अंतरिक्ष में इसरो का कमाल, Spadex डी-डॉकिंग प्रोसेस की पूरी, जानें भारत को क्या होगा फायदा?
भारत की 2035 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की योजना है. भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन में 5 मॉड्यूल होंगे, जिन्हें अंतरिक्ष में एक साथ लाया जाएगा. इनमें सबसे पहला मॉड्यूल 2028 में लॉन्च किया जाना है.

Indian Space Research Organisation (इसरो) ने गुरुवार (13 मार्च, 2025) को कहा, उन्होंने (SPADEX) स्पैडेक्स उपग्रहों को डी-डॉक करने का काम पूरा कर लिया है, जिससे भविष्य के मिशन जैसे कि चंद्रमा की खोज, मानव अंतरिक्ष उड़ान और अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन बनाने का रास्ता साफ हो गया है'.
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कर उपग्रहों को सफलतापूर्वक डी-डॉक करने की घोषणा की. जितेंद्र सिंह ने कहा, 'स्पैडेक्स उपग्रहों ने अविश्वसनीय डी-डॉकिंग को पूरा किया है. इससे भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन चंद्रयान-4 और गगनयान सहित भविष्य के महत्वाकांक्षी मिशनों के सुचारू संचालन का मार्ग प्रशस्त होता है'.
'टीम इसरो को बधाई'
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने (X) पर लिखा, 'टीम इसरो को बधाई और हर भारतीय के लिए खुशी की बात है'. उन्होंने आगे कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निरंतर संरक्षण उत्साह को बढ़ाता है'.
कब लॉन्च हुआ था स्पैडेक्स मिशन
पिछले साल 30 दिसंबर 2024 को स्पैडेक्स मिशन लॉन्च किया गया था. स्पैडेक्स मिशन श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था. इसके बाद 16 जनवरी को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने अंतरिक्ष में दो उपग्रहों एसडीएक्स-1 और एसडीएक्स-2 की सफलतापूर्वक डॉकिंग की थी. अमेरिका, रूस और चीन के बाद इंडिया अंतरिक्ष डॉक की सफल उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया में चौथा देश बना.
Spadex undocking captured from both SDX-1 & SDX-2! 🛰️🛰️🎥
— ISRO (@isro) March 13, 2025
Watch the spectacular views of this successful separation in orbit.
Congratulations to India on this milestone! 🇮🇳✨ #Spadex #ISRO #SpaceTech pic.twitter.com/7u158tgKSG
स्पैडेक्स मिशन के फायदे
भारत की 2035 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की योजना है. भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन में 5 मॉड्यूल होंगे, जिन्हें अंतरिक्ष में एक साथ लाया जाएगा. इनमें सबसे पहला मॉड्यूल 2028 में लॉन्च किया जाना है. मिशन चंद्रयान-4 मानव अंतरिक्ष उड़ानों के लिए भी अहम है. ये प्रयोग उपग्रह की मरम्मत, ईंधन भरने, मलबा हटाने के लिए आधार तैयार करेगा. ये तकनीक उस तरह के मिशन के लिए भी अहम है जिनमें हैवी अंतरिक्ष यान और उपकरणों की आवश्यकता होती है, जिन्हें एक बार में लॉन्च नहीं किया जा सकता है.
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Source: IOCL






















