पंचतत्व में विलीन हुए हिंदी के विख्यात कवि केदारनाथ सिंह, बेटे ने दी मुखाग्नि
हिन्दी की समकालीन कविता के सशक्त हस्ताक्षर डॉ. केदारनाथ सिंह का पेट के संक्रमण के चलते कल रात करीब पौने नौ बजे एम्स में निधन हो गया था.

नई दिल्ली: जीवन की जटिलताओं को कविता के माध्यम से अभिव्यक्त करने की अनूठी शैली के धनी विख्यात साहित्य साधक केदारनाथ सिंह का पार्थिव शरीर आज पंचतत्व में विलीन हो गया. केदारनाथ सिंह के शिष्य डॉ मदन राय ने बताया कि शाम चार बजे दिल्ली के लोदी रोड शमशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया. उनके पुत्र सुनील ने मुखाग्नि दी.
मदन राय ने बताया कि अज्ञेय द्वारा संपादित ‘तीसरा सप्तक’ के इस सशक्त हस्ताक्षर को अंतिम विदाई देने के लिए राजनीतिक और साहित्यिक क्षेत्र की कई हस्तियां मौजूद थीं. इनमें रमेश विधूड़ी, अशोक वाजपेयी और असगर वजाहत शामिल हैं. उन्होंने बताया कि इस मौके पर बड़ी संख्या में उनके शिष्य, पाठक और छात्र उपस्थित थे.
गौरतलब है कि हिन्दी की समकालीन कविता के सशक्त हस्ताक्षर डॉ. केदारनाथ सिंह का पेट के संक्रमण के चलते कल रात करीब पौने नौ बजे एम्स में निधन हो गया था. केदारनाथ सिंह का जन्म 1934 में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ था. वह हिंदी कविता में नए बिंबों के प्रयोग के लिए जाने जाते हैं. साल 2013 में केदारनाथ सिंह को साहित्य सेवा के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
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