दिमाग का अपहरण करके हत्या करने वाली 'नीली व्हेल' का सच
सोशल मीडिया पर दावा है कि इंटरनेट पर घूमती नीली व्हेल ना सिर्फ आपके बच्चों के दिमाग का अपहरण कर लेती है बल्कि उन्हें अपना मानसिक गुलाम बनाकर उनकी हत्या तक कर देती है.

नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर हर रोज कई फोटो, मैसेज और वीडियो वायरल होते हैं. इन वायरल फोटो, मैसेज और वीडियो के जरिए कई चौंकाने वाले दावे भी किए जाते हैं. ऐसी ही एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
सोशल मीडिया पर दावा है कि इंटरनेट पर घूमती नीली व्हेल ना सिर्फ आपके बच्चों के दिमाग का अपहरण कर लेती है बल्कि उन्हें अपना मानसिक गुलाम बनाकर उनकी हत्या तक कर देती है.
दावे के मुताबिक मुंबई में 14 साल का मनप्रीत काफी समय से ब्लू व्हेल नाम का एक ऑनलाइन गेम खेल रहा था. मनप्रीत गेम के आखिरी पड़ाव में था और गेम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए उसका मरना जरूरी था.इसलिए घर की छत से छलांग लगाकर जान दे दी .
अपने घर की छत से कूदने से पहले मनप्रीत ने अपने मोबाइल से आखिरी तस्वीर खींचकर एक मैसेज भेजा जिसमें लिखा था- जल्द ही तुम्हारे पास मेरी ये आखिरी तस्वीर रह जाएगी.
ब्लू व्हेल गेम क्या है? ये एक तरह का प्लान्ड गेम है यानि ये गेम का हिस्सा बनने वाले बच्चों की हर हरकत पर पैनी नजर रखता है . यूं ही कोई इस गेम का हिस्सा नहीं बन सकता. इस गेम को चलाने वाले लोग तय करते हैं कि ब्लू व्हेल कौन खेलेगा.
सीक्रेट ग्रुप में खेले जाने वाले इस गेम का इन्विटेशन बच्चों को Facebook, Instagram, Twitter, Whatsapp जैसे प्लेटफॉर्म पर मिलता है. इस गेम के कुल 50 पड़ाव होते हैं जिसे 50 दिनों में पूरा करना होता है. यानि हर रोज एक नया चैलेंज. चैलेंज पूरा करने पर सबूत के तौर पर तस्वीर गेम के एडमिन को ग्रुप पर भेजनी होती है.
ब्लू व्हेल चैलेंज की शुरुआत साल 2013 में सबसे पहले रशिया में हुई थी. इस ऑन लाइन डेथ गेम को बनाने वाले शख्स का नाम ईया सिदोरोव है. ईया सिदोरोव पर पर आरोप है कि अपने इस डेथ गेम के जरिए 16 बच्चों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर चुका है. बच्चों को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में उसकी गिरफ्तारी भी हुई. लेकिन भारत में ऐसा पहला मामला सामने आया है.
कैसे काम करता है ये खूनी खेल? ये गेम ऐसे बच्चों को शिकार बनाता है जिनके ज्यादा दोस्त नहीं होते और वो अपने माता-पिता से भी कम बात करते हैं. ऐसे बच्चों की प्रोफाइल पर जासूसी करके इस गेम का हिस्सा बनाया जाता है. 50 दिन तक चलने वाले इस खेल में बच्चों के लिए चार चीजें होती हैं
पहली- उन्हें हॉरर वीडियोज दिखाकर और बार-बार ऊंची इमारतों पर भेजकर उनके भीतर के डर को खत्म कर दिया जाता है
दूसरी- 50 दिन तक उन्हें बार-बार खुद को चोट पहुंचाने का चैलेंज दिया जाता है. जिससे अपने हाथ से अपने शरीर को तकलीफ पहुंचाने का दर्द मिट जाए और उन्हें धीरे-धीरे मौत की तरफ धकेला जा सके.
तीसरी- ब्लू व्हेल गेम पूरे-पूरे दिन किसी से बात ना करने को कहा जाता है. इसके पीछे मकसद है कि बच्चे को दुनिया से काटकर अलग कर दिया जाए और उसके आसपास सिर्फ ब्लू व्हेल गेम की दुनिया बना दी जाए.
चौथी- एक खास तरह का संगीत बच्चों को सुनने के लिए दिया जाता है. यानि बच्चों को ये संगीत सुनाकर उन्हें एक तरह से सम्मोहित करने का मकसद होता है. 50 दिन के भीतर जब ये चार चीजें पूरी हो जाती हैं तो बच्चे के अंदर मौत का डर मिट चुका होता है वो अकेला हो चुका है और वो हर कदम उठाने को तैयार होता है जो गेम में करने को कहा जाता है. एबीपी न्यूज की पड़ताल में बच्चों के दिमाग का अपहरण करके उनकी हत्या करने वाली ब्लू व्हेल गेम का दावा सच साबित हुआ है.
Source: IOCL






















