विकास की दौड़ में पीएम मोदी के पूर्व पीएम मनमोहन से आगे होने का वायरल सच
बजट से पहले इन दावों ने सोशल मीडिया पर खलबली मचा दी है. आंकड़ों के जरिए विकास की दौड़ में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से प्रधानमंत्री मोदी को बहुत आगे बताया जा रहा है.

नई दिल्ली: एक फरवरी को देश का आम बजट आने वाला है संसद में पिछले साल की अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया. इस पूरे माहौल के बीच आंकड़ों की शक्ल में कुछ दावे सोशल मीडिया तक पहुंचे हैं. दावा है कि विकास की दौड़ में प्रधानमंत्री मोदी, मनमोहन सिंह से बहुत आगे निकल गए हैं.
सोशल मीडिया पर पहला दावा? पहला दावा देश में नेशनल हाइवे के निर्माण को लेकर है. दावे के मुताबिक साल 2013-14 में जब देश की बागडोर मनमोहन सिंह के हाथ में थी उस वक्त 3 हजार 620 किमी नेशनल हाइवे बना. जबकि 2016-17 में यानि प्रधानमंत्री मोदी के एक साल के कार्यकाल में 15 हजार 948 किमी नेशनल हाइवे बना. दावे के हिसाब मोदी राज में से 5 गुना ज्यादा नेशनल हाइवे बना.
पहले दावे की पड़ताल मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर मिली जानकारी के मुताबिक साल 2013-14 के बीच यानि जब कांग्रेस की सरकार थी तब देश में 4260 किमी लंबा नेशनल हाइवे बना था. औऱ प्रधानमंत्री मोदी के समय 2016-17 के बीच 8,231 किलोमीटर लंबा नेशनल हाइवे बना है. पीएम मोदी के समय 15,948 किलोमीटर नेशनल हाईवे बनने का जो आंकड़ा पेश किया जा रहा है उसमें प्रस्तावित आंकड़ा यानि आने वाले वक्त में जो हाइवे बनना है वो आंकड़ा शामिल है लेकिन 2016-17 में सिर्फ 8231 किलोमीटर हाइवे ही बना है. इसलिए हमारी पड़ताल में पहला दावा झूठा साबित हुआ है.
सोशल मीडिया पर दूसरा दावा? दूसरा दावा देश में सड़कों के निर्माण को लेकर किया जा रहा है. दावा ये है कि मनमोहन सिंह के तीन साल के कार्यकाल यानि 2011 से 2014 के बीच 81 हजार 95 किमी लंबी सड़क बनी. जबकि प्रधानमंत्री मोदी के तीन साल के कार्यकाल में 1 लाख 20 हजार 233 किमी सड़क का निर्माण हुआ.
दूसरे दावे की पड़ताल वेबसाइट पर शुरू की पड़ताल में पता चला कि मनमोहन सिंह के तीन साल के कार्यकाल यानि 2011-14 के बीच 80 हजार 472 किमी सड़क बनी जबकि प्रधानमंत्री मोदी के तीन साल के कार्यकाल में एक लाख 20 हजार 233 किमी तक सड़क का निर्माण हुआ है. यानि पड़ताल में दूसरा दावा सच साबित हुआ है.
सोशल मीडिया पर तीसरा दावा? तीसरा दावा गांवों में इंटरनेट की पहुंच को लेकर है. दावा है कि आजादी के बाद से लेकर साल 2014 तक देश की सिर्फ 59 पंचायतों तक इंटरनेट पहुंचा. जबकि 2014 से लेकर 2017 तक यानि मोदी सरकार के तीन सालों में 90 हजार 996 पंचायतों को इंटरनेट के दायरे में लाया गया.
तीसरे दावे की पड़ताल संचार मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक जब तक देश में मनमोहन सिंह की सरकार थी तब तक 59 ग्राम पंचायतों तक इंटरनेट पहुंचा था लेकिन 2014 से लेकर 2017 के बीच यानि मोदी सरकार के तीन सालों में 78 हजार 220 ग्राम पंचायतों तक इंटरनेट पहुंचा है. यानी ये दावा आधा सच साबित हुआ है.
सोशल मीडिया पर चौथा दावा? दावों की इस लिस्ट में चौथा नंबर एलपीजी कनेक्शन को लेकर है. दावा है कि देश में जब 2004 से लेकर 2014 तक यानि दस साल तक मनमोहन सरकार थी तब 5 करोड़ 31 लाख लोगों को गैस कनेक्शन दिए गए जबकि मोदी के एक साल के कार्यकाल के भीतर ही 6 करोड़ 91 लाख गैस कनेक्शन बांट दिए गए. जिसमें 3 करोड़ गैस कनेक्शन तो मुफ्त बताए जा रहे हैं.
क्या है चौथे दावे का सच? एबीपी न्यूज़ की पड़ताल में मिले आंकड़ों के मुताबिक 2004 से 2014 तक यानि मनमोहन सरकार के दस सालों के कार्यकाल में 8 करोड़ 90 लाख गैस कनेक्शन बांटे गए. जबकि मोदी सरकार के तीन साल के कार्यकाल में यानि 2014 से 2017 के बीच 6 करोड़ 83 लाख गैस कनेक्शन बांटे गए हैं.
वेबसाइट पर मिले आंकड़ों के मुताबिक मनमोहन सरकार के चार सालों में यानि 2010-2014 के बीच 5 करोड़ 17 लाख एलपीजी कनेक्शन दिए गए. जबकि प्रधानमंत्री मोदी के एक साल में यानि 2016-17 के बीच कुल साढ़े तीन करोड़ एलपीजी कनेक्शन बांटे गए जिसमें से करीब 2 करोड़ एलपीजी कनेक्शन प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत मुफ्त बांटे गए हैं. पड़ताल में एलपीजी को लेकर किया गया दावा झूठा साबित हुआ है.
सोशल मीडिया पर पांचवां दावा? पांचवें दावे के मुताबिक 2013-14 यानि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस एक साल में 1 हजार 197 गांवों तक बिजली पहुंची. जबकि मोदी के एक साल के कार्यकाल यानि 2016 से 2017 के बीच 6 हजार से ज्यादा गांवों में बिजली पहुंचाने का दावा है.
क्या है इस दावे का सच? मंत्रालय की वेबसाइट पर मिले आंकड़ों के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक साल यानि 2013-14 के बीच 1 हजार 197 गांवों तक बिजली पहुंची जबकि प्रधानमंत्री मोदी के एक साल के कार्यकाल में यानि 2016-17 के बीच 6 हजार 15 गांवों तक बिजली पहुंची. पड़ताल में गांव में बिजली पहुंचने के मामले में मोदी आगे निकले हैं यानि दावा सच साबित हुआ है.
सोशल मीडिया पर छठा दावा? सोशल मीडिया पर मौजूद छठे दावे के मुताबिक मनमोहन सिंह के एक साल के कार्यकाल में 360 किमी रेल की पटरियां बिछाई गईं जबकि नरेंद्र मोदी के एक साल के कार्यकाल में 953 किमी रेल की पटरियां बिछाई गईं है.क्या है रेल की पटरियों को लेकर किए जा रहे दावे का सच? वेबसाइट पर मिले आंकड़ों के मुताबिक मनमोहन सिंह के एक साल के कार्यकाल यानि 2013-14 के बीच 450 किमी नई लाइनें बिछाई गईं जबकि 2016-17 में 953 किमी नई रेलवे लाइन बिछाई गईं. यानि मनमोहन को लेकर किया जा रहा दावा झूठा है जबकि मोदी के नाम पर किया जा रहा ये दावा सच साबित हुआ है.
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