
बता दें कि मुंबई महानगरपालिका देश की सबसे अमीर महानगरपालिका मानी जाती है. इसका बजट कई छोटे राज्यों के बजट से भी बड़ा होता है. बीते करीब 3 दशकों से मुंबई महानगरपालिका पर शिवसेना का ही कब्जा रहा है.
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