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Manipur Violence: 'मणिपुर में नहीं रुकी हिंसा', कांग्रेस नेता शशि थरूर बोले- धरती पर सबसे लंबे समय तक इंटरनेट बैन का बना वर्ल्ड रिकॉर्ड
Manipur: मणिपुर में तीन मई को हिंसा के बाद से इंटरनेट बंद है. विपक्षी कांग्रेस समेत तमाम संगठन मणिपुर में इंटरनेट सेवाओं की बहाली की मांग कर रहे हैं.
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Manipur Violence Internet Ban: मणिपुर में लगातार छिटपुट हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं. इस बीच मणिपुर सरकार ने मंगलवार 20 जून को 10वीं बार 25 जून तक के लिए इंटरनेट पर प्रतिबंध बढ़ा दिया. कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इस पर केंद्र सरकार पर जुबानी हमला बोला है. थरूर ने सवाल उठाया है कि मणिपुर में दो महीनों से इंटरनेट सेवाएं बंद क्यों है.
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा, "भारत में बैंकिंग से लेकर ई-गवर्नेंस तक तमाम कामों के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल किया जाता है. भारत को अपनी इंटरनेट तकनीकी पर गर्व है. तो फिर मणिपुर में दो महीनों से इंटरनेट सेवाएं बंद क्यों है जबकि हिंसा की घटनाओं पर कोई असर नहीं पड़ा है? इंटरनेट पर प्रतिबंध हटना चाहिए. शायद हमने धरती पर सबसे ज्यादा बार और सबसे लंबे समय तक इंटरनेट बैन का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है."
मणिपुर हाईकोर्ट में चल रही है सुनवाई
मणिपुर में इसी साल 3 मई की रात हिंसा की पहली घटना हुई थी. इसके बाद प्रशासन ने चार मई को इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी थी. तब से इंटरनेट सेवा बंद है. प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ कुछ लोगों ने मणिपुर हाईकोर्ट ने एक याचिका दायर कर रखी है. हाईकोर्ट से राज्य में इंटरनेट बहाली का निर्देश देने की मांग की गई है.
मणिपुर हाईकोर्ट के एक अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि एक अंतरिम आदेश में उच्च न्यायालय ने राज्य के अधिकारियों को राज्य के अधिकारियों के नियंत्रण में कुछ निर्दिष्ट स्थानों पर जनता को सीमित इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने का निर्देश दिया है. अब इस मामले पर 23 जून को सुनवाई होनी है.
प्रधानमंत्री की चुप्पी पर भी सवाल उठा रही कांग्रेस
उधर कांग्रेस मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर भी सवाल उठा रही है. कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि संकट के समय में जानबूझकर मणिपुर की अनदेखी कर वह प्रधानमंत्री का अपना कर्तव्य निभाने में पूरी तरह से विफल रहे हैं.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक ट्वीट में निशाना साधते हुए कहा, ''प्रधानमंत्री के अमेरिका दौरे की तमाम खबरों के बीच आइए हम खुद को याद दिलाएं कि आज मणिपुर में दर्द, संकट और पीड़ा का लगातार 50वां दिन है. दु:ख की बात है कि अनेकों मुद्दों पर ज्ञान देने वाले प्रधानमंत्री ने राज्य की इतनी बड़ी त्रासदी पर एक शब्द भी नहीं बोला है. उन्होंने मिलने के लिए समय मांगने वाले राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को समय नहीं दिया. न ही इस बात को लेकर कोई संकेत दिया कि वह इस मामले में क्या कर रहे हैं या उन्हें कोई चिंता या परवाह है भी कि नहीं.
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