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एम जे अकबर अदालत में आपराधिक मानहानि का मामला दायर कर सकते हैं - सूत्र
भारत सरकार के विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने अपने ऊपर लगे यौन शोषण के आरोपों पर चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने कहा है कि उन पर लगाए गए सारे आरोप गलत और बेबुनियाद हैं.

नई दिल्लीः भारत सरकार के विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने अपने ऊपर लगे यौन शोषण के आरोपों पर चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने कहा है कि उन पर लगाए गए सारे आरोप गलत और बेबुनियाद हैं और वो अपने ऊपर लगाए गए आरोपों पर कानूनी कार्रवाई करेंगे. उन्होंने ये भी कहा कि उनके वकील इन मनगढंत और बेबुनियाद आरोपों पर गौर कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक एमजे अकबर कल अदालत में आपराधिक मानहानि का केस दायर कर सकते हैं.
प्रिया रमानी, गजाला वहाब, शुमा राहा, अंजु भारती और शुतपा पाल उन महिलाओं में शामिल हैं जिन्होंने अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये है और अकबर ने इन महिलाओं के दावों का सिलसिलेवार ढंग से खंडन किया है. उन्होंने कहा,‘‘ यह याद रखना जरूरी है कि इन कथित घटनाओं के बाद भी रमानी और वहाब मेरे साथ काम करती रही. इससे स्पष्ट रूप से स्थापित होता है कि उन्हें कोई आशंका और असुविधा नहीं थी. दशकों से वे चुप रही है और कारण स्पष्ट है कि जैसे कि रमानी ने खुद कहा है,‘‘उन्होंने (अकबर ने) कुछ भी नहीं किया.’’ उन्होंने कहा कि बिना किसी सबूत के लगाये गये ये आरोप कुछ वर्गों के बीच एक ‘‘वायरल फीवर’’ बन गया है. अफ्रीका की यात्रा से लौटने के कुछ ही घंटों बाद विदेश राज्य मंत्री ने एक बयान जारी किया और इन आरोपों को बेबुनियाद बताया. उन्होंने बयान में कहा,‘‘मेरे खिलाफ लगाए गये दुर्व्यवहार के आरोप झूठे और मनगढंत है. इन झूठे और बेबुनियाद आरोपों से मेरी छवि को अपूर्णीय क्षति पहुंची है.’’ अकबर ने कहा कि उनके वकील इन मनगढंत और बेबुनियाद आरोपों पर गौर करेंगे. उन्होंने सवाल किया कि आम चुनावों से कुछ महीने पहले यह तूफान क्यों उठा है? आम चुनाव से पहले ही ये मामला उछाला गया जिससे साफ है कि इसके पीछे राजनीतिक कारण हैं. इससे पहले यौन उत्पीड़न के खिलाफ चल रहे #MeToo कैंपेन की ज़द में आए विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर के इस्तीफे को लेकर अटकले लगी हुई थीं. अकबर आज विदेश दौरे से लौटे हैं. एयरपोर्ट पर जब पत्रकारों ने पूरे मामले पर जवाब मांगा तो उन्होंने चुप्पी साधे रखी. अकबर ने सिर्फ इतना कहा था, 'वह बाद में बयान देंगे.' क्या है मामला उनके खिलाफ 10 से अधिक महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. यह मामला तब का है जब एमजे अकबर शीर्ष मीडिया संस्थानों में कार्यरत थे. कांग्रेस समेत अन्य विपक्ष दलों में एमजे अकबर से इस्तीफे और पूरे मामले की जांच की मांग की है. बीजेपी के कई नेता यह कहकर इशारों-इशारों में अकबर का बचाव करते रहे हैं कि उनपर जो भी आरोप लगे हैं वे पुराने हैं, यानि सरकार में शामिल होने के बाद के नहीं है. पूर्व पत्रकार एमजे अकबर 2014 चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में शामिल हो गए थे. पार्टी सूत्रों का कहना है कि उनके (एमजे अकबर) खिलाफ गंभीर आरोप हैं और लगता नहीं कि मंत्री के तौर पर वह लंबे समय तक पद पर रह पाएंगे. उन्होंने कहा कि अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेना है. पार्टी के भीतर इस तरह की भी राय है कि चूंकि उनके खिलाफ कोई कानूनी मामला नहीं है और जो आरोप उनके खिलाफ लगे हैं, वो मंत्री बनने से बहुत पहले का है. कल बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था, ''देखना पड़ेगा कि यह सच हैं या गलत. हमें उस शख्स के पोस्ट की सत्यता जांचनी होगी, जिसने आरोप लगाए हैं. मेरा नाम इस्तेमाल करते हुए भी आप कुछ भी लिख सकते हैं.'' कांग्रेस समेत अन्य दलों ने अकबर के इस्तीफे और जांच की मांग की है. वहीं कांग्रेस के नेता आनंद शर्मा ने कहा कि हमारे सवाल वहीं है जो पहले थे. इस पूरे मामले पर प्रधानमंत्री की चुप्पी रहस्यात्मक है और संदेह पैदा करती है. एक तरफ प्रधानमंत्री बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की बात करते हैं और दूसरी तरफ बेटियों के सम्मान के मसले पर कुछ नहीं बोलते. एमजे अकबर को इस्तीफा देना चाहिए और पीएम उनका इस्तीफा क्यों नहीं ले रहे, इसका भी जवाब देना चाहिए. नवजोत सिंह सिद्धू बोले- पाकिस्तान जाना अच्छा लगता है क्या इमरान खान की कैबिनेट में शामिल होंगे सिद्धू: संबित पात्राMJ Akbar denied allegations of sexual misconduct levelled against him and stated that his lawyers will look into the accusations. However, he did not indicate any decision to step down from his position, contrary to media reports.
Read @ANI story | https://t.co/q666SboXuQ pic.twitter.com/n1Dd8ngwCF — ANI Digital (@ani_digital) October 14, 2018
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Source: IOCL





















